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    मगध क्षेत्र में नए प्रत्याशियों पर दांव लगा सकता है NDA, पिछले चुनावों में 20 सीटों पर मिली थी हार

    Updated: Sun, 31 Aug 2025 02:02 PM (IST)

    पटना से खबर है कि मगध प्रमंडल के पांच जिलों के 26 विधानसभा क्षेत्रों में एनडीए के समीकरण बदल सकते हैं। 2020 के चुनाव में एनडीए को 20 सीटों पर हार मिली थी। नवादा जहानाबाद औरंगाबाद और गया में नए प्रत्याशियों के उतरने की संभावना है। कई सीटों पर अंदरूनी राजनीति भी तेज है।

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    मगध क्षेत्र में एनडीए के भीतर नए समीकरण व प्रत्याशियों पर खूब हो रही बात

    भुवनेश्वर वात्स्यायव,पटना। मगध प्रमंडल के पांच जिलों में स्थित 26 विधानसभा क्षेत्रों में इस बार एनडीए के भीतर नए समीकरण व प्रत्याशियों के मैदान में उतरने की चर्चा जोरों पर है। इसके मूल में 2020 का विधानसभा चुनाव है।

    उक्त विधानसभा चुनाव में 20 सीटों पर एनडीए के प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा था। एनडीए की स्थिति इतनी बुरी हो गई थी कि पांच जिलों में तीन जिले ऐसे थे, जहां एनडीए का खाता भी नहीं खुल सका था।

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    बदला-बदला सा है नवादा का समीकरण  

    नवादा जिले में पांच विधानसभा क्षेत्र हैं। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में नवादा जिले में केवल एक विधानसभा क्षेत्र वारसलिगंज से एनडीए की प्रत्याशी भाजपा की अरुणा देवी को जीत मिली थी। शेष चार विधानसभा क्षेत्रों में महागठबंधन के प्रत्याशी की जीत हुई थी।

    इस बार नवादा का समीकरण प्रत्याशियों के लिहाज से बदल जाएगा यह तय है। वर्ष 2020 के चुनाव में नवादा विधानसभा क्षेत्र से जदयू की टिकट पर कौशल यादव मैदान में थे। उनके सामने राजद की विभा देवी थी और उन्हें जीत मिली थी।

    हाल ही में कौशल यादव ने राजद की सदस्यता ली है। अब विभा देवी को राजद अपना प्रत्याशी बनाएगा या नहीं इस पर खूब बातें हो रहीं। इस बीच विभा देवी के पति राजवल्लभ यादव भी सजामुक्त हाेकर वापस लौट आए हैं।

    गोविंदपुुर से जदयू की टिकट पर 2020 में मैदान में रहीं पूर्णिमा यादव भी अपने पति के साथ राजद में रहेंगी। वहां से मो. कामरान को राजद के टिकट पर सफलता मिली थी। वह राजवल्लभ यादव के करीबी हैं। रजौली में भी समीकरण बदलने की चर्चा है।

    जहानाबाद में भी प्रत्याशियों के नाम बदलेंगे 

    जहानाबाद जिले में तीन विधानसभा क्षेत्र हैं। तीनों पर 2020 के चुनाव को एनडीए को हार मिली थी। जहानाबाद से जदयू की टिकट पर कृष्णनंदन वर्मा थे। वह चुनाव हार गए थे। उम्र के लिहाज से वह इस बार मैदान में नहीं दिख सकते हैं।

    घोसी से जदयू के टिकट पर जगदीश शर्मा के पुत्र राहुल कुमार को हार मिली थी। इस बार पार्टी में चर्चा है कि वहां भी जदयू किसी नए प्रत्याशी को उतारेगी। मखदूमपुर सीट पर हम के उम्मीदवार की हार हुई थी।

    अरवल की दो सीटों पर अरवल में भाजपा तथा कुर्था में जदयू को हार मिली थी। कुर्था मे जदयू ने सत्येंद्र कुशवाहा को टिकट दिया था।

    औरंगाबाद की छह सीटों पर अंदरूनी राजनीति

    औरंगाबाद की छह सीटों पर अंदरूनी राजनीति बड़े स्तर पर है। कई खेमे सक्रिय हैं। पिछली बार इस जिले में एनडीए को एक सीट भी नहीं मिली थी। गोह से भाजपा के मनोज कुमार शर्मा चुनाव हार गए थे। इस बार भी वह सक्रिय हैं।

    नवीनगर से जदयू के वीरेंद्र कुमार सिंह की हार हो गयी थी। कुटुंबा से हम को हार मिली थी। औरंगाबाद से रामाधार सिंह पिछली बार भाजपा के उम्मीदवार थे पर हार गए थे। इस बार भी उनकी दावेदारी चल रही पर कौन खेमा हावी होगा यह आने वाले महीने में सामने आएगा।

    गया की 10 सीटों पर आगे बढ़ाने की कवायद 

    गया जिले में 10 सीटों पर पांच पर एनडीए का कब्जा है। एनडीए की कवायद यह संख्या को आगे बढ़ाने की है। अतरी सीट पर पिछली बार मनोरमा देवी को जदयू ने टिकट दिया था।

    अब वह बेलागंज की विधायक हैं। इसलिए अतरी में नया प्रत्याशी संभव है। गुरुआ में भाजपा को हार मिली थी। शेरघाटी में जदयू के विनोद प्रसाद यादव चुनाव हार गए थे। बोधगया में भाजपा के हरि मांझी हार गए थे। इन सब सीटों पर नए समीकरण की चर्चा हो रही।

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