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Bihar Promotion News: बिहार के सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी! नीतीश सरकार ने प्रमोशन पॉलिसी में कर दिया बड़ा बदलाव

नई व्यवस्था के तहत पे लेबल तीन से चार तक पहुंचने के लिए चार साल चार से पांच के लिए तीन साल पांच से छह के लिए चार साल और छह से सात पे लेबल के लिए न्यूनतम सात वर्ष की सेवाकाल का प्रविधान किया गया है। नया प्रविधान आदेश के जारी होते ही प्रभावी भी हो गया।सरकार ने अस्थायी प्रोन्नति से वंचित कर्मचारियों अधिकारियों को भी बड़ी राहत दी।

By Arun Ashesh Edited By: Rajat Mourya Updated: Wed, 10 Jan 2024 08:14 PM (IST)
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सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी! नीतीश सरकार ने प्रमोशन पॉलिसी में कर दिया बड़ा बदलाव (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, पटना। अब राज्य सरकार के कर्मी पहले की तुलना में कम समय में उच्च पे लेबल हासिल कर सकेंगे। सरकारी सेवकों के कई संगठन लंबे समय से यह मांग कर रहे हैं कि पे लेबल में वृद्धि के लिए न्यूनतम सेवाकाल की अवधि को कम किया जाए, क्योंकि कई दूसरे राज्यों में बिहार की तुलना में कम समय में उच्च वेतनमान का लाभ मिल जाता है।

सामान्य प्रशासन विभाग ने बुधवार को जारी एक आदेश के माध्यम से न्यूनतम कालावधि में संशोधन कर दिया है। आदेश के मुताबिक, विभाग ने पड़ोसी राज्य झारखंड का अध्ययन किया। वहां कम समय में ही उच्चतर वेतनमान का लाभ दिया जा रहा है।

क्या है प्रमोशन की नई व्यवस्था?

नई व्यवस्था के तहत पे लेबल तीन से चार तक पहुंचने के लिए चार साल, चार से पांच के लिए तीन साल, पांच से छह के लिए चार साल और छह से सात पे लेबल के लिए न्यूनतम सात वर्ष की सेवाकाल का प्रविधान किया गया है। नया प्रविधान आदेश के जारी होते ही प्रभावी भी हो गया।सरकार ने अस्थायी प्रोन्नति से वंचित कर्मचारियों अधिकारियों को भी बड़ी राहत दी है।

सामान्य प्रशासन विभाग ने अस्थायी प्रोन्नति के लिए बनी अस्थायी स्थानापन्न कार्यकारी नियमावली 2023 को अवधि विस्तार दे दिया है। अब यह इस साल 12 फरवरी तक प्रभावी रहेगा। विभाग की ओर से बुधवार को अधिसूचना जारी कर दी गई है।

राज्य सरकार ने अस्थायी व्यवस्था के तहत सरकारी सेवकों को प्रोन्नति देने का निर्णय किया था।यह 13 अक्टूबर से 12 दिसंबर 2023 तक प्रभारी रहा। इस दौरान सभी संवर्ग के सरकारी सेवकों को अस्थायी प्रोन्नति दी गई, लेकिन कई विभागों में इसके लिए जरूरी कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। उनके अधिकारियों-कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं मिल सका।

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