Modi Cabinet: ललन से लेकर चिराग और मांझी से लेकर गिरिराज... मंत्रालय देकर PM मोदी ने सेट किया 2025 का 'गेम'
रामनाथ ठाकुर एवं राजभूषण चौधरी को मंत्रिमंडल में सम्मिलित कर 36 प्रतिशत ईबीसी में 112 वर्गों में बंटे लगभग पांच करोड़ मतदाता को लुभाने का प्रयास किया। उल्लेखनीय है कि इससे राजग के आधार मतदाता में पचपनिया पर अच्छा खासा प्रभाव पड़ेगा। जदयू से राज्य मंत्री बनाए गए रामनाथ ठाकुर (हजाम/नाई) समुदाय से हैं। इसके बाद डा. राजभूषण चौधरी (मल्लाह/निषाद/केवट/कामत) हैं। मिथिलांचल में दोनों जातियों का मत निर्णायक रहता है।
रमण शुक्ला, पटना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल के मंत्रिमंडल में बिहार के जातिगत समीकरण साधने की दूरगामी पहल की है। मोदी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के जनाधार वाले 36 प्रतिशत ईबीसी (अत्यंत पिछड़ा वर्ग) से दो एवं 19 प्रतिशत एससी में (पासवान एवं मुसहर) जाति को कैबिनट में प्रतिनिधित्व देकर विधानसभा चुनाव को साधने की बिसात बिछा दी है।
इसके अलावा पिछड़ा वर्ग में 14 प्रतिशत आबादी वाले यादव समुदाय से नित्यानंद राय के माध्यम से राजद के आधार वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। वहीं, सवर्णों में ब्राह्मण (सतीश चंद्र दुबे) एवं भूमिहार (गिरिराज सिंह एवं ललन सिंह) समुदाय से तीन मंत्री बनाकर छह प्रतिशत वोट बैंक को लक्ष्य बनाया है। इस रणनीति से राजग ने बिहार में विशेषकर उत्तर बिहार के मतदाता के बीच दूरगामी संदेश देने का भरसक प्रयास किया है।
रामनाथ व राजभूषण से 112 जातियों को साधने की जुगत
रामनाथ ठाकुर एवं राजभूषण चौधरी मंत्रिमंडल में सम्मिलित कर 36 प्रतिशत ईबीसी में 112 वर्गों में बंटे लगभग पांच करोड़ मतदाता को लुभाने का प्रयास किया है। उल्लेखनीय है कि इससे राजग के आधार मतदाता में पचपनिया पर अच्छा खासा प्रभाव पड़ेगा।जदयू कोटे से राज्य मंत्री बनाए गए रामनाथ ठाकुर (हजाम/नाई) समुदाय से हैं। इसके बाद डा. राजभूषण चौधरी (मल्लाह/निषाद/केवट/कामत) हैं। मिथिलांचल में दोनों जातियों का मत निर्णायक रहता है।
अहम यह कि इन जातियों के मतदाता आम तौर पर चुनाव के दौरान मौन साधकर रहते हैं, जबकि दबंग कही जाने वाली यहां की बड़ी जातियां अलग-अलग नेताओं एवं राजनीतिक दलों के समर्थन में खुल्लमखुल्ला रहती है।
मिथिलांचल में दरभंगा, झंझारपुर, मधुबनी, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, उजियारपुर, सुपौल और मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में पचपनिया का सर्वाधिक प्रभाव हैं। राजग का आकलन है कि पिछले तीन चुनाव में मिली जीत में इनकी अहम भूमिका रही है। इसलिए इस समूह पर अपना दावा मजबूत करने के लिए उनकी बिरादरी के नेताओं को भाजपा-जदयू द्वारा तरजीह दी जा रही है।
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