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NEET UG Result 2023 में बिहार के छात्रों का जलवा, 64 हजार 916 छात्र सफल; पटना के शशांक कुमार बने राज्य टॉपर

Bihar NEET Topper बिहार के दो छात्रों ने ऑल इंडिया रैंक 20 के अंदर जगह बनाई है। पटना के शशांक कुमार की ऑल इंडिया रैंक (NEET AIR) 14 आई है। 715 अंक लाकर शशांक कुमार बिहार टॉपर बने हैं। वहीं दूसरे नंबर पर शशांक सिन्हा हैं।

By Jagran NewsEdited By: Roma RaginiPublished: Wed, 14 Jun 2023 10:32 AM (IST)Updated: Wed, 14 Jun 2023 10:49 AM (IST)
NEET UG Result 2023: पटना के शशांक कुमार बनें बिहार के नीट टॉपर

पटना, जागरण संवाददाता। NEET UG Topper 2023 Bihar Topper: नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने मंगलवार की देर शाम मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट यूजी 2023 का रिजल्ट जारी कर दिया है। पटना के शशांक कुमार बिहार टॉपर हैं। शंशाक ने आल इंडिया 14वीं रैंक हासिल किया है।

शशांक कुमार (Bihar NEET Topper) को 720 में 715 अंक और उसे 99.999068 परसेंटाइल मिला है। वहीं, कटिहार के शाशांक सिन्हा ने 720 में 712 अंक प्राप्त कर आल इंडिया 20वीं रैंक प्राप्त की है। उसे 99.999018 परसेंटाइल प्राप्त किया है।

64916 स्टूडेंट ने किया क्वालीफाई

बता दें कि नीट यूजी में राज्य के 64 हजार 916 विद्यार्थी क्वालीफाई किया हैं। राज्य से एक लाख 21 हजार 647 विद्यार्थियों ने रजिस्ट्रेशन किया था। इसमें एक लाख 18 हजार 533 विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे।

नीट यूजी 2022 में एक लाख तीन हजार 691 ने रजिस्ट्रेशन किया था, जिसमें 98 हजार 668 शामिल हुए थे। 55 हजार 709 क्वालीफाई हुए थे।

आकाश बायजूस पटना ने प्रेस रिलीज में बताया कि शशांक सिन्हा ने आकाश बायजूस के पटना सेंटर में 9वीं कक्षा में नामांकन लिया था। कोविड महामारी के दौरान उसकी पिता की मौत हो गई। शशांक का मां, बड़ी बहन, शिक्षकों और आकाश बायजूस पटना केंद्र ने हौसला बढ़ाया।

अन्य छात्रों के लिए शशांक ने क्या दिए टिप्स

शशांक सिन्हा छात्रों को टिप्स देते हुए बताते हैं कि नीट परीक्षा बहुत प्रतिस्पर्धी है। पाठ्यक्रम को अच्छी तरह से संशोधित करने के लिए पर्याप्त समय दें। शांत रहना और अच्छा शारीरिक स्वास्थ्य रखना महत्वपूर्ण है।

वे आगे कहते हैं कि हमेशा परीक्षा के अंकों के बारे में चिंता नहीं करें। कमजोर विषयों का आकलन करने और उनपर अधिक काम करना चाहिए।

(बिहार सेकेंड टॉपर शशांक सिन्हा)

उन्होंने पिता को खोने के बाद के दौर को याद करते हुए कहा कि तब पढ़ाई में मन नहीं लगता था, लेकिन काउंसलरों और शिक्षकों की मदद से सब बेहतर होता चला गया।


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