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बिहार में नल जल योजना लक्ष्य प्राप्ति के करीब, सिर्फ 1659 वार्डों में ही काम बाकी

बिहार में एक हजार छह सौ 59 को छोड़ सभी वार्ड के घरों में नल का जल पहुंच गया है। 57 हजार छह सौ तीन वार्डों में काम पूरा हो गया है। पंचायती राज विभाग के जिम्मे वाले सिर्फ तीन सौ 52 वार्डों में काम चल रहा है।

By Akshay PandeyEdited By: Updated: Sat, 05 Mar 2022 05:32 PM (IST)
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बिहार के उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद। जागरण आर्काइव।
राज्य ब्यूरो, पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी हर घर नल जल योजना अब शत प्रतिशत लक्ष्य की ओर बढ़ गया है। सरकार का दावा है कि एक हजार छह सौ 59 को छोड़ सभी वार्ड के घरों में नल का जल पहुंच गया है। राज्य में वार्डों की संख्या एक लाख, 17 हजार दो सौ है। इनमें चार हजार दो सौ वार्ड शहरी निकायों के हैं। उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के मुताबिक जल्द ही बचे वार्डों का काम पूरा कर लिया जाएगा। राज्य सरकार के तीन विभाग पंचायती राज, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण और नगर विकास को इस योजना के कार्यान्वयन की जिम्मेवारी दी गई है। पंचायती राज विभाग को 57 हजार नौ सौ 95 वार्डों के घरों में नल जल पहुंचाने का जिम्मा दिया गया था। अब तक 57 हजार छह सौ तीन वार्डों में काम पूरा हो गया है। वार्ड के हिसाब से देखे तो पंचायती राज विभाग के जिम्मे वाले सिर्फ तीन सौ 52 वार्डों में काम चल रहा है। 

पीएचइडी रह गया पीछे

पीएचइडी (लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग) का काम दो हिस्से में है। उसे ग्राम पंचायतों के सामान्य घरों में पेयजल पहुंचाना है। इसके अलावा गुणवत्ता प्रभावित इलाके की भी जिम्मेवारी है। विभाग को सामान्य इलाके 26 हजार दो सौ 39 वार्डों का जिम्मा दिया गया था। 26 हजार 88 वार्डों में काम पूरा हो गया है। इस श्रेणी के एक सौ 51 वार्ड बचे हुए हैं। उप मुख्यमंत्री ने बताया कि गुणवत्ता प्रभावित 30 हजार एक सौ 63 वार्डों की जिम्मेवारी लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग को दी गई थी। 29 हजार तीन सौ 35 वार्डों में लक्ष्य हासिल हो चुका है। गुणवत्ता प्रभावित सिर्फ 828 बचे हुए हैं।

तीन सौ 28 वार्डों में काम बाकी

नगर विकास एवं आवास विभाग को शहरी क्षेत्र के तीन हजार, तीन सौ 70 वार्डों का जिम्मा दिया गया था।  तीन हजार 42 शहरी वार्डों के घरों में नल के जरिए पेयजल की आपूर्ति हो रही है। तीन सौ 28 वार्ड का काम बचा हुआ है। उप मुख्यमंत्री ने बताया कि अगले वित्त वर्ष में पेयजल की योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए एक हजार एक करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है। यह राशि योजना कार्यान्वयन के अलावा अनुरक्षण मद में खर्च होगी। 

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