Bihar News बिहार के गांव के लोगों के लिए अच्छी खबर सामने आई है। अब सरकार ग्रामीण इलाकों में तीन बार पानी की सप्लाई करने की घोषणा की है। प्रधान सचिव पंकज कुमार ने इसे लेकर दिशानिर्देश भी जारी किया है। पंप को चालू व बंद करने का समय अनुरक्षक द्वारा दर्ज किया जाएगा। सरकार की इस घोषणा से गांव के लोगों का पानी की किल्लत नहीं होगी।
राज्य ब्यूरो,
पटना। Bihar Nal Jal Yojna: ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिदिन तीन बार पेयजल की आपूर्ति होगी। लोक स्वास्थ्य व अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) के प्रधान सचिव पंकज कुमार ने इससे संबंधित दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। निर्देश का उल्लंघन करने पर अनुरक्षकों (पंप आपरेटरों) सहित इंजीनियरों और अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई होगी।
शीत ऋतु में प्रतिदिन सात घंटे पेयजल आपूर्ति होगी और शेष छह माह छह घंटे।
पंचायती राज विभाग द्वारा संचालित हर घर नल का जल की 70157 योजनाएं पीएचईडी को हस्तांतरित हो चुकी हैं। 28 जिलों के 58003 वार्डों में इन योजनाओं का संचालन हो रहा है।
ये रहेगी टाइमिंग
पीएचईडी की पहले से संचालित योजनाओं की तरह इनकी देखरेख के संदर्भ में भी समग्र दिशा-निर्देश जारी किया गया है। तीन ऋतुओं (ग्रीष्म, वर्षा, शीत) में दोपहर और शाम में पेयजल आपूर्ति का समय यथावत है, लेकिन शीत ऋतु में सुबह के समय में अंतर और विस्तार है। जलापूर्ति की अवधि अक्टूबर से मार्च तक सुबह 06:00 बजे से 09:00 बजे तक होगी। इससे इतर माह में यह अवधि सुबह 05:00 बजे से 07:00 बजे तक होगी।
वर्षपर्यंत दोपहर में 01:00 बजे से 02.00 बजे तक और शाम में 04:00 बजे से 06:00 बजे तक पाइप से पेयजल की आपूर्ति होगी।
पेयजल आपूर्ति में मनमानी व अनदेखी न हो, इसके लिए भी पीएचडी के प्रधान सचिव ने उचित व्यवस्था कर दी है।
वार्ड की दो महिला सदस्य करेगी हस्ताक्षर
प्रतिदिन तीन पालियों में मोटर पंप के चालू व बंद करने का समय लाग बुक में अनुरक्षक द्वारा दर्ज किया जाएगा। वार्ड की दो महिला सदस्यों द्वारा उस पर हस्ताक्षर कराया जाएगा। हस्ताक्षर के साथ उनका मोबाइल नंबर भी दर्ज होगा, ताकि जांच के समय उनसे पुष्टि की जा सके।
अंतिम छोर पर अवस्थित घर की महिलाओं को प्राथमिकता दी जानी है। प्रत्येक उपभोक्ता परिवार से प्रति माह 30 रुपये शुल्क की वसूली भी अनुरक्षक द्वारा ही की जाएगी। पेयजल आपूर्ति से जुड़े छोटे कार्य भी उसे ही संपन्न करने हैं।
जैसे कि पानी की टंकी, पंप हाउस, बोरिंग का चैंबर, परिसर आदि की साफ-सफाई के अलावा रिसाव आदि की स्थिति में उस गली के गेट वाल्व को बंद करना आदि। उपभोक्ताओं के साथ उसे प्रति माह जल चौपाल का आयोजन भी करना है।
उसे पानी के नमूनों का संग्रह करना है और फील्ड टेस्ट किट से पंचायत स्तरीय जांच केंद्र में जांच करानी है। पोर्टल पर प्रविष्टि भी करनी है। मानसून से पहले और अंत में पेयजल गुणवत्ता की जांच और पानी की टंकी की सफाई अनिवार्य रूप से होगी।
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