Bihar Schools: अंग्रेजी बोलेंगे बिहार के बच्चे, गणित के सवाल भी मिनटों में करेंगे हल! इस खास योजना पर काम कर रही सरकार
नीतीश सरकार बिहार की शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने में जुटी है। केके पाठक के नेतृत्व में शुरू हुए सुधार कार्यक्रमों को एसीएस एस सिद्धार्थ आगे बढ़ा रहे हैं। इसी क्रम में विभाग निपुण बिहार योजना के क्रियान्वयन पर काम कर रही है। अगर यह योजना सफल होती है तो वह दिन दूर नहीं जब बिहार के सरकारी स्कूलों के बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते और मिनटों सवाल हल करते मिलें।
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Government Schools : बिहार के प्राइमरी स्कूलों के 65 लाख बच्चे भाषा और गणित में बुनियादी रूप से दक्ष बनेंगे। इसके लिए शिक्षा विभाग ने निपुण बिहार योजना के क्रियान्वयन को लेकर विद्यालय स्तर पर अभियान चलाने जा रहा है।
इस योजना के तहत दो लाख शिक्षक प्रशिक्षित किए गए हैं। ये शिक्षक बच्चों को भाषा एवं गणित में दक्ष बनाने में जुटेंगे। बच्चों में विद्यालय के प्रति ललक पैदा करने के लिए अभिभावकों को जागरूक किया जाएगा।
पहली से तीसरी कक्षा के बच्चों को भाषा, गणित और अंग्रेजी की अभ्यास पुस्तिका भी उपलब्ध कराई जाएगी। लक्ष्य है कि 2026-27 तक शत-प्रतिशत बच्चों में सार्वभौमिक बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान प्राप्त करने के लिए भाषा और गणित का समुचित ज्ञान हो।
क्या है सरकार की योजना?
प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के अनुसार, राज्य के सरकारी स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक में लिखने-पढ़ने की आदत विकसित की जा रही है। बच्चों को स्कूल बैग, कॉपी, कलम, पानी की बोतल एवं कंपास दिए जा रहे हैं।
निपुण बिहार योजना के तहत बच्चों को भाषा, गणित एवं अंग्रेजी की अभ्यास पुस्तिकाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं। पहली कक्षा में नामांकित बच्चे स्कूल जाने के लिए तत्पर रहें, इसके लिए अभियान चलाए जा रहे हैं।
क्या है सरकार का उद्देश्य
इसका उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान को शिक्षा के बुनियादी स्तर को मजबूत करना है। इसके मद्देनजर बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन निपुण भारत की शुरुआत हुई।
इसके तहत यह लक्ष्य भी है कि बच्चे स्वच्छता और अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखें। बच्चों के समग्र शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास के लिए शुरुआती वर्ष बेहद महत्वपूर्ण हैं।
इसके लिए यह में सुनिश्चित किया जा रहा है कि बच्चों का स्वास्थ्य अच्छा रहे। उनमें सामाजिक-भावनात्मक विकास हो। उनका पोषण हो। उनमें स्वच्छ आदतें विकसित हों।
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