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Bihar News: बिहार के मुखिया और पंचायत सचिव के लिए राहत, टेंडर पर पुनर्विचार करेगी नीतीश सरकार; मंत्री ने किया एलान

Bihar Cabinet Meeting बिहार कैबिनटे की बैठक में टेंडर में मुखिया के पावर को कम करने के मामले में बिहार सरकार फिर से पुनर्विचार करेगी। इसके लिए मुख्य सचिव के जरिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फाइल भेज दी गई है। पंचायतीराज मंत्री से वार्ता के बाद मुखिया संघ ने आंदोलन स्थगित करने का निर्णय लिया है। वहीं निर्णय वापस नहीं लेने पर मुखिया संघ आंदोलन तेज कर सकता है।

By Raman Shukla Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Sun, 21 Jul 2024 11:40 PM (IST)
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (जागरण फोटो)
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Political News Today: बिहार सरकार राज्य की आठ हजार से अधिक पंचायतों में 15 लाख रुपये तक की योजना का काम निविदा के माध्यम से कराने पर पुनर्विचार करेगी। पंचातीराज मंत्री केदार गुप्ता ने प्रेसवार्ता कर रविवार की देर शाम यह घोषणा की।

फाइल मुख्य सचिव के जरिए मुख्यमंत्री को भेजी गई

नया सचिवालय स्थित पंचायतीराज विभाग सभागार में मंत्री ने पत्रकारों को बताया कि तत्काल प्रभाव से फाइल मुख्य सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को भेज दी गई है। अब नीतीश कुमार जल्द इसपर फैसला ले सकते हैं।

सदन में स्थगित हो फैसला: मिथिलेश कुमार राय

इसके बाद पंचायतीराज मंत्री ने मुखिया संघ के अध्यक्ष मिथिलेश कुमार राय से भी वार्ता की। मिथिलेश राय ने बताया कि सरकार मानसून सत्र के दौरान मुखिया संघ की मांग पर सदन में निर्णय वापस लेने की घोषणा करेगी। सरकार ने यदि इस मांग को वापस नहीं लिया तो मुखिया संघ आंदोलन तेज करेगा।

19 जुलाई को हुआ था ये फैसला

गौरतलब है कि पंचायतीराज विभाग की योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी और पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से 19 जुलाई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने यह निर्णय लिया था। सरकार ने घोषणा की थी कि 15 लाख तक के काम के लिए ठेकेदारों का पैनल बनेगा।

योजना का सीमित टेंडर होगा जिसमें पैनल के ठेकेदार हिस्सा लेंगे। निविदा प्राप्त करने वाले ठेकेदार को ही काम दिया जाएगा। राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में पंचायत निर्माण कार्य नियमावली 2024 को स्वीकृति दी गई थी।

अपर मुख्य सचिव ने बताया कड़े फैसले की वजह

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कैबिनेट के अपर मुख्य सचिव डा. एस सिद्धार्थ ने बताया था कि पंचायतों की योजनाओं का कार्यान्वयन विभागीय रूप से होता है। पंचायत के कर्मचारियों को एजेंट (अभिकर्ता) बनाया जाता है। इनके द्वारा जो कार्य कराए जाते हैं उनका भुगतान मुखिया, पंचायत सचिव, प्रमुख और मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा किया जाता है।

इस व्यवस्था से विभागीय कर्मचारियों द्वारा पंचायत के अन्य क्रियाकलापों, उत्तरदायित्वों के प्रति ध्यान नहीं दिया जाता। जिस वजह से नागरिकों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में यह निर्णय लिया गया है कि 15 लाख रुपये तक की योजना का भी सीमित निविदा होगी।

उधर, मुखिया संघ ने रविवार को सरकार के विरुद्ध सभी प्रखंडों में सरकारी आदेश की प्रति जलाकर आक्रोश प्रकट किया।

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