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Bihar News: अब बिहार में छटपटाएंगे PFI और सिमी के गुर्गे, पटना हाईकोर्ट ने दे दिया झटका; टारगेट पर थे PM मोदी

Bihar News Today बिहार में 2022 में पीएम मोदी के खिलाफ साजिश रचने वाले पीएफआई और सिमी के गुर्गे को पटना हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। पटना हाईकोर्ट ने सभी की जमानत याचिका खारिज कर दी है। हाईकोर्ट के इस फैसले से इनकी मुश्किलें और बढ़ने वाली है। बता दें कि दोनों को गृह मंत्रालय ने प्रतिबंधित संगठन माना है।

By Vikash Chandra Pandey Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Wed, 08 May 2024 10:52 AM (IST)
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पीएफआई को पटना हाईकोर्ट ने दिया झटका (जागरण)
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar News: वर्ष 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पटना दौरे के दौरान गड़बड़ी फैलाने और संविधान को पलट कर इस्लामी कानून स्थापित कर देश में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का षड्यंत्र रचने वाले पांच आरोपितों की अग्रिम जमानत याचिका को पटना हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। पटना हाईकोर्ट के इस निर्णय से अब इन दोनों संगठनों की मुश्किलें बिहार में बढ़ने वाली है।

जज विपुल एम. पंचोली एवं न्यायाधीश रमेश चंद मालवीय की खंडपीठ ने मंजर आलम एवं चार अन्य आरोपितों की आपराधिक अपीलों को खारिज कर दिया। वे सभी प्रतिबंधित संगठन पीपुल्स फ्रंट आफ इंडिया (PFI) और स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया (SIMI) के सदस्य हैं।

आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य: पटना हाईकोर्ट

खंडपीठ ने पाया कि आरोपितों के विरुद्ध राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को इस षड्यंत्र में पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं। एजेंसी ने कई संवेदनशील साक्ष्यों का हवाला देते हुए उस षड्यंत्र के दो मुख्य आरोपितों मोहम्मद जलालुद्दीन और अतहर परवेज के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया था। हाई कोर्ट ने यह भी पाया कि आरोपितों द्वारा उक्त षड्यंत्रों को अंजाम देने के लिए उपयोग किए गए मोबाइल फोन व डिजिटल उपकरणों की जांच एजेंसी ने बरामदगी के बाद सरकारी तकनीकी लैब में की थी। अनुसंधान के दौरान संवेदनशील डेटा प्राप्त किया गया, जिसमें हजारों वीडियो मिले हैं।

सभी आरोपियों की संलिप्तता के मिले सबूत

उनमें षड्यंत्र के बारे में बताया गया है और इन सभी आरोपितों की संलिप्तता के साक्ष्य भी मिले हैं। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री के भावी दौरे में गड़बड़ी के षड्यंत्र की सूचना मिलने के बाद 11 जुलाई, 2022 को पटना पुलिस ने फुलवारीशरीफ में मो. जलालुद्दीन के घर पर छापेमारी कर उसके किरायेदार ताहिर परवेज से कई संवेदनशील दस्तावेज और उपकरण बरामद किए थे। देश में सांप्रदायिक तनाव और देश की अखंडता के विरुद्ध षड्यंत्र की घटना पुलिस में दर्ज की गई थी।

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने 22 जुलाई, 2022 को जांच कराने का निर्णय लिया था। गिरफ्तार जलालुद्दीन और अतहर ने अपनी स्वीकारोक्ति रिपोर्ट में षड्यंत्र में सम्मिलित अपने दूसरे साथियों का भी नाम लिया था। इस पूरे मामले में केंद्र सरकार के वकील केएन सिंह ने अग्रिम जमानत का कड़ा विरोध किया।

चार चरणों में रची गई थी साजिश

 इस षड्यंत्र के तहत प्रतिबंधित संगठन पीपुल्स फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) और स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया (सिमी) से जुड़े लोगों को संगठित कर चार चरणों में पूरे देश में धार्मिक उन्माद फैलाया जाना था, ताकि भारतीय संविधान को पलट कर इस्लामिक राज स्थापित किया जा सके।

षड्यंत्र के चारों चरणों को पूरा करते ही बाहरी देशों की शक्ति का सहारा लेकर पीएफआइ अखिल भारतीय इस्लामिक कानून को लागू करना चाहता था। इन चारों षड्यंत्रों को पूरा करने के बाद विदेशी शक्तियों का सहारा लेकर पीएफआइ संविधान की जगह आल इंडिया इस्लामिक ला लागू करना चाहता था।

 01. पहले चरण में देश के सभी मुसलमानों को संगठित कर उन्हें हथियारों का प्रशिक्षण देने की योजना थी।

02. दूसरे चरण में चुनिंदा जगहों पर दूसरे धर्मों के लोगों पर हमला कर दहशत फैलाई जानी थी।

03. तीसरे चरण में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के साथ एक संधि गुट बनाकर हिंदुओं को बांटने का षड्यंत्र था।

04. चौथे चरण में देश की पुलिस, सेना और न्यायपालिका पर नियंत्रण का षड्यंत्र रचा गया था।

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