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Lalan Singh: ललन सिंह बिहार में करने जा रहे ऐसा काम, जिसकी हमेशा होगी चर्चा; पटना में 3 दिन तक चलेगा कार्यक्रम

बिहार में पहली बार सभी राज्यों के पंचायती राज विभाग का राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित होने जा रहा है। 10 से 12 सितंबर तक पटना में आयोजित होने वाली कार्यशाला में बिहार के अलावा 27 राज्यों सहित पांच केंद्र शासित प्रदेशों के 800 से अधिक प्रतिनिधि सहभागी होंगे। कार्यशाला का उद्घाटन केंद्रीय पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह करेंगे।

By Vikash Chandra Pandey Edited By: Mukul Kumar Updated: Tue, 27 Aug 2024 10:41 PM (IST)
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केंद्रीय मंत्री ललन सिंह की फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार में पहली बार सभी राज्यों के पंचायती राज विभाग का राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित होने जा रहा है। 10 से 12 सितंबर तक पटना में आयोजित होने वाली कार्यशाला में बिहार के अलावा 27 राज्यों सहित पांच केंद्र शासित प्रदेशों के 800 से अधिक प्रतिनिधि सहभागी होंगे।

पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता ने मंगलवार को बताया कि कार्यशाला का उद्घाटन केंद्रीय पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह करेंगे।

पंचायती राज मंत्रालय की ओर से अभी तक छह राज्यों (पंजाब, महाराष्ट्र, केरल, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर और आंध्र प्रदेश) में अलग-अलग छह थीमों पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ है। ''सामाजिक रूप से न्यायपूर्ण और सामाजिक रूप से सुरक्षित पंचायत'' वाले सातवें थीम पर पटना में कार्यशाला का आयोजन हो रहा है।

उस दौरान विभिन्न राज्यों में किए जा रहे बेहतर व नवाचारी प्रयोगों को एक-दूसरे से शेयर किया जाएगा। वीडियो के माध्यम से प्रेजेंटेशन होगा। कार्यशाला में पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा सामाजिक सुरक्षा सहित चार-पांच मुद्दों पर परिचर्चा भी होगी।

परिचर्चा के विषय

गरीबी मुक्त एवं उन्नत आजीविका पंचायत, स्वस्थ पंचायत, चाइल्ड फ्रेंडली पंचायत, जल पर्याप्त पंचायत, स्वच्छ एवं हरित पंचायत, आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचे वाली पंचायत, सामाजिक रूप से न्यायपूर्ण और सामाजिक रूप से सुरक्षित पंचायत, सुशासन वाली पंचायत और महिला हितैषी पंचायत पर परिचर्चा होनी है।

बहुआयामी हैं चुनौतियां

विभाग का मानना है कि पंचायतों में विकास की चुनौतियां बहुआयामी हैं। इसमें बहुआयामी गरीबी, जन स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा, लैंगिक असमानता, पेयजल, स्वच्छता और सफाई के अलावा पर्यावरण की रक्षा प्रमुख हैं।

आजीविका का साधनों के विकास की भी चुनौती है। पंचायतों के सतत विकास के लिए इन सभी पहलुओं पर उपलब्धि आवश्यक है।

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