Consumer Court: 'गलत पार्किंग के कारण बीमा का दावा अमान्य नहीं हो जाता'; उपभोक्ता आयोग का फैसला
अमलेंदु साहू बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी के मामले में सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्ट निर्देश है कि ऐसे प्रकरणों में बीमित मूल्य के 75 प्रतिशत राशि तक का दावा वैध है। विद्वान निर्णयकर्ताओं ने बीमा कंपनी को बीमित मूल्य की 70 प्रतिशत राशि (227500 रुपये) 60 दिनों के भीतर भुगतान करने का निर्देश दिया। इस पर छह प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी देना है।
राज्य ब्यूरो, पटना। चोरी हो गए ट्रैक्टर का बीमा तो कराया गया था, लेकिन उसकी पार्किग निर्धारित परिक्षेत्र में नहीं हुई थी। इस आधार पर चोला मंडलम बीमा कंपनी ने दावे को निरस्त कर दिया। ट्रैक्टर मालिक ने जिला उपभोक्ता आयोग में गुहार लगाई।
आयोग ने निर्णय दिया कि केवल पार्किंग सही जगह पर नहीं होने के कारण बीमा का दावा अमान्य नहीं हो जाता। बीमा कंपनी ट्रैक्टर मालिक को बीमित मूल्य की 70 प्रतिशत राशि का भुगतान करेगी।
क्या है पूरा मामला?
महिंद्रा कंपनी का ट्रैक्टर पटना जिला में बिहटा के महेश्वर कुमार का था। 04 अक्टूबर, 2020 को रात में बिहटा में लई चौक से सौ गज की दूरी पर इटवा-डोघरा रोड के किनारे ट्रैक्टर पार्क कर वे अपने घर चले गए। अगले दिन सुबह में ट्रैक्टर गायब मिला।काफी खोजबीन के बाद उन्होंने बिहटा थाना में चोरी की प्राथमिकी दर्ज कराई। उसके बाद वे जनरल बीमा करने वाली चोला मंडलम कंपनी से भुगतान का दावा किए। 25 अक्टूबर, 2019 से 24 अक्टूबर, 2020 के लिए ट्रैक्टर का बीमा मूल्य 3.25 लाख रुपये था। बीमा नीति में उल्लेखित शर्त-05 का संदर्भ देते हुए कंपनी ने दावे को निरस्त कर दिया।
इस शर्त के अनुसार, पार्किंग के लिए अधिकृत क्षेत्र में खड़े किए गए वाहनों के लिए ही बीमा का दावा किया जा सकता है। दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद आयोग के अध्यक्ष प्रेम रंजन मिश्रा और सदस्य रजनीश कुमार ने पाया कि चोरी बीमित अवधि के दौरान हुई है।
नियमानुसार प्राथमिकी दर्ज हुई और दानापुर के एसीजेएम न्यायालय में मामला सूचीबद्ध भी हुआ। ऐसे में बीमा की मात्र एक शर्त का हवाला देते हुए दावा निरस्त नहीं किया जा सकता।
अमलेंदु साहू बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी के मामले में सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्ट निर्देश है कि ऐसे प्रकरणों में बीमित मूल्य के 75 प्रतिशत राशि तक का दावा वैध है। विद्वान निर्णयकर्ताओं ने बीमा कंपनी को बीमित मूल्य की 70 प्रतिशत राशि (227500 रुपये) 60 दिनों के भीतर भुगतान करने का निर्देश दिया। इस पर छह प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी देना है। ब्याज की गणना आयोग के समक्ष मामला दर्ज किए जाने की तिथि से होगी।
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