पशुपति पारस गुट को लगने वाला है बड़ा झटका! वीणा सिंह के बाद कई और सांसद भी छोड़ सकते हैं रालोजपा का साथ
लोकसभा चुनाव से पहले पशुपति पारस गुट को बड़ा झटका लग सकता है। वीणा सिंह के बाद कई और सांसद भी रालोजपा का साथ छोड़ सकते हैं। ऐसे नेता राजद जदयू से लेकर भाजपा के संपर्क में हैं कुछ नेता कांग्रेस व चिराग की पार्टी में जाने की राह तलाश रहे हैं। कई नेता तो पारस के कार्यक्रमों से दूरी भी बना चुके हैं।
By Dina Nath SahaniEdited By: Rajat MouryaUpdated: Wed, 29 Nov 2023 04:07 PM (IST)
दीनानाथ साहनी, पटना। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) को बचाने को लेकर अब इसके अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस की बेचैनी बढ़ने वाली है। सांसद वीणा सिंह ने तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए पारस का साथ छोड़ दिया है। वह चिराग के विचारों में आस्था जताते हुए लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का दामन थाम चुकी हैं। अब सिर्फ घोषणा की औपचारिकता बाकी है।
वैसे दल बदल कानून के चलते उन पर पारस कार्रवाई कर सकते हैं। उनकी संसद की सदस्यता खत्म करने की अनुशंसा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से कर सकते हैं, लेकिन इसमें भी पेच है। क्योंकि संसद के अंदर लोजपा के सांसदों का विधिवत विभाजन नहीं हुआ है, केवल अगल गुट की मान्यता मिली है।
अब रही बात पारस गुट की तो रालोजपा के दो और सांसद, दर्जन भर जिलाध्यक्ष व प्रदेश पदाधिकारी तथा वरिष्ठ नेता लोकसभा चुनाव तक पारस का साथ छोड़ेंगे। ऐसे नेता राजद, जदयू से लेकर भाजपा के संपर्क में हैं, कुछ नेता कांग्रेस व चिराग की पार्टी में जाने की राह तलाश रहे हैं। कई नेता तो पारस के कार्यक्रमों से दूरी भी बना चुके हैं। वैसे भी चिराग ने चाचा को आईना दिखाते हुए उनके खेमे की सांसद वीणा देवी को अपने पाले में लाकर उन्हें बड़ा झटका दिया है।
फिर सतह पर चाचा-भतीजा की लड़ाई
लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना दिवस पर मंगलवार को चाचा (पारस)-भतीजा (चिराग पासवान) के बीच जो शक्ति प्रदर्शन किया गया, उससे दोनों की लड़ाई फिर सतह पर आ गई है। दोनों एक-दूसरे को औकात बताने वाले अंदाज में चुनौती दे रहे हैं। तीखे होते वाक-युद्ध से जाहिर है कि दोनों ने हाजीपुर सीट को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है। चिराग ने तो चाचा को धोखेजबाज तक कहा है और हाजीपुर सीट को लेकर कोई समझौता नहीं करने का ऐलान किया है। वहीं, पारस ने चिराग को उसकी हद दिखाने में गुरेज नहीं की है। पारस ने शक्ति प्रदर्शन करके भाजपा को भी यह संकेत दिया है कि हाजीपुर सीट पर उनके सिवा कोई और दावेदार नहीं है।
पारस के खिलाफ पार्टी के प्रधान महासचिव केशव सिंह ने मोर्चा खोला
कभी पारस के बेहद करीबी रहे और रालोजपा के प्रधान महासचिव केशव सिंह और उनके हजारों समर्थकों ने मंगलवार को हाजीपुर में आयोजित कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी। इसकी बड़ी वजह पार्टी के अंदर बढ़ता असंतोष है। केशव सिंह ने बुधवार को पारस के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि पारस दलालों से घिरे हैं और उनको अपने पास रखते हैं, समर्पित नेताओं और वफादारों की उपेक्षा करते हुए शक करते हैं। पारस वनमैन शो बनकर हिटलर की तरह पार्टी चला रहे हैं। सामूहिक निर्णय लेने की परिपार्टी खत्म कर दी है।उन्होंने कहा कि अध्यक्षों से लेकर जिलाध्यक्ष तक की नियुक्ति में किसी वरिष्ठ नेता से पूछते तक नहीं हैं। न कभी राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक बुलाते हैं, न ही संसदीय बोर्ड की बैठक करते हैं। चिराग पासवान के जिन बिन्दुओं से नाराज होकर पारस के नेतृत्व में लोजपा के सांसदों व नेताओं ने अलग दल बनाया था। वही बीमारियों से पारस ग्रसित हैं। पारस के पास न कोई नीति है, न कोई सिद्धांत। सिर्फ रामविलास पासवान का नाम बेच रहे हैं। पार्टी में पारस को छोड़कर तमाम चारों सांसद राह तलाश चुके हैं, केवल सही समय का इंतजार है। वीणा सिंह तो इसका उदाहरण हैं।
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