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'अंतरिम बजट चुनावी भाषण से ज्यादा कुछ नहीं', VIP चीफ मुकेश सहनी का निर्मला सीतारमण पर निशाना

वीआईपी चीफ मुकेश सहनी ने कहा कि बिहार इस अंतरिम बजट से फिर से ठगा महसूस कर रहा है। बिहार के लोगों को आशा थी कि इस चुनावी वर्ष में भी पिछड़े इस राज्य के विकास के लिए कुछ मिलेगा लेकिन फिर से निराशा हाथ लगी। मुकेश सहनी ने आगे कहा कि बजट में भी पूर्व के बजट की भांति 2047 में विकसित भारत का सुनहरा सपना दिखाया गया है।

By Arun Ashesh Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 01 Feb 2024 07:49 PM (IST)
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'अंतरिम बजट चुनावी भाषण से ज्यादा कुछ नहीं'- VIP चीफ मुकेश सहनी
राज्य ब्यूरो, पटना। विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के संस्थापक और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने कहा कि सही अर्थों में केंद्र सरकार का अंतरिम बजट चुनावी भाषण से ज्यादा कुछ नहीं है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जिस तरह संसद में बजट पेश कर रही थी, उससे साफ लग रहा था कि वे चुनावी भाषण दे रही हैं। बजट में न आधारभूत संरचना की बात कही गई है और न ही किसानों के कल्याण और उनकी तरक्की का मार्ग सुझाया गया है।

उन्होंने कहा कि बिहार इस अंतरिम बजट से फिर से ठगा महसूस कर रहा है। बिहार के लोगों को आशा थी कि इस चुनावी वर्ष में भी पिछड़े इस राज्य के विकास के लिए कुछ मिलेगा, लेकिन फिर से निराशा हाथ लगी।

मुकेश सहनी ने आगे कहा कि बजट में भी पूर्व के बजट की भांति 2047 में विकसित भारत का सुनहरा सपना दिखाया गया है। इस बजट से एक बार फिर औद्योगिक घरानों को मदद मिलेगी और गांव के किसान और युवा अच्छे दिनों का इंतजार करेंगे।

औपनिवेशिक ब्लूप्रिंट के हर सिद्धांत की नकल है : दीपंकर भट्टाचार्य

भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा है कि केंद्र सरकार औपनिवेशिक ब्लूप्रिंट के हर सिद्धांत की नकल है। पिछले साल दिसंबर में संसद में सुरक्षा उल्लंघन को लेकर दर्ज यूएपीए मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपी व्यक्तियों के बारे में दिल्ली की एक अदालत को सूचित किया गया है कि उन्हें यातना दी गई। विभिन्न कोरे कागजातों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। कथित अपराध व राजनीतिक दलों के साथ संबंध कबूल करने के लिए बिजली के झटके दिए गए।

उन्होंने कहा कि हर कोई जानता है कि उन आरोपी व्यक्तियों को भाजपा के एक सांसद के सौजन्य से संसद भवन में प्रवेश का पास मिला था और गृह मंत्री अमित शाह से जब संसद सुरक्षा उल्लंघन पर बयान की मांग गई, तब विपक्षी सांसदों को निलंबित तक कर दिया गया।

माले महासचिव ने कहा कि भारत के प्रदर्शनकारी युवाओं को जेल, यातना और हत्या, इससे पता चलता है कि औपनिवेशिक शासक हम पर कैसे शासन करते थे। कारावास और यातना से लेकर छल-प्रपंच, घृणा और विभाजन तक, मोदी शासन ने औपनिवेशिक ब्लूप्रिंट के हर सिद्धांत की नकल की है।

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