विधानसभा में पटकनी खाए कई दिग्गजों ने पकड़ी उच्च सदन की राह, अब विधान परिषद बनी सहारा
बिहार की राजनीति में कई बड़े नेताओं ने विधानसभा चुनाव हारने के बाद विधान परिषद का रास्ता अपनाया है। नीतीश कुमार राबड़ी देवी और अब्दुल बारी सिद्दिकी जैसे कई नेता इसके उदाहरण हैं। विधानसभा में हार के बाद भी कई नेताओं ने विधान परिषद के माध्यम से अपनी राजनीतिक पकड़ बनाए रखी है।

रमण शुक्ला, पटना। बिहार की राजनीति में कई ऐसे दिग्गज चेहरे हैं, जो विधानसभा चुनाव में मुंह की खाने के उपरांत राजनीति में बने रहने के लिए उच्च सदन की राह पकड़ ली। विधानसभा चुनाव में हार के बाद कई धुरंधरों की जनता की अदालत में जाने की हिम्मत नहीं हुई।
ऐसी हस्तियों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी एवं विधान परिषद में विपक्ष के मुख्य सचेतक अब्दुल बारी सिद्दिकी के अतिरिक्त कई नाम सम्मिलित हैं।
वहीं, कुछ दिग्गजों ने विधानसभा पहुंचने का मोह छोड़कर विधान परिषद के लिए स्नातक, शिक्षक, स्थानीय प्राधिकार के अतिरिक्त विधान सभा कोटे एवं मनोनीत कोटे की शरण ली।
कई ने विधानसभा के लिए दांव आजमाया, लेकिन समीकरण पक्ष में नहीं रहने एवं शिकस्त झेलने के बाद कई बड़े नेताओं ने अब विधान परिषद का सहारा लिया है।
विधानसभा में हार के बाद भी राजनीतिक जमीन मजबूत बनाए रखने और सत्ता के केंद्र में अपनी हिस्सेदारी कायम रखने वाले धुरंधरों में विधान परिषद के सभापति गया स्नातक क्षेत्र से लगातार कई चुनाव विजयी रहे अवधेश नारायण सिंह, दरभंगा स्नातक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सर्वेश कुमार, पूर्वी चंपारण स्थानीय प्राधिकार क्षेत्र की नुमाइंदगी करने करने वाले महेश्वर प्रसाद सिंह का नाम शुमार है।
इसी तरह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, पूर्व मंत्री श्रीभगवान सिंह कुशवाहा, राजेंद्र प्रसाद गुप्ता जैसे प्रमुख चेहरे का नाम शुमार है।
किस चुनाव में कौन नकारे गए
लोकसभा में मुंह की खाने के उपरांत जनता का फैसला स्वीकार कर कई दिग्गज नेताओं ने राजनीति की नई राह चुनी है।
2004 में पूर्णिया से लोकसभा चुनाव हारने के उपरांत राजेंद्र प्रसाद गुप्ता वर्तमान में मनोनीत वाले कोटे से विधान परिषद में सत्तारूढ़ दल के उप नेता बने हुए हैं।
दिलीप जायसवाल 2014 में किशनगंज लोकसभा चुनाव हारने के उपरांत पूर्णिया, अररिया एवं किशनगंज स्थानीय प्राधिकार से विधान परिषद के सदस्य हैं।
वहीं, विधान परिषद नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी 2014 में सारण से लोकसभा चुनाव हारी और उससे पहले 2010 में राघोपुर से विधानसभा चुनाव में मुंह की खाने के बाद उच्च सदन राह पकड़ीं तो फिर जनता की अदालत में जाने का हिम्मत नहीं जुटा पाईं।
विधान परिषद में प्रतिपक्ष के मुख्य सचेतक अब्दुल बारी सिद्दिकी 2020 में दरभंगा जिले केवटी से चुनाव हार गए थे।
इसके बाद सिद्दिकी ने उच्च सदन की राह पकड़ ली। वर्तमान में दरभंगा स्नातक क्षेत्र का निर्दलीय प्रतिनिधित्व कर रहे सर्वेश कुमार ने 2015 में भाजपा के टिकट पर बेगूसराय जिले के मटिहानी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, लेकिन सफलता नहीं मिली।
इसके उपरांत सर्वेश ने उच्च सदन की राह पकड़ी। 2020 में दरभंगा स्नातक क्षेत्र से ने जदयू के दिलीप चौधरी को हराकर विधान परिषद पहुंचे थे।
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