NEET Paper Leak: बिहार की सियासत में एंट्री चाहता था पेपर लीक का आरोपी संजीव; LJP के टिकट पर लड़ चुका है चुनाव
नीट पेपर लीक का मुख्य आरोपी बिहार की सियासत में भी एंट्री करना चाहता था। पत्नी को पंचायत का मुखिया बनाने के बाद वह जदयू के टिकट पर अपनी पत्नी को विधानसभा का चुनाव लड़ाना चाहता था। जदयू से टिकट नहीं मिलने पर उसने 2020 में लोजपा के टिकट पर अपनी पत्नी को विधासभा का चुनाव लड़ाया लेकिन सीधी टक्कर के बावजूद वह 29 हजार वोटों से हार गया।
जागरण टीम, पटना। मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी के प्रश्नपत्र लीक मामले के मुख्य आरोपित संजीव कुमार उर्फ लूटन पर गलत तरीके से नौकरी पाने या तकनीकी कॉलेजों में नामांकन पाने के इच्छुक अभ्यर्थियों और उनके अभिभावकों का बड़ा भरोसा रहा है।
इसी भरोसे के दम पर वर्ष 2016 में संजीव ने अपनी गृह पंचायत नालंदा जिले के नगरनौसा प्रखंड के भूतहाखार से पत्नी ममता देवी को मुखिया का चुनाव लड़वाया और वह जीत भी गई। तब से लोग संजीव को संजीव मुखिया या लूटन मुखिया के नाम से संबोधित करते आ रहे हैं।
संजीव ने पंचायत में समर्थन की बदौलत ही बिहार की राजनीति में प्रवेश का मार्ग ढूंढा। पहले उसने पत्नी को जद यू से जोड़ा और हरनौत विधायक हरिनारायण सिंह के विकल्प के तौर पर दल में उभारने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली।
2020 में लोजपा के टिकट पर लड़ा विस चुनाव चुनाव
2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू से टिकट नहीं मिलने पर संजीव ने मुखिया पत्नी ममता देवी को लोजपा के टिकट पर हरनौत से विधानसभा का चुनाव लड़वाया। पत्नी सीधे मुकाबले में आ गई, लेकिन विधायक हरिनारायण सिंह से लगभग 29 हजार मतों के बड़े अंतर से पराजित हो गई।
2021 में सहयोगी को लड़ाया चुनाव
विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद संजीव उर्फ लूटन ने पत्नी को दूसरी बार वर्ष 2021 मुखिया का चुनाव लड़ाना प्रतिष्ठा के विरुद्ध माना। चूंकि, संजीव का अपना प्रभाव कायम था, इसलिए अपने एक निकट सहयोगी की पत्नी को मुखिया का चुनाव जितवा दिया।
2016 में पत्नी को फिर लड़ाया मुखिया का चुनाव
2016 का पंचायत चुनाव सीटों के आरक्षण के आधार पर हुआ था। भूतहाखार पंचायत महिला आरक्षित हो गया था। इस चुनाव में मुखिया रघुवंश मणि ने अपनी पुत्रवधु को उम्मीदवार बनाया था। राजद नेता सुरेंद्र यादव ने भतीजे की पत्नी को चुनाव मैदान में उतारा था।
इस बीच चुनाव में संजीव कुमार ने पत्नी ममता देवी का नामांकन करा दिया। जिससे मुखिया का चुनाव क्षेत्र में चर्चित हो गया। ममता देवी लगभग तीन सौ मतों से चुनाव जीत गईं।
क्या कहते हैं संजीव के प्रतिद्वंदी?
निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहीं सुधा देवी के चचेरे ससुर सुरेंद्र यादव ने बताया कि युवाओं में संजीव उर्फ लूटन के प्रति भरोसा था कि कहीं न कहीं नौकरी की सेटिंग करा ही देंगे। इस भरोसे ने उसे वोट और पैसे भी दिलाए। उन्होंने दावा किया कि उस चुनाव में पंचायत से एक हजार युवाओं ने लूटन को शैक्षिक प्रमाण पत्र सुपुर्द किया था।
कैसे बना पेपर लीक का मुख्य आरोपी?
सुरेंद्र यादव कहते हैं कि गलत तरीके से रुपये के बल पर नौकरी या नामांकन पाने के लालची लोगों का भरोसा बने रहने के कारण ही लूटन सिपाही भर्ती, शिक्षक भर्ती और मेडिकल प्रवेश परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक करने का मुख्य आरोपी बन बैठा। इससे क्षेत्र की बदनामी हो रही है।
कभी आर्थिक अपराध इकाई तो कभी सीबीआइ की टीम संजीव उर्फ लूटन के गांव भूतहाखार पंचायत के यारपुर बलवा में छापेमारी करने पहुंच रही है। नीट-यूजी पेपर लीक की जांच सीबीआइ को सौंपे जाने से संजीव से लाभान्वित हुए युवक और उसके स्वजन भी सशंकित हैं।
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