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Bihar News: अब अंधेपन का इलाज होगा आसान, चूहों पर प्रभावी निकली डायबिटिक रेटिनोपैथी से बचाने वाली दवा

Diabetic Retinopathy इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) स्थित क्षेत्रीय नेत्र विज्ञान संस्थान ने अंधेपन के प्रमुख कारणों में एक डायबिटिक रेटिनोपैथी से बचाने की दवा खोज निकाली है। क्वेरसेटिन नामक यह दवा प्याज सहजन हरी चाय सेब जामुन जैसे फलों-सब्जियों में पाए जाने वाले फ्लेवोनोइड (पालीफेनाल्स फाइटोकेमिकल्स) से बनाई गई है। यह बुनियादी शोध एक वर्ष में 18-18 कर कुल 54 चूहों पर किया गया।

By Pawan Mishra Edited By: Sanjeev KumarUpdated: Wed, 17 Jan 2024 03:26 PM (IST)
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रेटिनोपैथी से बचाने की दवा का चूहे पर शोध (जागरण)

 पवन मिश्रा, पटना। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) स्थित क्षेत्रीय नेत्र विज्ञान संस्थान ने अंधेपन के प्रमुख कारणों में एक डायबिटिक रेटिनोपैथी से बचाने की दवा खोज निकाली है। क्वेरसेटिन नामक यह दवा प्याज, सहजन, हरी चाय, सेब, जामुन जैसे फलों-सब्जियों में पाए जाने वाले फ्लेवोनोइड (पालीफेनाल्स फाइटोकेमिकल्स) से बनाई गई है।

यह बुनियादी शोध एक वर्ष में 18-18 कर कुल 54 चूहों पर किया गया। तीनों बार जिन चूहों को क्वेरसेटिन दिया गया, उनमें रेटिनल डिटैचमेंट करने वाली प्रतिक्रियाशील आक्सीजन प्रजातियां (आरओएस) खत्म हो गईं और उन्हें कोई नुकसान भी नहीं हुआ। साइंस इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड (एसईआरबी) नई दिल्ली द्वारा वित्त पोषित इस अध्ययन के प्रधान अन्वेषक डा. पंकज कुमार एवं नेत्र विज्ञान संस्थान के प्रमुख डा. विभूति प्रसन्न सिन्हा, डा. ज्योति कुमारी व डा. अंकिता सहायक अन्वेषक हैं।

एम्स दिल्ली स्थित डा. राजेंद्र प्रसाद सेंटर फार आप्थल्मिक साइंसेस के डा. प्रो. टीसी नाग व डा. प्रो. टी भेल पांडियन का भी योगदान रहा है। शोध के दौरान कई जांच एम्स, दिल्ली जाकर की गई हैं। देश के अन्य संस्थानों में भी क्वेरसेटिन पर शोध चल रहा है, उनकी सकारात्मक रिपोर्ट आने के बाद सुरक्षा व खुराक के लिए मानव पर परीक्षण करने की अनुमति मिलेगी।

 डायबिटिक रेटिनोपैथी की रोकथाम की अब तक कोई दवा नहीं थी

डायबिटिक रेटिनोपैथी में आंख के पिछले हिस्से में स्थित रेटिना की रक्त कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, अथवा सूजन या धब्बे आ जाते हैं। इससे आंखों से धुंधला दिखने लगता है, शुगर अनियंत्रित रहने पर कुछ समय बाद व्यक्ति अंधा तक हो जाता है। अभी तक इसकी रोकथाम की कोई सटीक दवा नहीं है, इसलिए शुगर नियंत्रित करने समेत कुछ अन्य दवाएं दी जाती रही हैं।

डा. विभूति प्रसन्न सिन्हा व डा. पंकज कुमार ने बताया कि इसके गंभीर रोगियों में रेटिनल डिटैचमेंट के कारण होने वाली दृष्टि हानि का प्रमुख कारण प्रतिक्रियाशील आक्सीजन प्रजातियों (आरओएस) का अधिक उत्पादन है। फलों-सब्जियों में पाए जाने वाला क्वेरसेटिन के एंटीआक्सीडेंट, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी डायबिटिक, एंटी वायरल गुण आरएसओ को खत्म करने की क्षमता रखते हैं। इससे रेटिना को नुकसान नहीं होता है।

मानव के 10 वर्ष के बराबर हैं चूहे के चार माह

डा. पंकज कुमार ने बताया कि 54 चूहों को 18-18 के तीन समूह में बांटा गया। बार-बार इस दवा का प्रभाव परखने के लिए हर बार तीन-तीन चूहों के तीन समूह बनाए गए। एक समूह पूर्ण रूप से स्वस्थ, दूसरे व तीसरे को स्ट्रेथोजेफिन इंजेक्शन दिया गया। चार माह बाद, जो मानव उम्र के अनुसार 10 वर्ष होता है, की अवधि में चूहों में डायबिटिक रेटिनोपैथी विकसित कराई गई।

इसके बाद एक समूह को क्वेरसेटिन दी गई और दूसरे को ऐसे ही छोड़ दिया गया। जिन चूहों को क्वेरसेटिन दी गई थी, उनमें पाया गया कि उनकी देखने की क्षमता पहले जैसी ही रही। इससे पाया गया कि क्वेरसेटिन रेटिना को मधुमेह के दुष्प्रभाव से बचाता है और दृष्टि क्षमता पर इसके कुप्रभाव को काफी हद तक धीमा कर देता है।

क्यों है प्रभावी दवा की आवश्यकता

डायबिटिक रेटिनोपैथी (डीआर) देश व प्रदेश में 24 से 70 आयु वर्ग के लोगों में अंधेपन का प्रमुख कारण है। नेशनल डायबिटिक रेटिनोपैथी सर्वे इंडिया 2015-19 के अनुसार, देश का हर आठवां व्यक्ति मधुमेह ग्रसित है। वहीं, हर छठा व्यक्ति आंखों की गंभीर बीमारी डायबिटिक रेटिनोपैथी से जूझ रहा है।

मधुमेह रोगियों में से लगभग 17 प्रतिशत इससे पीड़ित हैं और इनमें से 3.6 प्रतिशत लोग रोशनी छिन जाने वाली गंभीर अवस्था से जूझ रहे हैं।

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