MP Election 2023: MP विधानसभा चुनाव में JDU के नाम दर्ज है ये शर्मनाक रिकॉर्ड, बिहार के इन राजनीतिक दलों का भी वही हाल
Madhya Pradesh Election 2023 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए JDU ने अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। समाजवादी पार्टी के बाद जेडीयू के उम्मीदवारों की लिस्ट ने INDIA की सियासी एकजुटता पर सवाल खड़ा कर दिया है। हालांकि मध्यप्रदेश के चुनावों का इतिहास देखा जाए तो भाजपा और कांग्रेस के अलावा किसी अन्य पार्टी को कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है।
अरुण अशेष, पटना। अभी जदयू ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पांच उम्मीदवारों की सूची जारी की है। इसे I.N.D.I.A.आइएनडीआइए में मतभेद के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।
जदयू की भाजपा से और राजद से कांग्रेस की दोस्ती के दिनों में भी बिहार की कुछ राजनीतिक पार्टियां मध्य प्रदेश में उम्मीदवार देती रही हैं।
यह अलग बात है कि चुनावी सफलता के नाम पर बिहार की पार्टियों के पास जमानत पिटवाने का ही रिकॉर्ड ही बनता रहा। तीन दलों में से सिर्फ जदयू के दो उम्मीदवारों को अब तक सफलता मिली।
MP में इसलिए उम्मीदवार उतारती थी JDU
जदयू का मध्य प्रदेश से लगाव इसलिए था, क्योंकि पार्टी के संस्थापकों में से एक शरद यादव इसी प्रदेश के थे। शरद यादव की इच्छा का सम्मान करते हुए जदयू वहां उम्मीदवार देता था।
यह 1998 से शुरू हुआ। 2018 में शरद जदयू से अलग हो गए थे। इसलिए जदयू का उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़़ा।
इस अवधि में जदयू को सिर्फ दो विधानसभा चुनावों में एक-एक सीट पर सफलता मिली। अधिसंख्य सीटों पर उसकी जमानत ही पिटती रही।
MP में JDU ने 1998 में लड़ा था पहला चुनाव
मध्य प्रदेश में जदयू ने पहला विधानसभा चुनाव 1998 में लड़ा। 144 उम्मीदवार थे। 135 की जमानत नहीं बची। पाटन सीट पर सोबरान सिंह बाबूजी की जीत हुई।
जदयू को कुल चार लाख, 96 हजार 951 वोट मिले। 2003 में उम्मीदवारों की संख्या घटकर 36 रह गई। बड़वारा से सरोज बच्चन नायक चुनाव जीते। 33 की जमानत जब्त हुई। सभी उम्मीदवारों को मिलाकर एक लाख 40 हजार 651 वोट मिले।
2008 में जब्त हो गई थी सभी उम्मीदवारों की जमानत
2008 का मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव जदयू के लिए बहुत बुरा रहा। 49 उम्मीदवारों में से किसी की भी जमानत नहीं बची। वोट भी 71 हजार 609 पर सिमट गया।
2013 में जदयू के केवल 22 उम्मीदवार मैदान में उतरे। एक की जमानत बच पाई। हालांकि, 2008 की तुलना में वोट बढ़कर 85 हजार पार कर गया।
2018 में शरद यादव जदयू से अलग हो गए थे। इधर जदयू की भाजपा से दोस्ती हो गई थी। उस चुनाव में जदयू ने उम्मीदवार नहीं दिया।
राजद और लोजपा का भी वही हाल
1998 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में राजद के 10 उम्मीदवार खड़े थे। दल को 0.01 प्रतिशत वोट मिला। बताने की जरूरत नहीं है कि किसी उम्मीदवार की जमानत नहीं बच पाई।
2003 में राजद के तीन और 2008 में चार उम्मीदवार खड़े हुए। न वोट प्रतिशत बढ़ा और न किसी की जमानत की रकम लौटी।
2013 में राजद ने साहस नहीं दिखाया। लोजपा के 28 उम्मीदवार खड़े हुए। 0.11 प्रतिशत वोट के साथ सभी जमानत गंवा बैठे।
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