Nitish Kumar के 'वन टू वन' फॉर्मूले की क्या है जमीनी हकीकत? JDU-RJD और कांग्रेस में ही छिड़ सकती है 'पावर गेम'
नीतीश कुमार ने इंडी गठबंधन को जिताने के लिए एक फॉर्मूला बनाया है। इस फॉर्मूल को वन टू वन कहा जाता है। फॉर्मूले से साफ हो रहा है कि बीजेपी के कैंडिडेट के खिलाफ विपक्ष अपना एक कैंडिडेट उतारे। हालांकि बिहार में इस फॉर्मूले की परख सबसे पहले होगा। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार के इस फॉर्मूले से जेडीयू-आरजेडी और कांग्रेस में पावर गेम छिड़ सकती है।
By Jagran NewsEdited By: Rajat MouryaUpdated: Mon, 11 Dec 2023 05:14 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, पटना। Nitish Kumar One To One Formula भाजपा को परास्त करने के लिए लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक के मुकाबले एक (वन टू वन) के फॉर्मूले की पहली परख बिहार में होगी। आईएनडीआईए की दिल्ली में आयोजित बैठक का यह मुख्य एजेंडा है। पिछले चुनाव में जदयू की 16 सीटों पर जीत हुई थी। इन सीटों पर दूसरा स्थान राजद या कांग्रेस उम्मीदवार का था। इनमें से कई ऐसी सीटें हैं, जिनपर पूर्व में लगातार इन्हीं दोनों दलों की जीत होती रही है।
सामान्य मामलों में सीटों की अदला बदली आसानी से हो जाती है, लेकिन जदयू-राजद-कांग्रेस (JDU-RJD-Congress) की कुछ ऐसी भी सीटें हैं, जिनपर इन दलों की इज्जत फंस सकती है। उन्हीं में से एक है कटिहार। पिछली बार जदयू के दुलाल चंद गोस्वामी वहां से जीते थे। कांग्रेस के बड़े नेता तारिक अनवर उम्मीदवार थे। कटिहार से तारिक पांच बार लोकसभा का चुनाव जीते हैं। चार बार कांग्रेस और एक बार कांग्रेस की मदद से एनसीपी के टिकट पर जीते।
मधेपुरा भी ऐसी ही सीट है, जिसपर राजद और जदयू प्रतीक के रूप में अपना अधिकार चाहता है। 1991 और 1996 में शरद यादव एकीकृत जनता दल उम्मीदवार की हैसियत से यहां से चुनाव जीते। 1997 में जनता दल से राजद अलग हुआ। 1998 में शरद को हराकर राजद के लालू प्रसाद चुनाव जीते। लालू से अलग होने के बाद शरद ने जदयू के टिकट पर 1999 और 2009 में जीत हासिल की।
2019 में वे जदयू के दिनेश चंद्र यादव के हाथों पराजित हुए। सीतामढ़ी में जदयू और राजद के बीच भी संघर्ष है। 1998 से जदयू और राजद अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। इस अवधि में लोकसभा के छह चुनाव हुए। तीन बार जदयू और दो बार राजद की जीत हुई है। इस समय दोनों दल दावा कर रहे हैं।
जदयू की जीती हुई 16 सीटों पर दूसरे नंबर की पार्टी पर एक नजर
- कांग्रेस: वाल्मीकिनगर, सुपौल, कटिहार, पूर्णिया एवं मुंगेर।
- राजद: सीतामढ़ी, झंझारपुर, मधेपुरा, गोपालगंज, सिवान, भागलपुर, बांका एवं जहानाबाद। नालंदा, गया और काराकाट महागठबंधन की निरापद सीटें हैं।
- पिछले चुनाव में नालंदा और गया से हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर थे। यह अब राजग के साथ है। काराकाट-रालोसपा के खाते में था। रालोसपा अब राष्ट्रीय लोक जनता दल है। यह राजग का हिस्सा है।
लालू का सर्वेक्षण
राजद स्वतंत्र एजेंसी के माध्यम से सभी 40 लोकसभा सीटों का सर्वेक्षण करा रहा है। विषय यह है कि किन सीटों पर महागठबंधन के किस घटक दल की संभावना अधिक प्रबल है। सर्वेक्षण का परिणाम भी वन टू वन के फार्मूला को प्रभावित कर सकता है।ये भी पढ़ें- 'बिहार में जातीय गणना हुई ही नहीं', Chirag Paswan का CM नीतीश कुमार पर हमला; बोले- बंद कमरे में हुआ...ये भी पढ़ें- जातिगत जनगणना नहीं बल्कि इन मुद्दों को केंद्र में रखकर जनता के बीच जाएगी BJP, तैयार हो गया मिशन 2024 का मास्टर प्लान
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