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पटना गांधी मैदान विस्फोट केस: 4 दोषियों की मौत की सजा उम्रकैद में बदली, हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला

पटना के गांधी मैदान विस्फोट मामले में हाई कोर्ट ने चार दोषियों की मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। इस मामले में सिविल कोर्ट ने चारों दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी। चारों के नाम हैदर अली मोजिबुल्लाह नोमान और इम्तियाज है। गांधी में विस्फोट 27 अक्टूबर 2013 को हुआ था। तब नरेंद्र मोदी 2024 के लोकसभा चुनाव के प्रचार को लेकर पटना पहुंचे थे।

By Vikash Chandra Pandey Edited By: Rajat Mourya Updated: Wed, 11 Sep 2024 02:30 PM (IST)
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पटना हाईकोर्ट ने 4 दोषियों की मौत की सजा उम्रकैद में बदली। जागरण

विधि संवाददाता, पटना। वर्ष 2013 में पटना के गांधी मैदान में हुए विस्फोट प्रकरण में पटना हाई कोर्ट ने बुधवार को चार दोषियों की मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। चारों दोषियों (हैदर अली, मोजिबुल्लाह, नोमान और इम्तियाज) को पहले सिविल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी।

हाई कोर्ट ने उनकी सजा कुछ कम कर दी है। उन चारों के साथ दोषी पाए गए उमर और अजहरुद्दीन को निचली अदालत से आजीवन कारावास की सजा हुई थी। हाई कोर्ट ने उसे बरकरार रखा है। उल्लेखनीय है कि निचली अदालत ने इस घटना को 'रेयर ऑफ द रेयरेस्ट' बताया था।

क्या है मामला?

विस्फोट 27 अक्टूबर, 2013 को हुआ था। उस वक्त 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के क्रम में नरेन्द्र मोदी पटना पहुंचे थे। गांधी मैदान में उनकी हुंकार रैली हो रही थी। उसी दौरान पटना जंक्शन के प्लेटफॉर्म संख्या 10 स्थित सुलभ शौचालय के पास पहला बम विस्फोट हुआ था। उसके बाद गांधी मैदान में और आसपास छह स्थानों पर एक-एक कार छह विस्फोट हुए। उसमें छह लोगों की मृत्यु हुई थी और 89 लोग घायल हुए थे।

नवम्बर 2021 में एनआईए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश गुरुविंदर सिंह मल्होत्रा ने गांधी मैदान में सीरियल बम विस्फोट के मामले में दोषी करार दिए गए नौ आतंकियों में से चार को फांसी, दो को उम्रकैद, दो अन्य को दस-दस साल की कैद और एक को सात साल की कैद की सजा दी थी।

घटना के 8 साल 5 दिन बाद चार आतंकियों इम्तियाज, हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी, नोमान अंसारी व मुजीबुल्लाह को सजा-ए-मौत की सजा सुनाई गई थी। वहीं, दो आतंकियों उमर सिद्दीकी व अजहरुद्दीन को उम्र कैद, जबकि अहमद हुसैन व फिरोज आलम को 10-10 वर्ष तथा इफ्तेखार को 7 वर्ष की कैद की सजा मिली थी। इस मामले में साक्ष्य के अभाव में एक अन्य आरोपी फखरुद्दीन को कोर्ट ने 27 अक्टूबर को बरी कर दिया था।

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