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Bihar Politics : लालू यादव के बिछाये जाल में फंसी कांग्रेस! अगर इन सीटों पर हुआ 'खेल' तो मचेगा बवाल

सीट बंटवारे के लिए महागठबंधन के सहयोगी लालू प्रसाद का मुंह ताक रहे हैं। वहीं लालू प्रसाद कल के रूठे-छूटे को जोड़ने की फिराक में लगे हैं ताकि सहयोगी दलों पर उनका दबदबा बना रहे। यही कारण है कि अबतक कांग्रेस और वाम दलों की सीटों की घोषणा नहीं हो पाई है जबकि RJD के प्रत्याशी मैदान में पहुंच चुके हैं।

By Vikash Chandra Pandey Edited By: Mohit Tripathi Updated: Thu, 21 Mar 2024 07:19 PM (IST)
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Bihar Politics : लालू यादव के बिछाये जाल में फंसी कांग्रेस। (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, पटना। सीट बंटवारे के लिए महागठबंधन के घटक दल राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का मुंह ताक रहे हैं। वहीं, लालू यादव कल के रूठे-छूटे को इसलिए जोड़ने की फिराक में लगे हैं, ताकि घटक दलों पर उनका दबदबा बना रहे। यही कारण है कि महागठबंधन में कांग्रेस और वाम दलों की सीटें घोषित भी नहीं हो पाईं, जबकि राजद के प्रत्याशी मैदान में पहुंच चुके हैं।

अपनी पसंद की सीटें लेकर ही राजद सहयोगियों को हिस्सा देने वाला है और उपहार में कुछ पाले-पोसे प्रत्याशी भी। कांग्रेस पर इसके लिए सर्वाधिक दबाव है। पहले चरण में नक्सल प्रभावित जिन चार सीटों पर चुनाव हो रहा, उनमें से एक भी सीट कांग्रेस को नहीं मिल रही, जबकि औरंगाबाद उसकी परंपरागत सीट रही है।

पहले चरण के लिए राजद का प्रचार-प्रसार शुरू

औरंगाबाद के साथ गया, नवादा और जमुई में पहले चरण के तहत चुनाव होना है। लालू से अनुमति लेकर इन चारों सीटों पर राजद के प्रत्याशी प्रचार-प्रसार में जुट गए हैं।

औरंगाबाद सीट पिछली बार भी कांग्रेस के हिस्से में नहीं आई थी। महागठबंधन में यह सीट हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के खाते में चली गई थी। कुशवाहा समाज के उपेंद्र प्रसाद प्रत्याशी थे, जो हार गए थे।

इस बार जदयू से आए अभय कुशवाहा को राजद ने हरी झंडी दे दी है। औरंगाबाद पर पिछली बार ही अपना दावा छोड़ देने के कारण कांग्रेस के क्षुब्ध नेता मुखर नहीं हो रहे, लेकिन दूसरे चरण में असंतोष विस्फोटक हो सकता है।

किसके खाते में सीमांचल कितनी सीटें?

दूसरे चरण में पांच सीटों पर चुनाव होना है। उनमें से सीमांचल की तीन सीटें (किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया) कांग्रेस की परंपरागत हैं। भागलपुर और बांका पर राजद की दावेदारी रही है। बिहार में कांग्रेस के लिए संभावना का सर्वाधिक उर्वर परिक्षेत्र सीमांचल ही है।

किशनगंज में कांग्रेस के डॉ. जावेद की दावेदारी निर्विवाद है। पूर्णिया में लालू की पसंद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव प्रत्याशी हो सकते हैं, लेकिन कटिहार को लेकर खटका है। कांग्रेस के कद्दावर तारिक अनवर की उस सीट पर राजद ने अशफाक करीम को पहले ही लगा दिया है।

भाकपा (माले) भी अपने विधायक दल के नेता महबूब आलम के लिए उसकी इच्छा रखता है। पिछली बार इन तीनों सीटों पर कांग्रेस ने कड़ा संघर्ष किया था और बिहार में महागठबंधन को एकमात्र जीत उसी के दम पर किशनगंज में मिली थी।

उत्तर बिहार की सीटों का क्या है माजरा?

उत्तर बिहार में मुजफ्फरपुर सीट को पक्की मान कांग्रेस मैदान में लग चुकी है। हालांकि, विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश सहनी को भी राजद की ओर से उसकी पेशकश हो रही।

चंपारण की सीटों पर भी कांग्रेस के लिए कुछ संभावना हो सकती है, लेकिन उसके लिए भी आश्वासन नहीं, जबकि वाल्मीकिनगर में वह लगातार दूसरे स्थान पर रही है।

इससे स्पष्ट है कि राजद की पसंद के आगे दावेदारी का यह आधार इस बार नहीं चलने वाला। कांग्रेस को राजद छह-सात सीटों की पेशकश कर रहा, जिन पर भाजपा की मजबूत पकड़ है।

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