तेजस्वी के साथ फ्लाइट में ऐसा क्या हुआ? नीतीश को PM आवास में करने पड़ गए 'साइन', मच गई खलबली
Bihar Politics News नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव एक ही विमान से बुधवार को पटना से दिल्ली पहुंचे। वह विमान में आगे-पीछे की सीट पर ही बैठे थे। उनकी मुलाकात भी हुई। कुछ देर बाद इंटरनेट मीडिया पर एक तस्वीर तैरने लगी जिसमें नीतीश और तेजस्वी अगल-बगल में बैठे नजर आ रहे थे। जिसके बाद राजनीतिक हलकों में खलबली मच गई।
राज्य ब्यूरो, पटना। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से कम सीटें पाने के कारण छोटे भाई करार दिए गए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज 'किंग मेकर' की भूमिका में हैं। बुधवार को राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ एक ही विमान से दिल्ली क्या गए, राजनीतिक हलके में खलबली मच गई।
यह महज संयोग था कि विमान में आगे की सीट नीतीश की थी। पीछे की सीट पर तेजस्वी बैठे थे। तेजस्वी ने उठकर उनका अभिवादन किया। कुछ देर बाद इंटरनेट मीडिया पर एक तस्वीर तैरने लगी, जिसमें नीतीश और तेजस्वी अगल-बगल में बैठे नजर आ रहे थे।
इस प्रस्ताव पर नीतीश ने किए हस्ताक्षर
नीतीश ने इस मुलाकात के बारे में मीडिया के सामने कोई टिप्पणी नहीं की। बाद में वे राजग की बैठक में शामिल हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में पारित प्रस्ताव पर उन्होंने हस्ताक्षर किया। कहा भी कि वह राजग के साथ हैं। जदयू के 12 सांसद हैं। किसी एक दल को पूर्ण बहुमत न मिलने के कारण केंद्र में सरकार बनाने के लिए नीतीश का समर्थन अपरिहार्य माना जा रहा है।नीतीश के साथ टीडीपी के नेता चंद्रबाबू नायडू के 16 सांसदों को जोड़ कर दावा किया जा रहा है इन दोनों की मदद के बिना केंद्र में राजग की सरकार नहीं बन सकती है। अपने-अपने राज्यों को लेकर नीतीश और नायडू की मांग एक जैसी है। दोनों क्रमश: बिहार और आंध्र प्रदेश के विकास के लिए विशेष दर्जे की मांग कर रहे हैं।
JDU सूत्रों ने क्या कहा?
जदयू से जुड़े सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार बिहार के लिए विशेष दर्जा या विशेष पैकेज के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर जाति आधारित गणना कराने की मांग कर सकते हैं। जदयू के सूत्र नीतीश कुमार के आइएनडीआइए से जुड़ने की संभावना से साफ इनकार करते हैं। इस सच के बावजूद कि भाजपा विरोधी दलों को एक मंच पर लाने का श्रेय नीतीश कुमार को जाता है।उन्होंने ही भाजपा के एक के मुकाबले विपक्ष का एक उम्मीदवार देने का फॉर्मूला दिया था। लेकिन, बाद के दिनों में उन्हें उपेक्षा का अहसास होने लगा। नीतीश कुमार ने स्वयं स्वीकार किया कि आएनडीआइए के नाम पर उनकी आपत्ति थी। भाजपा विरोधी दलों को एक मंच पर लाने का श्रेय नीतीश कुमार को दिया गया।समर्थकों की अपेक्षा थी कि उन्हें संयोजक का पद दिया जाए। आइएनडीआइए में रहते हुए ही नीतीश ने कांग्रेस की भूमिका की आलोचना की थी। इसलिए राजग से अलग होकर आइएनडीआइए को सरकार बनाने में मदद करने की चर्चाएं जदयू की ओर से निर्मूल बताई जा रही हैं।
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