यूपी पुलिस भर्ती पेपर लीक मॉड्यूल पर बाहर आया NEET का प्रश्नपत्र! NTA अधिकारियों से हो सकती है पूछताछ
अब तक की जांच से स्पष्ट हो चुका है कि उत्तरप्रदेश पुलिस सिपाही भर्ती बीपीएससी शिक्षक नियुक्ति और नीट के पेपर लीक करने में एक ही संगठित गिरोह का हाथ है जिसका सरगना नालंदा जिले के नगरनौसा का रहने वाला संजीव सिंह है। बीपीएससी शिक्षक नियुक्ति पेपर लीक में भी उसका नाम आया था लेकिन आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) उसे दबोचने में नाकाम रही।
जागरण संवाददाता, पटना। NEET UG Paper Leak राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) अंडर ग्रेजुएट (यूजी) का पेपर लीक कांड की जांच कर रही एसआइटी (विशेष अनुसंधान इकाई) को कई हैरान करने वाली जानकारियां मिली हैं, लेकिन कार्रवाई की रफ्तार स्थिर पड़ गई है।
अब तक की जांच से स्पष्ट हो चुका है कि उत्तरप्रदेश पुलिस सिपाही भर्ती, बीपीएससी शिक्षक नियुक्ति और नीट के पेपर लीक करने में एक ही संगठित गिरोह का हाथ है, जिसका सरगना नालंदा जिले के नगरनौसा का रहने वाला संजीव सिंह है।
बीपीएससी शिक्षक नियुक्ति पेपर लीक में भी उसका नाम आया था, लेकिन आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) उसे दबोचने में नाकाम रही। हालांकि, उसका बेटा डॉ. शिव कुमार मध्य प्रदेश के उज्जैन से पकड़ा गया था। डॉ. शिव को पटना पुलिस ने नीट 2017 का प्रश्नपत्र लीक करने की कोशिश में बख्तरबंद वाहन से गिरफ्तार किया था, जिसमें उसके साथ डॉ. शुभम मंडल भी था।
दोनों उस वक्त एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। अभी शुभम यूपी की जेल में बंद है। इसी वर्ष मार्च में यूपी एफटीएफ की मेरठ यूनिट ने उसे दानापुर की आदर्श कालोनी से गिरफ्तार किया था। उसने यूपी पुलिस को बताया था कि किस तरह सिपाही भर्ती परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक किया गया था। ऐसा माना जा रहा है कि नीट यूजी का पेपर भी उसी माध्यम से बाहर आया था।
वेयरहाउस से निकला था सिपाही भर्ती का प्रश्नपत्र
यूपी पुलिस की पूछताछ में डॉ. शुभम मंडल ने बताया था कि उसने सिपाही भर्ती का प्रश्नपत्र अहमदाबाद स्थित टीसीआइ एक्सप्रेस कंपनी की वेयरहाउस से गायब किया था। वह वेयरहाउस में कंपनी का कर्मचारी बन कर घुसा था। जिस ट्रंक में पेपर रखा था, उसके पीछे का कब्जा को पेचकस और प्लास से उखाड़ दिया। इसके बाद उसमें रखे प्रश्नों के सभी सेट को बारी-बारी निकाल कर स्कैन कर लिया था।प्रश्नपत्र सील बंद लिफाफे में थे। उसे उखाड़ने के बाद इलेक्ट्रॉनिक मशीन से उसने दोबारा सील कर दिया था। पेपर निकालने के लिए वह पांच फरवरी को बिहार से फ्लाइट लेकर अहमदाबाद गया था। इसके एवज में उसे परीक्षा के बाद 15 लाख रुपये मिलने वाले थे। हालांकि, पेपर लीक का मामला पुलिस तक पहुंच गया और उसे रकम नहीं मिल सकी। गौर हो कि डा. शुभम कटिहार में पदस्थापित था।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।इसलिए आगे से नहीं खोला कब्जा
जानकार बताते हैं कि जिस स्टील के ट्रंक में प्रश्नपत्र रखे गए थे, उसके आगे का कब्जा निकाल कर वहां कोड वाले इलेक्ट्रानिक लाक लगा दिए जाते हैं। कोड की जानकारी केवल कस्टोडियन को होती है। हर स्तर पर बक्सा और लाक का कोड बदल जाता है। मसलन, जब प्रिंटिंग प्रेस से वेयर हाउस पर प्रश्नपत्र पहुंचते हैं तो वे बड़े ट्रंक में होते हैं। इसके बाद राज्यवार प्रश्नपत्र बांटे जाते हैं। राज्य में आने के बाद केंद्रवार प्रश्नपत्र बंटते हैं, लेकिन हर बार ट्रंक के आगे इलेक्ट्रानिक लाक लगा होता है। बिना कोड वह लाक नहीं खुल सकता। उसे उखाड़ कर अगर दूसरा लाक लगाया जाए तो कोड बदल जाएगा। यही कारण है कि शातिर ट्रंक के पीछे का कब्जा उखाड़ कर प्रश्नपत्र बाहर निकालते हैं।शुभम ने यूपी पुलिस की पूछताछ में यह भी बताया था कि जहां-जहां प्रश्नपत्र रखे जाते हैं, उन सभी स्थानों तक माफिया पकड़ बनाने की फिराक में रहते थे। वेयरहाउस से स्ट्रांग रूम तक माफिया और उनके गुर्गे मंडराते रहते थे। मकसद, परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र हाथ लगना है।एनटीए से इन सवालों के जवाब मांग सकती एसआइटी
- नीट के प्रश्नपत्र किसने तैयार किए थे और उनकी छिपाई किस राज्य के प्रिंटिंग प्रेस में की गई थी?
- वहां से प्रश्नपत्रों को किस एजेंसी के माध्यम से किस शहर में कहां रखा गया था?
- वेयरहाउस से प्रश्नपत्रों को किस माध्यम से बिहार भेजा गया और वहां से जिला मुख्यालयों में कैसे पहुंचे?
- ट्रांसपोर्टिंग एजेंसी का चयन किस आधार पर किया गया था?
- वेयरहाउस से लेकर स्ट्रांग रूम तक के कस्टोडियन के नाम, पते और संवर्ग।