Nitish Kumar ने 220 दिनों में कैसे पलटा I.N.D.I.A का गेम? बंगाल-पंजाब के बाद बिहार में भी हो गया 'खेला'
इंडी गठबंधन की पहली बैठक 23 जून 2023 को हुई थी। इसके बाद दूसरी बैठक बेंगलुरु तीसरी बैठक मुंबई और चौथी बैठक दिल्ली में हुई। 220 दिनों में ही इंडी गठबंधन के साथ नीतीश ने खेला कर दिया। आज भले ही खरगे ये कह रहे हों कि देश में कई लोग आयाराम-गयाराम हैं लेकिन कुछ समय पहले तक इंडी गठबंधन ने ही नीतीश को संजोयक बनाने का प्रस्ताव दिया था।
डिजिटल डेस्क, पटना। Nitish Kumar Resigns नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने एनडीए में जाने का फैसला भी कर लिया है। आज शाम को वह बिहार के 9वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। उनके इस्तीफे के बाद बिहार में सियासी भूचाल आ गया है। राष्ट्रीय जनता दल ने भी अब खुलकर नीतीश पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। हालांकि, अब आपके मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि इंडी गठबंधन अब क्या करेगा, क्योंकि नीतीश कुमार ही इस गठबंधन के अगुवा थे।
बता दें कि इंडी गठबंधन को बनाने में नीतीश कुमार ने सबसे अहम भूमिका अदा की थी। नीतीश कुमार ही वो नेता थे जिन्होंने सबसे पहले बीजेपी के सामने देश को एक विकल्प देने का प्लान तैयार किया। उन्होंने विभिन्न प्रदेशों के नेताओं को साथ लिया और कांग्रेस को भी भरोसे में लिया। इसके बाद इंडी गठबंधन को बनाया गया। आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस इंडी गठबंधन को अब नीतीश कुमार ने साइडलाइन कर दिया है, उसकी नींव उन्होंने पटना में ही रखी थी।
नीतीश कुमार की अगुवाई में इंडी गठबंधन की पहली बैठक पिछले साल 23 जून को हुई थी। इसके बाद दूसरी बैठक बेंगलुरु, फिर तीसरी बैठक मुंबई और चौथी बैठक दिल्ली में हुई। 1 साल से भी कम समय यानी 220 दिनों में ही इंडी गठबंधन के साथ नीतीश कुमार ने 'खेला' कर दिया। आज भले ही खरगे यह कह रहे हों कि "देश में कई लोग आयाराम-गयाराम हैं", लेकिन कुछ समय पहले तक इंडी गठबंधन ने ही नीतीश कुमार को संजोयक बनाने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, नीतीश कुमार ने खुद ही इस पद को ठुकरा दिया।
क्यों शुरू हुआ सियासी बवाल, नीतीश किस बात से थे नाराज?
दरअसल, नीतीश कुमार की नाराजगी कई बार साफ देखने को मिली। जनता दल यूनाइटेड के नेता भी इंडी गठबंधन से नाराज चल रहे थे। सबसे बड़ी वजह थी समय पर सीट शेयरिंग ना हो पाना। नीतीश कुमार कई बार यह बात कह चुके थे सीट शेयरिंग में देरी करने से इंडी गठबंधन को नुकसान होगा। जदयू के मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी ने भी कहा था कि समय रहते सीट शेयरिंग कर लेनी चाहिए, लेकिन उनकी बातों का कोई असर नहीं हुआ। लालू यादव ने तो नीतीश के उलट ही बयान दिया। लालू यादव ने कहा कि कोई जल्दबाजी नहीं है। सबकुछ आराम से हो जाएगा।राजनीतिक जानकार मानते हैं कि सीट शेयरिंग पर नीतीश कुमार की नाराजगी लगातार बढ़ रही थी। ऐसे में उनके इस्तीफे का ये बड़ा कारण हो सकता है। वहीं, नीतीश कुमार के 'वन टू वन' फॉर्मूले पर भी सहमति नहीं बनी थी। नीतीश कुमार शुरू से चाहते थे कि बीजेपी के सामने 'वन टू वन' फॉर्मूले को लागू किया जाए यानी एक उम्मीदवार के बदले विपक्ष का उम्मीदवार चुनाव लड़े। इस पर कोई सहमति नहीं बनी थी। ऐसे में साफ था कि नीतीश कुमार ने भले ही इंडी गठबंधन की नींव रखी हो, लेकिन उनकी किसी बात को खास तवज्जो नहीं दी जा रही थी।
नीतीश के इस्तीफे से पहले ही केसी त्यागी ने भी इंडी गठबंधन को लेकर बड़ा बयान दिया था। केसी त्यागी (KC Tyagi) ने शनिवार को समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, "इंडी गठबंधन टूट की कगार पर है। जिस मेहनत से और जिस इरादे से नीतीश कुमार ने इसे संगठित किया था... कांग्रेस पार्टी के गैरजिम्मेदाराना और अड़ियल रवैये ने इसे तार-तार कर दिया है।"
उन्होंने आगे कहा कि पंजाब में अकाली दल और बीजेपी के साथ आने की संभावना बढ़ी है और कांग्रेस और आप (आम आदमी पार्टी) के बीच झगड़े की भी संभावना बढ़ी है। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव जी कांग्रेस पार्टी के रवैये से दुखी हैं और उन्होंने कांग्रेस पार्टी को सुझाव दिया है कि ज्यादा जिम्मेदारी के साथ वो पेश आएं।
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