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Neet Exam Paper Leak: नीट परीक्षा धांधली में नया मोड़, जिस प्रश्नपत्र को जलाया गया अब उसके...

Bihar News नीट यूजी पेपर लीक कांड की जांच कर रही बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई इससे जुड़ी सभी कड़ियों को संजोने में जुट गई है। अब तक अभ्यर्थी उनके अभिभावक दलाल और सरगना के सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया था लेकिन नालंदा निवासी सरगना संजीव सिंह की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। अब पुलिस को कुछ ऐसे सबूत जुटा ली है जिससे प्रकरण का खुलासा हो सकता है।

By Prashant Kumar Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Sun, 16 Jun 2024 01:12 PM (IST)
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नीट परीक्षा पेपर लीक मामले में नया खुलासा (जागरण फोटो)
प्रशांत कुमार, पटना। Neet Paper Leak: नीट यूजी पेपर लीक कांड की जांच कर रही बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई इस प्रकरण से जुड़ी सभी कड़ियों को संजोने में जुट गई है। अब तक अभ्यर्थी, उनके अभिभावक, दलाल और सरगना के सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन नालंदा निवासी सरगना संजीव सिंह की गिरफ्तारी नहीं हो सकी।

सूत्रों की मानें तो संजीव सिंह के गिरफ्तार सहयोगी अमित आनंद ने पुलिस के सामने कबूल किया था कि उसने प्रश्नपत्र और उत्तर जला दिए थे, जिनके अवशेष को शास्त्री नगर थाने की पुलिस ने बरामद किया था। प्रश्नपत्र, बुकलेट की शक्ल में होते हैं। अंक के बढ़ते क्रम से पन्नों को एक साथ लगाकर बुकलेट तैयार किया जाता है।

जानकार बताते हैं कि नीट यूजी 2024 में 32 पन्नों का बुकलेट था। प्रत्येक बुकलेट पर सीरियल कोड मोटे अक्षरों में लिखा होता है। यह कार्य प्रिंटिंग प्रेस में ही पूरा किया जाता है। इसके बाद उन्हें वेयर हाउस और फिर जिला मुख्यालयों से परीक्षा केंद्रों तक भेजा जाता है। अमित के फ्लैट से जला बुकलेट मिला था। उसके सीरियल कोड जांच एजेंसी को वहां तक पहुंचा सकता है, जहां से प्रश्नपत्र लीक हुए थे।

अंग्रेजी के अक्षर और अंक मिलाकर होता है सीरियल कोड

सूत्रों की मानें तो प्रश्नों के बुकलेट का सीरियल कोड अंग्रेजी के शब्द जैसे ए, बी, सी, डी... और अंक यानी 1, 2, 3, 4... को संयुक्त रूप से तैयार किया जाता है। जानकार बताते हैं कि अगल-अलग शहरों के लिए सीरियल कोड भी भिन्न होता है।

सीरियल कोड के अनुसार प्रिंटिंग प्रेस में ही प्रश्नपत्रों को बक्से में बंद कर वेयरहाउस तक भेजा जाता है। वहां से निर्धारित कोड के तहत प्रश्नपत्र जिला मुख्यालय के स्ट्रांग रूम में भेजे जाते हैं। अमित के फ्लैट पर जले प्रश्नपत्र पर अंकित सीरियल कोड अगर जांच एजेंसी को मिल जाता है तो यह मालूम हो सकता है कि वो बुकलेट किस जिला मुख्यालय में भेजा जाना था।

यह भी पता चल पाएगा कि वह बुकलेट किसी अभ्यर्थी को दिया गया था नहीं? यदि बुकलेट किसी अभ्यर्थी को मिला था, मतलब कि उसकी तस्वीर लेकर प्रसारित किया गया था। अगर नहीं, फिर वह प्रिंटिंग प्रेस, वेयरहाउस या जिला मुख्यालय से प्राप्त किया गया था। बुकलेट गायब होने पर जिम्मेदार व्यक्ति ने प्राथमिकी कराई थी या नहीं? इससे लीक करने वाले लोगों की भूमिका स्थापित हो सकेगी।

स्वीकार की थी लीक की बात

अमित आनंद मूलरूप से मुंगेर जिले के कोतवाली थानांतर्गत मंगल बाजार गुमटी नंबर दो इलाके का निवासी है। वह पटना के शास्त्री नगर थाना क्षेत्र की एजी कालोनी में लालू खटाल के पास स्थित कुलदीप बीमा आदित्य अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 202 में किराये पर रह रहा था।

उसने पांच मई को शास्त्री नगर थाने के दारोगा तेज नारायण सिंह के समक्ष बयान दिया था, जिसमें नीट यूजी का प्रश्नपत्र लीक हो गया था। उसने अभ्यर्थियों को रटवाया था। उसने प्रश्नपत्र और उत्तर जला दिए थे। वह पहले भी पेपर लीक करा अभ्यर्थियों को उत्तर रटवा चुका है।

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