Move to Jagran APP

कभी घूम-घूम कर मांगा करते थे भीख, अब एक उपाय से चमक गई किस्मत; बिहार में तेजी से बढ़ रहा कारोबार

पटना में भीख मांगने वाले लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने का सफल प्रयास किया गया है। उन्हें कौशल विकास के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाया गया है। अब वे अपने श्रम के पैसे मांगने के लिए हाथ आगे कर रहे हैं। उनके बनाए उत्पाद बाजार में आ गए हैं। समाहरणालय और विकास भवन में स्टाल लगाकर उन्हें बिक्री के लिए प्रदर्शित किया गया है। यह परिवर्तन की एक तस्वीर है।

By Jagran News Edited By: Mukul Kumar Updated: Thu, 24 Oct 2024 03:34 PM (IST)
Hero Image
प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर
मृत्युंजय मानी, पटना। सड़क किनारे तो कहीं मंदिर या सार्वजनिक स्थलों पर हाथ पसारे भीख मांगने वाले। वर्षों से बनी हुई प्रवृत्ति। भीख मांगने वालों की कतार राज्य और देश की एक नकारात्मक छवि गढ़ती हुई।

यह दृश्य आम है, जिससे सभी का रोज सामना होता है। जैसे यह सामाजिक व्यवस्था में रच-बस गई हो, लेकिन अब उन्हीं लोगों के बनाए उत्पाद बाजार में लाए जा रहे हैं। यह परिवर्तन की एक तस्वीर है। भीख मांगने की प्रवृत्ति को लेकर दैनिक जागरण ने अभियान चलाते हुए शासन-प्रशासन का ध्यान आकृष्ट किया था।

बोधगया में ऐसे लोगों को चिह्नित कर उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार कौशल विकास कर मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया गया। आज कई इस प्रवृत्ति से मुंह मोड़ चुके हैं। पटना में भी जिला प्रशासन ने भीख मांगने वाले ऐसे लोगों को चिह्नित करते हुए उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का सफल प्रयास किया।

इस दीपावली उन्हीं लोगों द्वारा तैयार उत्पाद भी प्रदर्शित किए जा रहे हैं। समाहरणालय और विकास भवन में स्टाल लगाकर उन्हें बिक्री के लिए प्रदर्शित किया गया है।

अब लोगों को मिली नई पहचान

बच्चों को भी भीख के पेशे में शामिल करने के संबंध में जब दैनिक जागरण ने ध्यान आकृष्ट किया था तो पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर परिसर से ऐसे बच्चों को मुक्त कराया गया था। उनलोगों को एक नया जीवन और नई पहचान मिली है, जिनकी सुबह ही हाथ पसारने से होती थी।

अब वे अपने श्रम के पैसे मांगने के लिए हाथ आगे कर रहे हैं। उनके बनाए उत्पाद बाजार में आ गए हैं। जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि दैनिक जागरण ने इस कुवृत्ति के विरुद्ध जागरूकता की सराहनीय पहल की। प्रशासन ने वैसे लोगों को पुनर्वासित किया है। अभी यही शुरुआत है।

भिक्षुकों द्वारा तैयार सामग्री के विषय में बताते एनजीओ के प्रतिनिधि l जागरण

इनके द्वारा बनाए गए सामानों को बड़ा बाजार में दिलाने की पहल की जाएगी-डीएम 

उन्होंने कहा कि इनके द्वारा तैयार सामग्रियों को बड़ा बाजार में दिलाने की पहल की जाएगी। ये समाज के अंतिम पायदान के लोग हैं, जिन्हें मुख्यधारा से जोड़ना प्राथमिकता में है। प्रशासन मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना के तहत इन्हें इससे मुक्त कराने के अभियान को जारी रखेगा।

इनके द्वारा बनाए गए दीये, जूट बैग, सजावट के सामान, अगरबत्ती, मसाले, चप्पल आदि की बिक्री के लिए प्रदर्शनी लगाई गई है। स्टाल पर फोल्डर, बैग, वाल हैंगिग, फाइल फोल्डर, पर्स, फ्रीज कवर, लंच बैग, बोतल बैग, हैंड पर्स आदि भी हैं, जो प्रशिक्षण के बाद उनके हुनर को दर्शा रहे। यह प्रदर्शनी 29 अक्टूबर तक रहेगी।

ये सब उत्पाद उस समूह द्वारा निर्मित हैं, जो कभी भीख मांगते थे। लोग इसे खरीद भी रहे हैं। इन समूहों को नाम भी दिए गए हैं। श्रद्धा उत्पादन समूह, अधिकार उत्पाद समूह, मुक्ता उत्पादक समूह, अन्नपूर्णा उत्पादक समूह आदि द्वारा ये कार्य किए जा रहे हैं।

शांति कुटीर महिला पुनर्वास केंद्र की सुमन कुमारी और प्रतिभा देवी ने बताया कि उन्हें सिलाई मशीन पर काम करना सिखाकर भी आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। बिक्री से मिलने वाली राशि उनके खातों में डाल दी जाती है। जिलाधिकारी ने उनके पुनर्वास, आजीविका सहित समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए लगातार अभियान चलाने का निर्देश दिया है।

यह भी पढ़ें-

ये वर्दी वाली बेटियां बढ़ा रहीं बिहार का मान, कभी पिता की अर्थी को दिया था कंधा, अब उन पर सज रहे सितारे

Bhagalpur News: भागलपुर के 28 प्रतिशत नवजात को गंभीर रोग का खतरा, सामने आई बड़ी वजह; पढ़ें डिटेल

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।