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Bihar Crime: जिस्मफरोशी का अड्डा बना फुलवारीशरीफ का गेस्ट हाउस, मैनेजर समेत पांच गिरफ्तार

Bihar Crime खबर मिली थी कि गेस्ट हाउस में शराब और शबाब दोनों परोसा जाता है। इसके बाद तेज-तर्रार पुलिस अफसरों की टीम बनाई गई और उन्हें सादे लिबास में ग्राहक बनाकर गेस्ट हाउस भेजा गया। इसके बाद पुलिस ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया।

By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerUpdated: Sat, 03 Jun 2023 05:50 AM (IST)
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फुलवारीशरीफ के गेस्ट हाउस में देह व्यापार का हुआ पर्दाफाश।
संवाद सूत्र, फुलवारीशरीफ: थाना क्षेत्र की वृंदावन कॉलोनी स्थित अतिथि गेस्ट हाउस में चल रहे देह व्यापार का पुलिस ने शुक्रवार को पर्दाफाश किया। मौके से गेस्ट हाउस मैनेजर समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया, जबकि देह व्यापार की दलदल में फंसी पांच युवतियां मुक्त कराई गईं।

आपत्तिजनक सामान बरामद

गेस्ट हाउस की तलाशी में शराब की बोतलें व अन्य आपत्तिजनक सामान जब्त किए गए। वहीं, गेस्ट हाउस का संचालक मिथिलेश कुमार भागने में कामयाब रहा। सभी युवतियां इसी शहर की हैं।

मिली थी शराब और शबाब परोसे जाने की सूचना

एएसपी विक्रम सिंह सिहाग को गुप्त सूचना मिली थी कि अनुमंडल में जमीन की रजिस्ट्री कराने वाले लोगों का अतिथि गेस्ट हाउस में खूब आना-जाना होता है। वहां शराब और शबाब दोनों परोसा जाता है। इसके बाद तेज-तर्रार पुलिस अफसरों की टीम बनाई गई और उन्हें सादे लिबास में ग्राहक बनाकर गेस्ट हाउस भेजा गया।

मिथिलेश ने बातचीत शुरू होते ही भांप लिया कि ये पुलिसकर्मी है। वह धीरे से खिसक गया, जबकि उसके सहयोगी गिरफ्त में आ गए। वहीं, एक कमरे में शराब पी रहे दो युवकों को भी पकड़ा गया। इसके बाद पुलिस ने गेस्ट हाउस के सभी कमरों को खंगाल डाला, जिसमें पांच युवतियों को हिरासत में लिया गया। उनसे पूछताछ की जा रही है।

लंबे समय से चल रहा था खेल

ऐसे किया जा रहा था देह व्यापार का संचालन पहले इसे लकी गेस्ट हाउस के नाम से जाना जाता था, जो अब अतिथि गेस्ट हाउस हो गया है। यहां लंबे समय से देह व्यापार का संचालन हो रहा था। ग्राहक के आने पर शराब, खाना, कमरा और मौज-मस्ती के लिए घंटे के हिसाब से युवती की कीमत गेस्ट हाउस का संचालक तय करता था।

सौदा तय होने पर गेस्ट हाउस का मैनेजर युवतियों को कॉल कर बुलाता था। वहीं, कुछ लड़कियों को 15-15 दिनों के लिए एकमुश्त राशि पर दूसरे जिलों से भी बुलाया जाता है। युवतियों के नंबर रजिस्टर में लिखे रहते थे। उनका पहचानपत्र भी संचालक के पास होता था।

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