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Hanuman Janmotsav 2022: कभी चंदे की ईंटों से बना था पटना का महावीर मंदिर; यहां बजरंगबली की युग्म प्रतिमाएं, राम सेतु का पत्‍थर

Hanuman Janmotsav 2022 पटना के महावीर मंदिर में बजरंगबली की युग्म प्रतिमाएं हैं। यहां राम सेतु का तैरता पत्‍थर भी रखा हुआ है। हनुमान जन्‍मोत्‍सव व रामनवमी आदि खास अवसरों पर यहां बड़ी संख्‍या में श्रद्धालु आते हैं। इस खबर में डालते हैं नजर मंदिर के इतिहास व वर्तमान पर।

By Amit AlokEdited By: Updated: Sat, 16 Apr 2022 11:42 AM (IST)
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पटना के महावीर मंदिर की फाइल तस्‍वीर।
पटना, ऑनलाइन डेस्‍क। Hanuman Jayanti 2022: हनुमान जन्‍मोत्‍सव के अवसर पर आज मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। बिहार की बात करें तो पटना के महावीर मंदिर (Mahavir Temple, Patna) के साथ भक्‍तों की विशेष आस्‍था जुड़ी है। पटना जंक्‍शन के पास बना यह भव्‍य मंदिर कभी एक पीपल के पेड़ के नीचे केवल एक प्रतिमा के रूप में था। कालक्रम में रेलवे की खाली जमीन पर बजरंगबली की जोड़ा प्रतिमाएं स्थापित की गईं और पूजा शुरू हो गई। वहां से गुजरती कच्‍ची सड़क पर ईंट ढोने वाली बैलगाडि़यों से चंदे में एक-एक ईंट इकट्ठा कर महावीर मंदिर बनाया गया। मंदिर का वर्तमान स्‍वरूप साल 1983 से 1985 के बीच आया। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां अन्‍य हनुमान मंदिरों से अलग बजरंगबली की युग्म मूर्तियां एक साथ हैं। यहां राम सेतु कर एक प्राचीन तैरता पत्‍थर भी रखा है।

मंदिर का वर्तमान रूप नया, अस्तित्‍व सदियों पुराना

पटना के महावीर मंदिर का वर्तमान रूप भले ही नया हो, लेकिन इसका अस्तित्‍व सदियों पुराना है। माना जाता है कि इसे 1730 में स्वामी बालानंद ने स्थापित किया था। साल 1900 तक मंदिर रामानंद संप्रदाय के पास रहा। आगे 1948 तक यह गोसाईं संप्रदाय के अंतर्गत रहा। साल 1948 में पटना हाइकोर्ट के आदेश से इसे सार्वजनिक मंदिर घोषित किया गया। मंदिर का वर्तमान रूप आचार्य किशोर कुणाल की देन है। उनके प्रयासों ने साल 1983 से 1985 के बीच इसका भव्‍य निर्माण कराया गया।

तब नैवेद्यम नहीं, लड्डू-पेड़ा से की जाती थी पूजा

गुलामी के दौर में वर्तमान महावीर मंदिर के पीछे अंग्रेजों की कैंटीन थी। मंदिर के पास स्थित लोहे का गेट रात में बंद हो जाता था, ताकि स्टेशन की ओर कोई जा नहीं सके। उस दौर में रात में ट्रेन नहीं चलती थी। मंदिर के सामने के बुद्ध स्मृति पार्क की जगह पर तब बांकीपुर जेल था। तब नैवेद्यम नहीं, लड्डू-पेड़ा व घरों से लाए गए पकवानों से हनुमान जी की पूजा की जाती थी। साल 1930 के आसपास पटना के मीठापुर निवासी महादेव लाल ने महावीर मंदिर के पास बेसन के लड्डू की दुकान खोली थी। इसके पहले यहां पेड़े की दुकान थी। मंदिर के पूरब चिरैयाटांड कुम्हारटोली के पास स्थित चंदवा पोखर में लोग स्नान कर श्रद्धालु महावीर मंदिर में पूजा करने जाते थे।

खास अवसरों पर मंदिर में उमड़ते हैं लााखे श्रद्धालु

इस मंदिर में रामनवमी के अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं का जन-सैलाब उमड़ता है। यह सिलसिला लंबे समय से चला आ रहा है। रामनवमी के दिन शोभा यात्रा की परंपरा भी नई नहीं है। रामनवमी के अलावा हनुमान जन्‍मोत्‍सव आदि अन्‍य खास अवसरों पर भी यहां बड़ी संख्‍या में श्रद्धालु आते हैं।

यहां रामसेतु का पत्थर, बजरंगबली की युग्म मूर्तियां

पटना के महावीर मंदिर की एक खास बात यह है कि यहां प्राचीन रामसेतु का 15 किलो का पानी में तैरता एक पत्थर कांच के बर्तन में रखा है। मंदिर देश के अन्‍य हनुमान मंदिरों से इस मायने में अलग है कि यहां बजरंगबली की युग्म मूर्तियां एक साथ स्‍थापित हैं। एक मूर्ति परित्राणाय साधूनाम् (अच्छे लोगों के कारज पूर्ण करने वाली) तो दूसरी मूर्ति विनाशाय च दुष्कृताम्बु (बुरे लोगों की बुराई दूर करने वाली) है। मंदिर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा की ओर है और गर्भगृह में भगवान हनुमान की मूर्तियां हैं। मंदिर में सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं।

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