Ramkripal Yadav: रामकृपाल यादव का खेल किसने किया खराब? राज से हट गया पर्दा; सियासी हलचल हुई तेज
Bihar Politics पाटलिपुत्र लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम सामने आने के बाद अब हार के कारण पर चर्चा जोर पकड़ ली है। इसी क्रम में अब रामकृपाल यादव की हार का कारण सामने आया है। 2019 के लगभग बराबर वोट पाकर भी इसबार रामकृपाल यादव चुनाव हार गए। हारने के बाद रामकृपाल यादव के चेहरे पर साफ मायूसी झलक रही थी लेकिन अब उनकी हार से पर्दा हट गया है।
जितेंद्र कुमार,पटना। Bihar News: बिहार की पाटलिपुत्र सीट इस बार खूब चर्चा में रही। बीजेपी के दिग्गज नेता रामकृपाल यादव की हार के बाद यह सीट सुर्खियों में आ गई। रामकृपाल यादव (Ramkripal Yadav) की हार ने बीजेपी समर्थकों को चौंकाकर रख दिया। कार्यकर्ताओं को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर इतनी मेहनत के बाद कहां चूक हो गई।
वाम दल ने दो जगह बिगाड़ा रामकृपाल का खेल
पटना जिले की राजनीति में 'लाल सलाम' का साथ मिलने से महागठबंधन का हाथ मजबूत हुआ है। 2020 विधानसभा चुनाव के समय नया राजनीतिक गठबंधन ने भाजपा और जदयू के परंपरागत सीटों पर कब्जा जमा लिया था।
चार साल में भाजपा और जदयू इसका तोड़ नहीं निकाल सका। पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र का नतीजा पूरी तरह से विधानसभा चुनाव 2020 की तरह सामने आया है। इसके साथ एनडीए के परंपरागत वोट में महागठबंधन ने सेंध लगाकर चकित कर दिया।
पाटलिपुत्र के छह विधानसभा क्षेत्र में सिर्फ दानापुर से भाजपा के रामकृपाल यादव पुराने प्रतिद्वंदी राजद की मीसा भारती से आगे रहे। 2019 के चुनाव में भाजपा को यहां से 29000 की बढ़त मिली थी। इस बार रामकृपाल को 2 हजार लेकिन मीसा भारती को 20 हजार अधिक वोट मिले। नतीजा भाजपा की बढ़त मात्र 12 हजार पर सिमट गई।
पालीगंज और मसौढ़ी में 'लाल सलाम' की पुरानी जमीन --
इंडियन पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) अब भाकपा माले का पालीगंज और मसौढ़ी पुरानी जमीन रही है। मसौढ़ी से आइपीएफ के टिकट पर सबसे पहला विधायक योगेश्वर गोप 1990 में चुने गए थे। ''''लाल सलाम'''' की पुरानी जमीन पालीगंज में 2005 के दोनों विधानसभा चुनाव भाकपा माले के नंद कुमार नंदा चुने गए थे। भाजपा की उषा विद्यार्थी और जदयू के जयवर्द्धन यादव को मौका दिया है।महागठबंधन के सहयोगी भाकपा माले 2020 में इस सीट पर कब्जा जमा लिया। मसौढ़ी सीट राजद के खाते में गया। पालीगंज में भाजपा बीते लोकसभा चुनाव से तीन हजार अधिक वोट मिला लेकिन मीसा को 19 हजार अधिक वोट मिले। नतीजा बीते चुनाव की तुलना तीन हजार की बढ़त 19 हजार पहुंच गया।
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