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नालंदा जहां देवानंद व हेमामालिनी की फिल्‍म की शूटिंग हुई, हेरिटेज साइट भी बना, फिर भी उपेक्षित

फिल्‍म जानी मेरा नाम की शूटिंग प्राचीन नालंदा विवि के भग्नावशेष नालंदा रेलवे स्टेशन तथा राजगीर के विश्व शांति स्तूप को जाने वाले रज्जू मार्ग पर हुई थी। तब से लेकर अब तक लगभग 51 साल बीत गए लेकिन नालन्दा रेलवे स्टेशन व खंडहर की दीवारें अब भी उपेक्षित हैं।

By Sumita JaiswalEdited By: Updated: Thu, 01 Apr 2021 05:20 PM (IST)
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प्राचाीन नालंदा यूनिवर्सिटी की तस्‍वीर, फाइल फोटो।
नालंदा, राकेश पांडेय । 70 के दशक में एक फिल्‍म आई थी। जिसका नाम था जॉनी मेरा नाम। इस फिल्म के प्रमुख किरदार देवानंद व हेमामालिनी थे। इस फिल्म का एक बेहद खूबसूरत गाना 'ओ मेरे राजा ,खफा न होना, देर से आई, दूर से आई, वादा तो निभाया, इंतजार के इक-इक पल का बदला लूंगा। ऐसा भी क्या..... की शूटिंग प्राचीन नालंदा विवि के भग्नावशेष, नालंदा रेलवे स्टेशन तथा राजगीर के विश्व शांति स्तूप को जाने वाले रज्जू मार्ग पर हुई थी। पूरे 10 दिनों तक शूटिंग चली थी। तब से लेकर अब तक लगभग 51 साल बीत चुके हैं। लेकिन नालन्दा रेलवे स्टेशन व खंडहर की दीवारें अब भी उपेक्षित हैं। हालांकि नालंदा के प्राचीन विवि के भग्नावशेष को तो कागज पर वर्ल्‍ड हेरिटेज साइट का दर्जा प्राप्त हो गया है।

घोषणा हुई पर कागज पर ही

सालों पहले नालन्दा स्थित रेलवे स्टेशन को भी अपग्रेड करने की घोषणा हो चुकी है। परन्तु आम लोगों की नजर में इन दोनों स्थानों पर कुछ भी नया नही दिख रहा है। खंडहर के पास न तो योजनाबद्ध तरीके के सुविधाओं का ख्याल रखा गया और न ही नालन्दा स्टेशन पर कुछ खास सुविधाओं की बढ़ोतरी हुई। हां, राजगीर के रज्जुमार्ग में चलने वाले रोपवे को 1 से 8 सीटर होने में लगभग 51 साल लग गए। इसी साल उसे अपग्रेड किया गया है। खंडहर के मुख्य गेट का अगल-बगल में बेतरतीब झोपड़ीनुमा दुकानें इस वर्ल्‍ड हेरिटेज साइट को मुंह चिढ़ा रही है। खंडहर के अंदर कुछ कार्य हाल के महीनों में हुआ है। टिकट काउंटर का निर्माण कराया गया है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि अगर कोई पर्यटक विवि के भग्नावशेष को देख कर गेट से बाहर हो जाय और उसे टॉयलेट जाना हो तो फिर से टिकट लेकर अंदर जाना होगा या फिर म्यूजियम परिसर में टिकट लेकर दाखिल होना होगा। इसके अलावा दूसरा कोई चारा नही है। अन्य विकल्पों में म्यूजियम परिसर से सटे सरकारी विद्यालय के खुले होने की स्थिति में वहां के शौचालय का प्रयोग करना पड़ता है।

सुविधाओं की कमी खलती है

विश्व विरासत सूची में शामिल इस ऐतिहासिक साइट के निकट शाम छह बजे के बाद वीरानी छा जाती है। ठीक ऐसी ही स्थिति नालन्दा रेलवे स्टेशन की है। न तो स्टेशन परिसर के इर्द गिर्द अतिरिक्त भवन का निर्माण हुआ है और न ही अन्य सुविधाओं का इंतजाम।  एक अदद फ्लाईओवर भी इस स्टेशन की नसीब नही है। यात्री अपनी जान हथेली पर रखकर रेलवे लाइन पर कर ही आना जाना करते हैं। जानकारी हो कि ऐतिहासिक नालन्दा स्टेशन बी श्रेणी का दर्जा प्राप्त स्टेशन है। पिछले एक दो साल पूर्व ही इसके अपग्रेडेशन की बात की गई थी। किंतु अभी तक कुछ भी नया काम नही हुआ है। जबकि साल 2001 में इसे क्रॉसिंग स्टेशन की सुविधा मिल गयी थी। जबकि दो साल पूर्व से ही इस लाइन को विद्युतीकरण किया जा चुका है। इस लाइन से राजधानी पटना, हावड़ा, बनारस तथा दिल्ली के लिए ट्रेन सहित कुल 10 ट्रेनें चलती हैं। हालांकि कोरोना को लेकर कुछ ट्रेनों को रद करने के अलावा नई ट्रेनों का भी विस्तार किया गया है। फिलहाल राजगीर नई दिल्ली श्रमजीवी एक्सप्रेस के क्लोन ट्रेन का भी परिचालन किया जा रहा है।

एनएसजी श्रेणी 6 दर्जा प्राप्त है नालंदा स्टेशन

नालंदा रेलवे स्टेशन को एनएसजी 6 का दर्जा मिला है। इसके तहत स्टेशन पर प्लेटफार्म सहित महज 8 से 10 प्रकार की सुविधाएं प्रदान की गई हैं। जिनमें पेयजल, लगभग 35 वर्गमीटर का प्रतीक्षालय, टिकट काउंटर, साइनेज, घड़ी, उद्घोषणा प्रणाली की सुविधा है। अभी भी मूत्रालय तथा सौंदर्य प्रसाधन, वाटर कूलर, ऊपरी पुल, पंखा, इलेक्ट्रॉनिक गाड़ी प्रदर्शन आदि का निर्माण कराया नही गया है।

क्या बोले अधिकारी

इस संबंध में जब दानापुर मंडल के डीआरएम सुनील कुमार से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि नालंदा ऐतिहासिक महत्व का स्टेशन है। इसके विकास को लेकर मंत्रालय सजग है। नए वित्तीय वर्ष में मंत्रालय से मिले फंड के आलोक में विकास के कार्य किये जाएगा। जिसमें ऊपरी पुल तथा अन्य भवनों का निर्माण करा कर इसका सौंदर्यीकरण किया जाएगा। जिसमें अन्य विकास के कार्य शामिल है।

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