Nitish Kumar बने जदयू के 'सुप्रीम कमांडर', I.N.D.I.A के साथ भी बदलेंगे तेवर? JDU ने ले लिया बड़ा फैसला
जदयू के राष्ट्रीय परिषद की बैठक में नीतीश कुमार को आईएनडीआईए के गठन का सूत्रधार कहा गया। इसके लिए एक प्रस्ताव में नीतीश कुमार की सराहना भी की गई। जदयू के राष्ट्रीय परिषद की बैठक में यह राजनीतिक प्रस्ताव लिया गया कि भाजपा देश के संघीय ढांचे (फेडरल स्ट्रक्चर) को कमजोर कर रही है। देश आज आजादी के बाद अपने सामाजिक-राजनीतिक इतिहास के सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है।
राज्य ब्यूरो, पटना। Nitish Kumar JDU National President जदयू ने अपने नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार को आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए आईएनडीआईए के घटक दलों के साथ तालमेल व प्रत्याशी चयन के लिए अधिकृत कर दिया है। शुक्रवार को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में संपन्न जदयू के राष्ट्रीय परिषद की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को लाया गया जिसे सर्वसम्मति से स्वीकृति दी गई। जिन अलग-अलग राज्यों में जदयू अपने प्रत्याशी को उतारेगा उसके निर्णय के लिए भी नीतीश कुमार को अधिकृत किया गया।
आईएनडीआईए के सूत्रधार के रूप में नीतीश की सराहना की गई
जदयू के राष्ट्रीय परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आईएनडीआईए के गठन का सूत्रधार कहा गया। इसके लिए एक प्रस्ताव में नीतीश कुमार की सराहना भी की गई। यह कहा गया कि वे लोग नीतीश कुमार को बधाई देते हैं कि उन्होंने समय रहते भाजपा के खतरे को पहचाना और विपक्ष को एकजुट करने की पहल की। नीतीश कुमार के आह्नान पर ही इस वर्ष 23 जून को पटना में देश के प्रमुख विपक्षी दलों की पहली बैठक हुई।
केंद्र की सत्ता पर काबिज एकाधिकारवादी भाजपा को सत्ता से बेदखल करने का यह पहला शंखनाद था। जदयू को इस बात का गर्व है कि भारतीय राजनीति में नीतीश कुमार जैसे अनुभवी लोग कम हैं। भाजपा में इस बात की घबराहट है कि नीतीश कुमार जैसे नेता आईएनडीआईए के पास हैं।
भाजपा देश के संघीय ढांचे को कमजोर कर रही
जदयू के राष्ट्रीय परिषद की बैठक में यह राजनीतिक प्रस्ताव लिया गया कि भाजपा देश के संघीय ढांचे (फेडरल स्ट्रक्चर) को कमजोर कर रही है। देश आज आजादी के बाद अपने सामाजिक-राजनीतिक इतिहास के सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है। समाज में भय, द्वेष और उन्माद पैदा किया जा रहा। राजनीति आज छल-कपट और प्रतिशोध का रूप धारण करने लगी है।
यह सब केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा सरकार के कारनामों का नतीजा है। यह लोकतंत्र व संविधान पर सबसे बड़ा खतरा है। केंद्रीय सत्ता तानाशाही की ओर बढ़ रही। जन समस्याओं पर केंद्र सरकार का ध्यान नहीं है। सनातन के चोले में भाजपा ने मनुस्मृति को छिपा कर रखा है।
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