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बिहार मंत्रिमंडल विस्‍तार में राजपूत और कुशवाहा की बल्‍ले-बल्‍ले, निराश हुए यादव और भूमिहार

नीतीश मंत्रिमंडल के पहले विस्‍तार में जातिगत समीकरणों पर खास ख्‍याल रखा गया है। भाजपा और जदयू ने हर वर्ग ख्‍याल रखा है। हालांकि राजपूत-कुशवाहा का खास ख्‍याल रखा गया है। अल्‍पसंख्‍यकों का खुलकर साथ दिया । यादवों से थोड़ी बेरूखी रही तो भूमिहार को भी कम तरजीह मिली।

By Sumita JaiswalEdited By: Updated: Wed, 10 Feb 2021 08:44 PM (IST)
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सीएम नीतीश कुमार, डिप्‍टी सीएम रेणु देवी व तारकिशोर प्रसाद की तस्‍वीर ।
पटना, अरुण अशेष । नीतीश कैबिनेट के पहले विस्तार (In the first cabinet Expansion)  में उन सामाजिक समूहों और इलाकों (Social groups and areas) को रिटर्न गिफ्ट (return gift) दिया गया, जहां विधानसभा चुनाव (State Assembly Elections)  में एनडीए (National Democratic Alliance) को थोक वोट मिले थे। नए समूहों को जोडऩे और जोड़े रखने के लिए तीन बातों पर ध्यान केंद्रित किया गया। एक-उन समूहों को अधिक जगह जो चुनाव के दौरान ढुलमुल थे। लेकिन, भविष्य में एनडीए में जुडऩे की गुंजाइश है। दो-ऐसे समूहों को कम तरजीह, जिनकी प्रतिबद्धता गैर-एनडीए दलों के साथ चिन्हित है। तीन-वह समूह, जिसे कम जगह मिले, तब भी इधर उधर नहीं जा सकता है।

राजपूत और कुशवाहा एमएलए को तरजीह

ढुलमुल वोटरों को भविष्य में एनडीए से जोडऩे की गरज से राजपूत और कुशवाहा बिरादरी के विधायकों को तरजीह दी गई। पहले विस्तार में 17 नए मंत्री बने हैं। इनमें एक तिहाई से अधिक कुल छह (चार राजपूत-दो कुशवाहा) इसी समूह से हैं। एक दौर में अल्पसंख्यक समुदाय (minority community) के लोगों ने एनडीए और खासकर जदयू (JDU) का खुलकर साथ दिया था। जदयू इस वोट बैंक से नाउम्मीद नहीं हुआ है। भाजपा और जदयू  (BJP and JDU) ने एक-एक अल्पसंख्यक (मो. शाहनवाज हुसैन और मो. जमा खां ) को पुरस्कृत किया।

यादवों से बेरूखी

भाजपा प्रभारी भूपेंद्र यादव और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की गंभीर पहल के बावजूद एनडीए यादव वोटरों को लेकर बहुत इत्मीनान नहीं हो पा रहा है। इसलिए विस्तार में किसी यादव विधायक को जगह नहीं मिली। जदयू कोटा से बिजेंद्र प्रसाद यादव (Bijendra Prasad Yadav) और भाजपा से रामसूरत कुमार राय (Ramsurat Kumar Rai ) पहले से कैबिनेट में शामिल हैं। एनडीए के कोर वोटरों में ब्राह्मण और भूमिहार बिरादरी के मतदाता माने जाते हैं। विस्तार में दो ब्राहमणों (संजय झा और आलोक रंजन) को जगह दी गई। मंगल पांडेय पहले से थे। हां, भूमिहारों का प्रतिनिधित्व कम हुआ है। इस समूह के बारे में शायद यह सोच है कि ये स्थानीय और सामाजिक कारणों से इधर-उधर नहीं भटकेंगे। भाजपा और जदयू में पहले ही इस बिरादरी के एक-एक विधायक को (जदयू के विजय कुमार चौधरी और भाजपा के जीवेश कुमार) मंत्री पद दे रखा है। इसी बिरादरी के विधायक विजय कुमार सिन्हा विधानसभा अध्यक्ष हैं। नीतीन नवीन को कैबिनेट में जगह देकर भाजपा ने अपने प्रतिबद्ध कायस्थ वोटरों का ख्याल रखा।

लोजपा फैक्टर का असर

अनुसूचित जाति के विधायकों को मंत्री पद देने में लोजपा फैक्टर का पूरा ख्याल रखा गया है। आज के विस्तार के बाद भी पासवान बिरादरी के सिर्फ एक सदस्य (भाजपा के रामप्रीत पासवान) नीतीश कैबिनेट में रहेंगे। पासवान को लोजपा का कोर वोटर माना जाता है। एनडीए के साथ जुडऩे की गुंजाइश वाली अनुसूचित जाति को विस्तार में जगह दी गई है। रविदास बिरादरी के दो सदस्यों-भाजपा के जनक राम और जदयू के अनिल कुमार को जगह दी गई है। पासी बिरादरी के अशोक चौधरी पहले से मंत्री हैं। जीतनराम मांझी के पुत्र संतोष कुमार भी मंत्री हैं।

वैश्य-अतिपिछड़ों पर खास नजर

वैश्य और अति पिछड़ी जाति के विधायकों को भी उनकी बिरादरी की प्रतिबद्धता के हिसाब से जगह दी गई है। भाजपा कोटे के दो उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी के अलावा विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश सहनी पहले से कैबिनेट में हैं। आज के विस्तार में नारायण प्रसाद, प्रमोद कुमार और मदन सहनी को मंत्री पद दिया गया है।

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