Bihar News रक्षाबंधन पर बिहार के कई जिलों में प्रारंभिक विद्यालयों से लेकर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तक खुले थे। विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति शत प्रतिशत रही लेकिन विद्यार्थियों की संख्या बहुत कम थी। जिलों के अधिकांश विद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थित शून्य थी। अवकाश में कटौती करने के विरोध में शिक्षकों ने अपने मुंह और बांह पर काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया।
By Jagran NewsEdited By: Aysha SheikhUpdated: Thu, 31 Aug 2023 04:24 PM (IST)
पटना/सारण/शेखपुरा/आरा, जागरण संवाददाता : भाई-बहन के अटूट प्रेम के त्योहार रक्षाबंधन के दिन गुरुवार को शिक्षा विभाग के फरमान के बाद बिहार के कई जिलों में प्रारंभिक विद्यालयों से लेकर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तक खुले थे।
यहां विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति शत प्रतिशत रही, लेकिन विद्यार्थियों की संख्या बहुत कम थी। जिलों के अधिकांश विद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थित शून्य थी।
दैनिक जागरण ने रक्षाबंधन के दिन सारण के एक दर्जन से अधिक विद्यालयों की पड़ताल की। पड़ताल में अधिकांश विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या शून्य थी।
जलालपुर उच्च विद्यालय में नहीं आया एक भी विद्यार्थी
सारण जिले के जलालपुर उच्च विद्यालय में रक्षाबंधन के दिन एक भी विद्यार्थी विद्यालय नहीं आया। विद्यालय में सभी शिक्षक उपस्थित थे। इस विद्यालय में 1707 विद्यार्थियों का नामांकन है। 30 अगस्त को 980 विद्यार्थी विद्यालय पहुंचे थे। गुरुवार को शिक्षक पढ़ाने के लिए विद्यार्थियों का इंतजार करते रह गए।
सारण जिले के अन्य स्कूलों का हाल
जिले के विशेश्वर सेमिनरी उच्च विद्यालय में 35 विद्यार्थी पहुंचे थे। वहीं, राजपूत उच्च विद्यालय, छपरा में शिक्षकों की उपस्थिति शत प्रतिशत थी, लेकिन यहां एक भी विद्यार्थी विद्यालय नहीं आया। शहर के राजकीय कन्या उच्चत्तर विद्यालय में भी छात्रों की उपस्थिति बहुत कम थी।
शेखपुरा का हाल
शेखपुरा का हाल भी कुछ ऐसा ही रहा। विद्यालयों में विद्यार्थी पहुंचे भी तो अन्य दिनों की तुलना में यह आंकड़ा कहीं दो तो कहीं पांच प्रतिशत था। इस दौरान विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति सौ प्रतिशत देखी गई। विद्यार्थियों के नहीं पहुंचने के बाबजूद सरकार के आदेश का पालन करने के लिए शिक्षक सुबह 9 से दोपहर बाद 4 बजे तक स्कूलों में डटे रहे।
पर्व-त्योहार की छुट्टी समाप्त करने और उसमें कटौती करने का सरकार का आदेश पूरी तरह से तुगलकी फरमान जैसा है। बिहार में दो लाख से अधिक महिला शिक्षक हैं। ऐसे में जन्माष्टमी, तीज और जीतिया की छुट्टी को समाप्त करना पूरी तरह से महिला विरोधी है। प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में 200 दिनों से अधिक पढ़ाई हो रही है। - राकेश, प्रधान सचिव शिक्षक संघ
रक्षा बंधन की वजह से गुरुवार को जिले के विद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति काफी कम रही। दोपहर तक कई विद्यालयों से सूचना मंगाई गई है और कई विद्यालयों के निरीक्षण में भी यह बात सामने आई है। सभी विद्यालयों से सूचना एकत्र की जा रही है। जिला में आज औसतन 10 प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति रही है। - ओमप्रकाश सिंह, शेखपुरा जिला शिक्षा पदाधिकारी
आरा में स्कूलों में काली पट्टी बांध किया शिक्षण का किया कार्य
रक्षाबंधन समेत अन्य छुट्टियां रद्द करने पर भोजपुर जिले में शिक्षकों का आक्रोश फूट पड़ा है। गुरुवार को जिले के विभिन्न शिक्षक संगठनों ने इसके विरोध में शिक्षा विभाग के निदेशक (माध्यमिक) द्वारा जारी किए गए आदेश की प्रतियां को जलाते हुए विरोध दर्ज किया।
इसके साथ ही काली पट्टी बांधकर शिक्षण का कार्य किया। जगदीशपुर के मध्य विद्यालय सह उच्च माध्यमिक विद्यालय बभनियांव पूर्वी में शिक्षकों द्वारा निदेशक माध्यमिक के आदेश की प्रतियां जलाते हुए उनके और सरकार के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की गई।
बेतिया का हाल
सरकारी विद्यालयों में पूर्व से घोषित अवकाश में कटौती करने के विरोध में टीईटी शिक्षक संघ के आह्वान पर जिले के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने अपने मुंह और बांह पर काली पट्टी बांधकर सांकेतिक रूप से अपना विरोध प्रदर्शन किया।
कोषाध्यक्ष अविनाश कुमार ने बताया कि सरकार के तुगलकी फरमान के विरोध में गांधी की कर्मभूमि पर कार्यरत शिक्षकों ने इस निरंकुश सरकार के विरोध में आंदोलन का शंखनाद किया है। यदि सरकार अपने आदेश को वापस नहीं लेती है तो पूरे बिहार में उग्र आंदोलन किया जाएगा।
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