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NEET Paper Leak Case: नीट पेपर लीक मामले में मुख्य आरोपी संजीव मुखिया पर कसा शिकंजा, तकनीकी सहायक पद से हुआ सस्पेंड

नीट पेपर लीक मामले (NEET Paper Leak Case) में बड़ी कार्रवाई हुई है। घोटाले के मुख्य आरोपी संजीव मुखिया के खिलाफ शिकंजा कसा गया है। संजीव पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए फरार चल रहा था। उसे उद्यान महाविद्यालय के तकनीकी सहायक पद से सस्पेंड कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि संजीव दो महीने से बिना किसी सूचना के स्कूल नहीं आ रहा था।

By Mukul Kumar Edited By: Mukul Kumar Updated: Sun, 21 Jul 2024 08:01 PM (IST)
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार में नीट पेपर लीक मामले में आरोपित एवं फरार चल रहे संजीव कुमार उर्फ संजीव मुखिया पर शिकंजा कसता जा रहा है। पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए फरार चल रहे संजीव को उद्यान महाविद्यालय, नूरसराय, नालंदा के तकनीकी सहायक पद से निलंबित कर दिया गया है।

संजीव दो महीने से बगैर सूचना महाविद्यालय नहीं आ रहे थे। इसे गंभीरता से लेते हुए बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर के निदेशक प्रशासन ने कार्रवाई की है। साथ ही संजीव को निलंबन अवधि में हार्टीकल्चर रिसर्च सेंटर, किशनगंज में सेवा देने का आदेश दिया गया है।

इससे पहले संजीव मुखिया के विरुद्ध अखबारों में विज्ञापन देकर उद्यान महाविद्यालय, नूरसराय, नालंदा के प्रशासन ने कार्यालय में उपस्थित होने की चेतावनी दी थी, लेकिन संजीव ने बीमार होने की सूचना देकर फरार है।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले उद्यान महाविद्यालय प्रशासन ने संजीव के नगरनौसा थाना स्थित यारपुर वलवा गांव के पते पर सूचना देकर उपस्थित होने का निर्देश दिया था। छह मई से पांच जून-2024 अवकाश देने का अनुरोध किया था। लेकिन स्वयं कभी महाविद्यालय कार्यालय में उपिस्थत नहीं हुआ।

इससे पहले, तीन बार पत्र भेजकर कार्यालय में उपस्थित होने का चेतावनी भी दी गई थी। अब संजीव के विरुद्ध कार्रवाई की गई है। अहम यह है कि आरोप को गंभीर मानते हुए आगे सेवा से बर्खास्त करने की भी तैयारी की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर में भी काम कर चुका है और लगभग डेढ़ दशक से संजीव कुमार महाविद्यालय कार्यरत है।

हेराफेरी की लंबी फेहरिस्त

संजीव मुखिया की हेराफेरी का पुराना भी रिकार्ड रहा है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर में प्रतिनियुक्ति पर रहते हुए पहले भी निलंबित हो चुका है। तब संजीव पर दायित्व में गड़बड़ी करने का आरोप लगा था। दिलचस्प यह है कि संजीव महाविद्यालय में कार्यरत रहते हुए कार्यालय नहीं आता था।

संजीव के बदले कोई और उसकी उपस्थिति बनाता था। यह भी जांच का विषय है। सीबीआइ इस मामले में भी जांच कर ही है। संजीव बिहार से बाहर रहता था और उसकी उपस्थिति कार्यालय में दर्ज हो जाती थी।

सीबीआई संजीव के मोबाइल लोकेशन के आधार पर महाविद्यालय की उपस्थिति पंजी के साथ-साथ बायोमिट्रिक उपस्थिति संबंधित रिकार्ड को खंगालने की तैयारी कर रही है।

पूर्व वीसी मेवालाल के समय बोलती थी तूती

संजीव मुखिया की बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर के पूर्व वीसी मेवालाल चौधरी के समय तूती बोलती थी। मुखिया की हनक इतनी थी कि बड़े-बड़े रसूखदार अधिकारी भी खौफ में रहते थे। उद्यान महाविद्यालय, नूरसराय से कृषि विश्वविद्यालय, सबौर तक के उच्चाधिकारी को किनारे कर मनमर्जी करता था।

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