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Nitish Kumar: तेजस्वी को CM बनाने की तेजी से हुआ 'खेला', नीतीश की नाराजगी के ये हैं 5 बड़े कारण

Nitish Kumar Bihar Politics बिहार की सियासत में आ रहे भूचाल की पटकथा एक दिन में नहीं लिखी गई। इसके पीछे पांच बड़े कारण हैं। इनकी वजह से ही जदयू अलर्ट मोड में आई और नीतीश कुमार की नाराजगी बढ़ती गई। सियासी अटकलों की मान लें तो प्रदेश की सियासत में कल का दिन बड़ा बदलाव लाने वाला होगा।

By BHUWANESHWAR VATSYAYAN Edited By: Yogesh Sahu Updated: Sat, 27 Jan 2024 10:14 PM (IST)
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Nitish Kumar: तेजस्वी को CM बनाने की तेजी से हुआ 'खेला', नीतीश की नाराजगी के ये हैं 5 बड़े कारण

भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना। Bihar Politics : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कर्पूरी जन्म शताब्दी समारोह के दिन ही अपने संबोधन में यह संकेत दे दिया था कि महागठबंधन में सबकुछ अब सामान्य नहीं है। जिस अंदाज में उन्होंने यह कहा था कि कुछ लोग अपने परिवार को ही आगे बढ़ाने में लगे रहते हैं, वह अनायास नहीं था।

यह स्पष्ट था कि उन्हें यह दबाव दिया जा रहा है कि तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को सीएम बनाने में अब देरी नहीं होनी चाहिए। साफ-साफ था कि तेजस्वी को सत्ता सौंपी जाए।

नीतीश कुमार ने कई बार यह कहा भी था कि भविष्य तेजस्वी का है। पर इतनी जल्दी जदयू के लोग इस बात को लेकर तैयार नहीं थे। तेजस्वी प्रकरण ने जदयू को अलर्ट मोड में ला दिया था।

विधायकों को तोड़ने का किस्सा भी चर्चा में था

सत्ता के गलियारे में यह लगातार बात आ रही थी कि जदयू के कुछ विधायकों को तोड़कर राजद अपने लक्ष्य को कामयाब बना सकती है। वैसे जिन जदयू विधायकों के बारे में यह बात राजनीतिक गलियारे में चल रही थी, उन्होंने इस बात से स्पष्ट इनकार भी किया था कि इस तरह की कोई कवायद चल रही थी।

राजद का बैकफुट पर आना भी संशय पैदा कर रहा था

मुख्यमंत्री दबाव में हैं इस तरह की भी चर्चा थी, पर लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) की पहल पर जब चंद्रशेखर से शिक्षा विभाग का काम वापस लेकर उन्हें गन्ना विभाग दिया गया तो यह साफ हुआ कि राजद बैकफुट पर है। केके पाठक (KK Pathak) का फिर से काम पर लौटना भी यह बता गया कि मुख्यमंत्री दबाव में नहीं। यह भी संशय पैदा कर रहा था।

कांग्रेस का स्वयंभू अंदाज भी सालता रहा था

जदयू को यह मंजूर नहीं था कि लोकसभा चुनाव के ठीक पहले बिहार की कमान तेजस्वी को सौंपी जाए। उनके लिए चुनाव के लिहाज से भी नीतीश कुमार का विशेष महत्व है।

जदयू के लिए यह भी अटपटा सा था कि नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों के लिए एक प्लेटफार्म बनाया पर उनके लगातार कहने पर भी सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस ने कुछ निर्णय नहीं लिया। लालू प्रसाद ने भी नीतीश को लेकर या फिर उनकी पहल को लेकर कभी कुछ ठोस नहीं कहा।

आर्थिक नुकसान व बिहार का हित

डबल इंजन की सरकार नहीं होने से बिहार को आर्थिक नुकसान हो रहा है सो अलग। ऐसे में यह बात आगे बढ़ी कि सभी तरह के हित का ध्यान रखा जाए।

नकारात्मक बयानबाजी और अपमान

मामला उस वक्त गड़बड़ाने लगा जब राजद के लोगों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कामकाज को लेकर भी गाहे-बगाहे नकारात्मक तरीके से बयानबाजी शुरू हो गई थी। पहले तो जगदानंद के विधायक पुत्र शुरू थे। फिर लालू प्रसाद के करीबी विधान पार्षद सुनील सिंह सक्रिय हो गए।

एक दिन राजद के नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस कर यह कहा कि गांधी मैदान में शिक्षकाें को जो नियुक्ति पत्र दिए गए हैं उसके मूल में तेजस्वी हैं। वहीं, लालू यादव की बिटिया का नीतीश कुमार को अपमानित किए जाने वाले ट्वीट ने तो आग में घी का काम कर दिया।

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