नीतीश कुमार: हार को जीत में बदलने का हुनर ऐसे ही नहीं सीखा, नौकरी छोड़कर आए थे राजनीति में
Bihar CM Nitish Kumar बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उम्र के 72वें वर्ष में आठवीं बार राज्य के सबसे प्रमुख पद की शपथ ली है। उनके इस मुकाम तक पहुंचने के पीछे की लंबी कहानी है। इसमें जीत के साथ ही हार के किस्से भी हैं।
By Shubh Narayan PathakEdited By: Updated: Wed, 10 Aug 2022 04:16 PM (IST)
पटना, आनलाइन डेस्क। Bihar Politics: उम्र के 72वें वर्ष में नीतीश कुमार आठवीं बार बिहार का मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। वे 2005 से बिहार की बागडोर संभाले हुए हैं। बीच में कुछ महीने के लिए 20 मई 2014 से लेकर 20 फरवरी 2015 तक उनकी ही मर्जी के कारण जीतन राम मांझी बिहार का मुख्यमंत्री बने थे। इससे पहले वे केंद्र सरकार में रेल सहित कई महत्वपूर्ण महकमों की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। नीतीश कुमार ने 1977 से चुनावी राजनीति की शुरुआत की। ऐसा नहीं है कि वे हर बार जीतते और आगे बढ़ते ही रहे, कई दफे उन्हें हार का सामना भी करना पड़ा है।
पहले दो प्रयासों में निर्दलीय उम्मीवारों से हारे थे नीतीश नीतीश कुमार ने राजनीति की शुरुआत में जनता पार्टी के टिकट पर हरनौत सीट से 1977 में विधानसभा का चुनाव लड़ा। ये चुनाव वे हार गए। तब निर्दलीय भोला प्रसाद सिंह इस सीट से जीते थे। 1980 में वे इसी सीट से जनता पार्टी (सेकुलर) के टिकट पर चुनाव लड़े और निर्दलीय अरुण कुमार सिंह से हारे। इसी सीट पर तीसरे प्रयास में उन्होंने लोक दल से 1985 का चुनाव लड़ा और कांग्रेस के बृज नंदन प्रसाद सिंह को हराकर विधायक बन गए। इसके बाद उन्होंने जनता दल का दामन थामा।
भाजपा के साथ आने के बाद ऊंचा होता गया नीतीश का कदजनता दल से ही 1989 में बाढ़ संसदीय सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचे। इस सीट पर नीतीश कुमार ने कांग्रेस के राम लखन सिंह यादव को चुनाव हराया था। 1991, 1996, 1998, 1999, 2004 में लोकसभा चुनाव जीतकर वे सांसद बनते रहे। नीतीश कुमार का राजनीतिक कद अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान बढ़ा। इसी दौरान उन्हें केंद्र में रेलवे जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली। 2004 में नीतीश कुमार बाढ़ और नालंदा दो सीटों से चुनाव लड़े। इस चुनाव में वे नालंदा से जीते, लेकिन बाढ़ से हार गए।
भाजपा नेताओं की जिद के चलते ही बिहार का सीएम बने नीतीशनीतीश कुमार को बिहार का मुख्यमंत्री बनाना भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं की जिद थी। बिहार में एनडीए को पहली बार 2000 में सरकार बनाने का मौका मिला। तब नीतीश कुमार समता पार्टी के नेता हुआ करते थे। यह चुनाव भाजपा, जनता दल और समता पार्टी के साथ मिलकर लड़ी थी। चुनाव में भाजपा को 67, समता पार्टी को 34 और जनता दल को 21 सीटें मिली थीं। राजद 124 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन उनको स्पष्ट बहुमत नहीं था। तब झारखंड नहीं बना था और बिहार विधानसभा में 324 सीटें हुआ करती थीं।
समता पार्टी में नहीं थी नीतीश कुमार के नाम पर सहमति नीतीश कुमार के साथ लंबे समय तक काम कर चुके भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी बताते हैं कि समता पार्टी के जार्ज फर्नांडीस और दिग्विजय सिंह, नीतीश कुमार के नाम पर सहमत नहीं थे। सुशील मोदी ने नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री पद के लिए आगे बढ़ाने का प्रस्ताव अपनेे नेताओं को दिया था। लाल कृष्ण आडवाणी और अरुण जेटली जैसे नेताओं के प्रयास से पहली बार नीतीश कुमार को बिहार में एनडीए विधायक दल के नेता के तौर पर चुना गया। तब सात दिन के लिए नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने। विधानसभा में बहुमत साबित नहीं होने के कारण तब पद छोड़ना पड़ा था।
नीतीश कुमार से जुड़े कुछ और महत्वपूर्ण तथ्य
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- जन्म - 1 मार्च 1951
- पिता का नाम - स्वर्गीय कविराज राम लखन सिंह
- माता का नाम - स्वर्गीय परमेश्वरी देवी
- पत्नी का नाम - स्वर्गीय मंजू कुमारी सिन्हा
- बेटे का नाम - निशांत
- जन्म का स्थान - बख्तियारपुर (पटना)
- पैतृक गांव - कल्याण बिगहा (नालंदा)