चोरी वाले मोबाइल आसानी से तलाश लेती थी पुलिस, इसलिए गिरोह ने अब तरीका ही बदल दिया
Mobile Theft News पुलिस से बचने के लिए मोबाइल चोरों ने बदल दिया अपना तरीका। अब नई तरह से खपाए जा रहे हैं चोरी गए मोबाइल। पटना पुलिस 3 शातिर को गिरफ्तार करने के बाद मोबाइल दुकानदार को गिरफ्तार की है
जासं, पटना। चोरी, छिनतई और गुम होने वाले मोबाइल की रिकवरी के लिए पुलिस तत्पर हुई, तो चोरों ने अपना तरीका ही बदल दिया। बिहार के कई जिलों में अभियान चलाकर पुलिस ने चोरी के सैकड़ों मोबाइल बरामद किए। ऐसे मोबाइल को दोबारा आन करते ही पुलिस ट्रैक कर लेती थी। इसे देखते हुए चोर अब ऐसे मोबाइल को कभी भी आन ही नहीं करते हैं।
आइएमइआइ नंबर से नहीं बनता काम
पटना में कई ऐसे थाना क्षेत्र हैं, जहां सड़क पर मोबाइल से बात करना आसान नहीं है। क्या पता, कब कोई शातिर बाइक से आए और मोबाइल झपटकर फरार हो जाए। शिकायत मिलने पर पुलिस आइएमइआइ नंबर मांगती है और केस दर्ज तकनीकी अनुसंधान कर बरामदगी का दावा भी करती है। लेकिन, शातिर पुलिस की हर तकनीक से वाकिफ हो चुके है। लूट और छिनतई का मोबाइल मामूली दाम में पटना में ही बेच दे रहे है।
मामूली दाम पर बेच देते मोबाइल
चोर दुकानदार को मामूली दाम में मोबाइल बेचकर वह आसानी से निकल जाते हैं। दुकानदार लूट के मोबाइल के उस पार्ट को अगल कर देते हैं। जब कोई मोबाइल रिपेयरिंग के लिए आता है तो निकाले गए पार्ट को उसमें सेट कर ग्राहक से कंपनी के रेट के हिसाब से रुपये वसूल लेते हैं। इस तरह के एक गिरोह को राजीव नगर थाने की पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
गायघाट की दुकान से मिला था सामान
इसके पहले भी दो साल पहले गायघाट में एक दुकान से काफी मात्रा में कीमती मोबाइल रद्दी पार्ट को पुलिस ने बरामद किया था। इस्तेमाल किए जाने वाले पार्ट को मुजफ्फरपुर में बेच दिया गया था। हालांकि पकड़े गए शातिर ने कुछ नाम को उजागर किया था, लेकिन वह फर्जी निकला।
मोबाइल आन होने की बात कहकर टहलाती है पुलिस
मोबाइल गुम या स्नेचिंग की शिकायत दर्ज करने के बाद पीड़ित को आश्वासन दिया जाता है कि जैसे ही मोबाइल आन होगा लोकेशन ट्रेस कर पुलिस शातिर तक पहुंचने का प्रयास करेगी। पीड़ित एक सप्ताह, एक महीना, दो महीना थाने का चक्कर लगाते और पुलिस नंबर आन होने पर लाकेशन मिलने का इंतजार करती है। थक हारकर पीड़ित थाने पर जाना बंद कर देता है और पुलिस रिकार्ड में मामला लंबित रह जाता है।
एक साल बाद भी नहीं मिला मोबाइल
पीड़ित सुरेश कुमार का मोबाइल जगदेव पथ पर शातिर ने छीन लिया। केस दर्ज कराने के लिए पहले तो उन्हें हवाई अड्डा, रूपसपुर और शास्त्रीनगर का चक्कर लगाना पड़ा। केस दर्ज हुआ, लेकिन एक साल बाद भी मोबाइल नहीं मिला। इस तरह के दर्जनों केस गांधी मैदान, शास्त्रीनगर, गांधी मैदान, कोतवाली, गर्दनीबाग, कदमकुआं, कंकड़बाग, पत्रकारनगर थाने में लंबित हैं। इधर शातिर सेट दुकानदार को महज एक हजार से 15 सौ रुपये में चोरी और स्नेचिंग का मोबाइल बेच देते है। दुकानदार मोबाइल के पार्ट को खोलकर अगल कर देते हैं।
फुटेज मिलने के बाद भी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आते शातिर
अधिकांश वारदात के बाद पीड़ित खुद ही पुलिस को मोबाइल स्नेचिंग करते हुए बाइक सवार शातिर का फुटेज देती है तो कई बार पुलिस खुद फुटेज निकालती है। फुटेज मिलने के बाद भी शातिर लगातार मोबाइल स्नेचिंग करते रहते हैं। फुटेज के आधार पर भी पुलिस शातिर की पहचान तो दूर बाइक की पहचान तक नहीं कर पाती।