सबसे पहले और आखिर में किस नेता को मिलेगा बोलने का मौका, 23 जून को विपक्षी दलों की महाबैठक का शेड्यूल आया सामने
पटना में 23 जून को होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में देशभर से राजनीतिक दिग्गज पहुंचेंगे। बताया जा रहा है कि सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक यह बैठक चलेगी। इस दौरान राहुल गांधी नीतीश कुमार ममता बनर्जी अरविंद केजरीवाल सहित कई नेता अपनी बात रखेंगे।
By BHUWANESHWAR VATSYAYANEdited By: Aditi ChoudharyUpdated: Mon, 19 Jun 2023 04:28 PM (IST)
पटना, राज्य ब्यूरो। विपक्षी एकजुटता को ले 23 जून काे पटना में बुलायी गयी बैठक के स्वरूप के बारे में अब तक जाे जानकारी है उसके अनुसार यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के की नोट एड्रेस के साथ शुरू होगी। पटना के एक अणे मार्ग स्थित नेकसंवाद कक्ष को बैठक के लिए तैयार किए जाने की खबर है। वैसे एक अणे मार्ग स्थित लाेकसंवाद कक्ष को भी देखा गया है।
सुबह 11 बजे आरंभ होगी महाबैठक
महाबैठक के शेड्यूल के बारे में मिली आरंभिक जानकारी के अनुसार, यह सुबह 11 बजे शुरू होगी। शाम चार बजे तक विमर्श चलेगा। इस दौरान सभी राजनीतिक दिग्गज दिन का भोजन भी एक साथ करेंगे।
केंद्र के काम की चर्चा से होगी बैठक की शुरुआत
महाबैठक के आरंभ में सामूहिक रूप से यह विमर्श होगा कि वर्तमान में देश किन-किन बड़ी समस्याओं से जूझ रहा। मंहगाई और बेरोजगारी के साथ-साथ संविधान को बदलने की केंद्र सरकार किस तरह से काम कर रही है। इस पर भी चर्चा होगी।खरगे बताएंगे- क्यों जरूरी है विपक्ष की एकजुटता
महाबैठक में नीतीश कुमार के संबोधन के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे अपनी बात रखेंगे और बताएंगे कि आखिर विपक्ष की एकजुटता क्यों जरूरी है। भाजपा से खिलाफ वन फार वन फार्मूला पर भी चर्चा होगी कि अलग-अलग राज्यों में किस तरह से इसे सक्रिय करना संभव होगा।
ममता बनर्जी सहित चार राज्यों के मुख्यमंत्री भी रखेंगे अपनी बात
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ही विपक्षी एकजुटता को लेकर होने वाली महाबैठक को पटना में कराने का प्रस्ताव दिया था। इसलिए महाबैठक में उनका विशेष रूप से संबोधन होगा। ममता बनर्जी के साथ-साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और तमिलनाडु के मुख्यमांत्री स्टालिन का भी संबोधन होगा।संभव है कि अरविंद केजरीवाल इस मामले को भी उठा सकते हैं कि केंद्र की सरकार ने किस तरह दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मिले अधिकार को अध्यादेश लाकर खत्म कर दिया। पूर्व में वह इस मामले को उठा चुके हैं। कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल का समर्थन भी किया है।
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