Chirag Paswan: चिराग या प्रिंस राज, कौन संसद में सबसे ज्यादा रहा एक्टिव? LJP सांसदों ने पूछे इतने सवाल
Bihar Politics लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा दिन नहीं बचे हैं। इस बीच कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। चिराग पासवान या प्रिंस राज में से संसद में कौन सबसे अधिक एक्टिव रहा? इसका जवाब मिल गया है। इतना ही नहीं यह तक पता चल गया है कि सदन में किस नेता से कितने सवाल पूछे हैं। राजग में लोजपा का प्रदर्शन कमतर रहा।
विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। Bihar Political News In Hindi सिने जगत को अपनी अदाओं से खामोश करने वाले बिहारी बाबू लोकसभा पहुंचकर ऐसे खामोश हुए कि कभी पटना साहिब की जनता सिर धुनने लगी थी। जगह-जगह उनकी गुमशुदगी के पोस्टर तक चस्पा हुए थे। अंतत: जीत के लिए उन्हें बंगाल का रुख करना पड़ा।
भाजपा (BJP) से तृणमूल कांग्रेस में जाकर भी उनकी खामोशी नहीं टूटी। बाद में बिहार के दूसरे सांसद भी जैसे उनके इस अंदाज के कायल हो गए हों। तभी तो वे लोकसभा में मुखर होने से संकोच कर गए। कविता सिंह, छेदी पासवान और प्रिंस राज को तो जैसे अपने हश्र का पूर्वानुमान हो, संभवत: इसीलिए मुखरता कम रही।
हालांकि, उपस्थिति के साथ सदन में अधिक मुखर रहने वाली रमा देवी भी अपना टिकट नहीं बचा पाई हैं। वे शिवहर से लगातार तीन बार सांसद चुनी गईं और हर बार सर्वाधिक सक्रिय रहने वाले प्रतिनिधियों में रहीं।
सामूहिक रूप से 17वीं लोकसभा में बिहार के सांसदों की उपस्थिति का रिकॉर्ड औसत रूप से ठीक कहा जा सकता है, लेकिन कुछ सांसदों को छोड़कर प्रश्न पूछने में बाकी संकोच कर गए। मुखरता में 315 प्रश्नों के साथ महाराष्ट्र और उपस्थिति में 216 बैठकों के साथ छत्तीसगढ़ के सांसद राज्यों में पहले स्थान पर रहे।
लोकसभा की कुल 273 बैठकें हुईं, जिनमें बिहार की औसत उपस्थिति 197 बैठकों की रही है। औसत रूप से बिहार के सांसदों के खाते में 119 प्रश्न दर्ज हैं। इनमें उन दस सांसद का रिकॉर्ड भी समाहित है, जो दहाई की संख्या से आगे प्रश्न पूछने से संकोच कर गए।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स के इस आकलन से केंद्रीय मंत्रियों का रिकॉर्ड समाहित नहीं है। पटना साहिब और पूर्वी चंपारण के सांसद क्रमश: रविशंकर प्रसाद और राधामोहन सिंह ने तो एक प्रश्न भी नहीं पूछा।
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