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Nalanda Open University: सेवानिवृत्त शिक्षकों के भरोसे एनओयू, 10 लाख से अधिक विद्यार्थी हो चुके हैं उत्तीर्ण

राज्य सरकार ने नालंदा खुला विश्वविद्यालय के लिए 2019 में शिक्षकों के 117 और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के 87 पद चिह्नित किए थे। इन पदों पर नियुक्ति के लिए आजतक प्रक्रिया प्रारंभ ही नहीं हो सकी है। एनओयू के पूर्व कुलसचिव डा. एसपी सिन्हा ने बताया कि शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ नहीं होने के पीछे प्रमुख कारण विश्वविद्यालय का परिनियम है।

By Jai Shankar Bihari Edited By: Rajat Mourya Updated: Wed, 21 Aug 2024 03:38 PM (IST)
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यूजीसी ने मान्यता के लिए विश्वविद्यालय से मांगी है पूर्णकालिक शिक्षकों की सूची

जयशंकर बिहारी, पटना। राज्य में 10 लाख से अधिक विद्यार्थियों को स्नातक और स्नातकोत्तर की उपाधि प्रदान करने वाले नालंदा खुला विश्वविद्यालय में एक भी स्थायी शिक्षक नहीं हैं। राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों से सेवानिवृत्त हुए शिक्षक ही अधिसंख्य कोर्स के समन्वयक हैं। कंप्यूटर और शिक्षा छोड़ दें तो किसी विषय में पूर्णकालिक शिक्षक नहीं हैं।

विश्वविद्यालय को नैक एक्रिडेशन में सी ग्रेड और स्नातक व स्नातकोत्तर कोर्स में पिछले दो वर्षों से नामांकन की मान्यता स्थगित होने का प्रमुख कारण स्थायी शिक्षकों का नहीं होना ही बताया जा रहा है। एनओयू 2022 तक मान्यता व गैर मान्यता प्राप्त 115 कोर्स संचालित करता था। इसमें यूजी और पीजी के 59 कोर्स शामिल थे।

इसमें नामांकन के लिए यूजीसी के दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो से मान्यता अनिवार्य होता है। 2022 में नैक एक्रिडेशन के अभाव में विश्वविद्यालय की मान्यता स्थगित कर दी गई थी। पिछले साल नैक एक्रिडेशन में विश्वविद्यालय को सी ग्रेड मिला। उसके बाद मान्यता बहाल करने के लिए विश्वविद्यालय ने आवेदन किया तो शिक्षकों की कमी के कारण बात आगे नहीं बढ़ रही है।

शिक्षकों के 117 पद किए गए थे चिह्नित

राज्य सरकार ने नालंदा खुला विश्वविद्यालय के लिए 2019 में शिक्षकों के 117 और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के 87 पद चिह्नित किए थे। इन पदों पर नियुक्ति के लिए आजतक प्रक्रिया प्रारंभ ही नहीं हो सकी है। एनओयू के पूर्व कुलसचिव डा. एसपी सिन्हा ने बताया कि शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ नहीं होने के पीछे प्रमुख कारण विश्वविद्यालय का परिनियम है।

इसके अनुसार शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग ही कर सकता है। बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया में एनओयू शामिल ही नहीं है। वर्तमान आयोग राज्य के रेगुलर विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति के लिए प्रक्रिया संचालित कर रहा है। इसमें एनओयू शामिल नहीं है।

नियमित नहीं हैं तो पूर्णकालिक की दें सूची

दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो के अधिकारियों का कहना है कि मान्यता के लिए 2018 के परिनियम के अनुसार शिक्षकों की उपलब्धता और सुविधाएं अनिवार्य हैं। यूजी व पीजी की मान्यता के लिए शिक्षकों की उपलब्धता पहली शर्त है।

यदि किसी विश्वविद्यालय के पास पर्याप्त नियमित शिक्षक नहीं हैं तो पूर्णकालिक शिक्षकों की सूची उपलब्ध करा दें। संबंधित विषय में मान्यता के लिए कम से कम तीन शिक्षकों का होना अनिवार्य है। विश्वविद्यालय द्वारा सर्टिफिकेट व डिप्लोमा कोर्स संचालन के लिए दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो से मान्यता की आवश्यकता नहीं है।

दो साल से यूजी व पीजी की मान्यता स्थगित है। यूजीसी ने कई बिंदुओं को चिह्नित किया है। इस संबंध में जल्द ही पत्राचार किया जाएगा। उनसे नियमित संपर्क के लिए टीम गठित की गई है। इस सत्र में नामांकन प्रारंभ कराने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। - डॉ. संजय कुमार, प्रभारी कुलपति, एनओयू

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