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Lok Sabha Elections : ...जब वोट डालना 'बहादुरी' का काम मानती थीं महिलाएं, अब बेझिझक निभाती हैं जिम्मेदारी

Bihar Politics बिहार में दशकों से मतदान करती आ रही महिलाओं के अनुभव में परिवर्तन साफ झलकता है। वे बताती हैं कि किस तरह से वोट देने की प्रक्रिया में बदलाव आ गया है। वह अब पहले से कहीं अधिक जागरूक हैं। राजनीति से जुड़ी जानकारी हासिल करती हैं। वे युवाओं को भी अपने वोट के अधिकार को इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करती हैं।

By Sonali Dubey Edited By: Yogesh Sahu Updated: Mon, 26 Feb 2024 12:18 PM (IST)
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श्यामा देवी, मलिना झा और चंदा देवी। फोटो- जागरण
सोनाली दुबे, पटना। एक समय था, जब अपनी सास के साथ लंबी कतार में वोट डालने की प्रतीक्षा करती थी। लंबी घूंघट के कारण मतपेटी के रंग को भी पहचान पाना कठिन था। अंदाज से तीसरी या दूसरी पेटी में वोट डाल देती थी।

कई बार तो मतपेटी की भी चोरी हो जाती थी, तब मतदान महिलाओं के लिए अधिकार कम और बहादुरी का कार्य ज्यादा था। आज मतदान की प्रक्रिया बहुत सरल और सहज बन गई हैं। अब घूंघट या किसी भी तरह की रोक टोक नहीं है।

यह भी सशक्त होते लोकतंत्र के कारण सोच में परिवर्तन है। राजीव नगर की 80 वर्षीय मलिना झा अपने अनुभव को साझा करते हुए कहती हैं।

भारत के लंबे लोकतंत्र का हिस्सा महिलाएं भी हैं, जिन्होंने रंगीन पेटी से लेकर ईवीएम का बटन दबाने तक की चुनाव प्रक्रिया में सरकारें चुनी हैं।

हम टाल दिया करते थे : चंदा देवी

पाटलिपुत्र की 82 वर्ष की चंदा देवी बताती हैं, मतदान जैसे महत्वपूर्ण कार्य को अक्सर हम महिलाएं कठिन प्रक्रिया समझ कर टाल दिया करते थे।

सच कहूं तो यूं लगता था कि आखिर मेरे एक वोट से क्या होगा? पर आज समझ आया कि मेरे एक वोट से सरकार की नीति बदल सकती है।

हमारी समस्याओं का समाधान होगा। देश की प्रगति में महिलाओं की भूमिका बढ़ेगी। आज तो प्रधानमंत्री की अधिकतर नीतियां महिलाओं पर केंद्रित होती हैं।

बिहार में शराबबंदी से हमारे मुख्यमंत्री ने भी नशे के कारण महिलाओं के सामने आ रही समस्याओं को सुलझाने का प्रयास किया। यह बदलाव हम महिलाओं की जागरूकता और हर महिला के एक वोट का परिणाम है।

अब झिझक महसूस नहीं होती : श्यामा देवी

राजीव नगर की 85 वर्षीय श्यामा देवी कहती हैं, बदलाव की क्रांति समाचार पत्र से आई है, अब इंटरनेट मीडिया भी है। पहले के समय में पिता या पति के प्रभाव में आकर महिलाएं मतदान करती थीं, क्योंकि उस समय जागरूकता नहीं थी।

आज हम आए दिन राजनीतिक मुद्दों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। अपने विचारों को रखने में झिझक महसूस नहीं होती। अपने मतदान की जिम्मेदारी को निभाती हैं, ताकि युवा भी हमसे प्रेरित हों।

उन्हें यह देखकर खुशी है कि युवाओं को ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा प्राप्त कराई जा रही हैं। तकनीक, जागरूकता और महिलाओं की हिम्मत के कारण ही देश का लोकतंत्र निरंतर मजबूत हो रहा है।

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