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क्या गिरिराज, चौबे से लेकर रमा देवी का कट जाएगा टिकट? NDA में युवा नेताओं की दावेदारी से बढ़ीं अटकलें, इंडी गठबंधन में भी माथापच्ची

देश भर में आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियां तेज हो गईं हैं। बताया जा रहा है कि ऐसे में महागठबंधन की तरफ से बिहार में ज्यादा उम्र के लोगों के बीच टिकट को लेकर उत्साह ज्यादा है। महागठबंधन या आइएनडीआइए में दावेदारी की स्थिति ठीक विपरीत है। कुछ नेता पिछले चुनाव में हार गए थे फिर भी इस बार उनके खिलाफ आवाज बुलंद करने को तैयार नहीं है।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek Pandey Updated: Wed, 27 Dec 2023 09:49 AM (IST)
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प्रस्तुति के लिएब इस्तेमाल की गई तस्वीर
राज्य ब्यूरो, पटना। लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। टिकटार्थी जुगाड़ में लग गए हैं। खास बात यह है कि राजग (NDA) से जुड़े दलों के युवा टिकट को लेकर उत्साह में हैं। लगभग यही उत्साह महागठबंधन के घटक दलों के बुजुर्ग उम्मीदवारों में है। यहां 75 पार के बुजुर्ग भी अंतिम चुनावी बाजी खेलने को तैयार हैं।

दूसरी तरफ राजग के युवा उन वर्तमान सांसदों की जन्मतिथि का पता लगा रहे हैं, जो चुनाव की घोषणा के समय 70 पार कर चुके होंगे। हालांकि दोनों गठबंधन में कुछ ऐसे चेहरे भी हैं, जिनकी राजनीतिक सक्रियता पर उम्र का प्रभाव नजर नहीं आता है। फिर भी संबंद्ध दलों के युवा चाहते हैं कि ये बुजुर्ग उनके लिए जगह खाली कर दें।

उत्तराधिकारियों की लंबी कतार

भाजपा में रमा देवी- शिवहर(1948), राधामोहन सिंह-पूर्वी चंपारण (1949), गिरिराज सिंह (Giriraj Singh)- बेगूसराय (1952), अश्विनी कुमार चौबे (Ashwini Choubey) -बक्सर(1953) और आरके सिंह (RK Singh) -आरा (1953) के लोकसभा क्षेत्रों में इन सबके उत्तराधिकारियों की लंबी कतार लग गई है।

अपेक्षाकृत युवा उम्मीदवारों को विश्वास है कि उनके लिए अवसर बन रहा है। लीक से अलग हटकर टिकट देने की भाजपा की परंपरा से भी ऐसे दावेदारों का उत्साह बढ़ा हुआ है। अधिक उम्र के बावजूद ये सभी सांसद अपने क्षेत्र में बहुत सक्रिय रहते हैं। इनकी सक्रियता पर उम्र का प्रभाव नजर नहीं आता है।

दावेदारी की स्थिति ठीक विपरीत

महागठबंधन या आइएनडीआइए (I.N.D.I.A) में दावेदारी की स्थिति ठीक विपरीत है। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार (1945) सासाराम से चुनाव लड़ती रही हैं। वह पिछला चुनाव हार गई थीं। फिर भी उनकी सीट पर कांग्रेस का कोई युवा खुलकर दावा नहीं कर रहा है।

कांग्रेस के सबसे बुजुर्ग पूर्व सांसद निखिल कुमार (1941) को पिछले चुनाव में औरंगाबाद से टिकट नहीं मिला था। वह सक्रिय हैं। पूर्व सांसद तारिक अनवर (1951) इस बार भी कटिहार लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रबल दावेदार हैं। जदयू में भी बुजुर्ग दावेदारों की कमी नहीं है।

सुपौल के सांसद दिलेश्वर कामैत (1946) इस बार भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। झंझारपुर में पूर्व सांसद मंगनीलाल मंडल (1948) जदयू टिकट के प्रबल दावेदार हैं। यह जदयू की जीती हुई सीट है। रामप्रीत मंडल (1956) जदयू के वर्तमान सांसद हैं।

भाजपा में जहां युवा टिकट को लेकर उत्साहित हैं तो राजग का घटक हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा की एक ही इच्छा है कि किसी तरह पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (1944) एक बार लोकसभा में चले जाएं।

वे 2014 और 2019 में गया लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े। दोनों बार हारे। अंतिम पारी के रूप में वह इस बार फिर चुनाव लड़ना चाहते हैं। मांझी इससे पहले 2020 में अंतिम पारी के नाम पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें उनकी जीत हुई थी।

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