Bihar Crime बिहार की राजधानी पटना में अपराधी ऐसे-ऐसे कारनामे अंजाम दे रहे हैं जिन्हें जानकार पुलिस भी हैरान है। दरअसल कोतवाली पुलिस ने नट खलीफा गिरोह के तीन शातिरों को गिरफ्तार किया है। इन शातिरों ने पुलिस की पूछताछ में कई राज खोले हैं। इन्होंने बकरी चोरी और जेब काटने जैसे अपराध को अंजाम देकर अपना आलीशान घर तक खड़ा कर डाला है।
By Jagran NewsEdited By: Yogesh SahuUpdated: Sat, 19 Aug 2023 09:05 AM (IST)
Bihar Crime : जागरण संवाददाता, पटना। बिहार की राजधानी पटना में कोतवाली पुलिस की गिरफ्त में आए नट खलीफा गिरोह के तीन शातिरों ने जब मुंह खोला तो पुलिस अचंभित रह गई। इनके घरों की भव्यता देख कोई भी दंग रह जाए।
शातिरों ने बकरी चोरी और लोगों की जेब काटकर दस करोड़ की इमारत खड़ी करने के साथ तिजोरी भी भर ली। दो महीने के अंतराल में अपनी आटो में यात्रियों को बैठा कर उनकी जेब से सात लाख रुपये उड़ा लिए।
लगभग एक दर्जन लोगों की जेब और बैग से सोने-चांदी के जेवरात भी गायब कर दिए। गिरफ्तार वीरू नट (जढ़ुआ, वैशाली), संतोष खलीफा (पारनदी हसनपुर, बेउर) एवं अजय खलीफा (नोहसन, गंगाब्रिज, वैशाली) के पास से वारदात में प्रयुक्त आटो, पांच लाख 63 हजार नकद, सोने-चांदी के गहने, तीन मोबाइल और अवैध तरीके से अर्जित संपत्ति के कागजात मिले।
सभी आरोपित आपस में रिश्तेदार हैं। वे पारिवारिक पेशे के रूप में सुनियोजित ढंग से चोरी, छिनतई करते हैं। इसकी जानकारी शुक्रवार को
सिटी एसपी वैभव शर्मा ने दी।
आयकर विभाग और ईओयू को भी दिए जाएंगे कागजात
गिरफ्तार आरोपितों की संपत्ति के बारे में कोतवाली थाने की पुलिस पता लगा रही है। इसका पूरा ब्योरा आयकर विभाग और ईओयू (आर्थिक अपराध इकाई) को सौंपा जाएगा।
इन दोनों एजेंसियों की जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिस आरोपितों की संपत्ति को जब्त करने की कार्रवाई करेगी। वीरू नट ने भी वैशाली के जढ़ुआ में कई भूखंड के लिए बयाना कर रखा है।
उसके पास लगभग चार करोड़ रुपये की संपत्ति अनुमानित की जा रही है। पुलिस उसके दस्तावेजों को एकत्र करने की तैयारी में जुटी है।
यात्री को बीच में बैठा उड़ा लेते थे रकम व जेवरात
वीरू ने बताया कि गिरोह का मुख्य पेशा बकरी चोरी है। वे दिन में घरों व गांवों की रेकी करते थे और रात में वहां से बकरी चुरा कर पटना के चितकोहरा स्थित बाजार में बेचते थे।वीरू पैरों से दिव्यांग है, लेकिन आटो चलाने में माहिर है। इस कौशल के सहारे गिरोह ने अपराध का दूसरा तरीका अपना लिया।
वीरू अनुमान के आधार पर भोर में बैरिया स्थित निजी बस स्टैंड अथवा पटना जंक्शन के पास से वैसे यात्रियों को आटो में बिठाने लगा, जिनकी जेब मोटी होती थी।उसे मालूम था कि बिहार के स्वर्ण व्यवसायियों के कैरियर कोलकाता से जेवरात बनवा कर भोर वाली ट्रेन से आते हैं। इसके बाद आटो लेकर बाकरगंज की तरफ जाते हैं।गिरोह ऐसे ही लोगों को शिकार बनाता था। सवारी वाली सीट पर संतोष और अजय पहले से बैठे रहते थे। यात्री को बीच में बिठा कर उसकी जेब काट लेते थे।
फिर, वीरू बहाना बना कर आटो रोक देता और यात्री को उतार कर तीनों भाग निकलते थे। कई बार यात्री नहीं उतरते थे तो शातिर उन्हें धक्का देकर आटो से फेंक देते थे।ऐसी ही एक वारदात कोतवाली थाना क्षेत्र में 20 मई को हुई थी, जिसमें आटो से गिरने पर यात्री के हाथ की हड्डी टूट गई थी।
वारदात के बाद पढ़ते थे समाचारपत्र
गिरफ्त में आने के बाद वीरू नट ने बताया कि वह दूसरों के नाम से आटो खरीदने के बाद
वारदात के लिए इस्तेमाल करता था।
आटो पर मिला नंबर सत्यापन में सही पाया गया। उसने जरुआ के एक व्यक्ति से नाम से खरीदे गए आटो को सेकेंड हैंड यानी दोबारा खरीदा था।वारदात करने के बाद गिरोह के सदस्य समाचारपत्र पढ़ते थे, ताकि पता चल सके कि शिकार हुए व्यक्ति ने थाने में रिपोर्ट की है या नहीं? यदि रिपोर्ट समाचारपत्र में प्रकाशित हो जाती थी तो वे घर छोड़ कर फरार हो जाते थे।
मकान के सभी कमरों में बड़े एलईडी टीवी और एसी लगे
संतोष की गिरफ्तारी के लिए जब पुलिस बेउर थाना क्षेत्र के पारनदी हसनपुर मोहल्ले में पहुंची तो उसका मकान देख चौंक गई। पांच मंजिले मकान के सभी कमरों में बड़े एलईडी स्क्रीन वाले टीवी और एसी लगे थे।
पुलिस जमीन समेत मकान की कीमत का अनुमान लगभग दस करोड़ रुपये लगा रही है। वहीं, उसके घर से एक करोड़ 75 लाख रुपयों के अलग-अलग जमीन को लेकर किए गए एग्रीमेंट के कागजात मिले।अजय के पास से वाहनों की खरीद-बिक्री के भी दस्तावेज बरामद हुए। गिरोह ने 15 फरवरी से नौ जुलाई के बीच गांधी मैदान, कोतवाली, अगमकुआं और सचिवालय थाना क्षेत्रों में आठ वारदात करने की बात स्वीकार की है।पुलिस टीम जब वीरू नट को
गिरफ्तार करने उसके घर पहुंची तो दिव्यांग होने के बावजूद वह सीढ़ियों से चढ़कर छत पर पहुंच गया था। वह दूसरे मकान की छत पर कूदने वाला था, लेकिन पुलिस ने इससे पहले ही उसे दबोच लिया।
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