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पटना सिटी के सब जज 6 अपने पद पर रहने लायक नहीं, हाई कोर्ट ने कहा- लगता है अदालती आदेश की भी समझ नहींं

पटना हाईकोर्ट ने पटना सिटी के सब जज 6 को लेकर तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि सब जज 6 को या तो अदालती आदेश समझ नहीं आता है या समझ में आने के बावजूद वे आदेश का अनुपालन नहीं कर अवमानना कर रहे हैं।

By Sunil RajEdited By: Rahul KumarUpdated: Tue, 15 Nov 2022 10:11 PM (IST)
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पटना हाई कोर्ट ने अदालती आदेश की अवमानना मामले में कड़ी टिप्पणी की है। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, पटना। पटना हाईकोर्ट ने अदालती आदेश की अवमानना मामले में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि पटना सिटी के सब जज 6 को या तो अदालती आदेश समझ नहीं आता है, या समझ में आने के बावजूद वे आदेश का अनुपालन नहीं कर अवमानना कर रहे हैं। यदि ऐसा है तो वह इस पद के लायक नहीं हैं।  न्यायाधीश संदीप कुमार की एकलपीठ ने आफताब हुसैन की याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त टिप्पणी की। साथ ही पटना सिटी के सब जज 6 को एक सप्ताह के अंदर अपनी सफाई पेश करने का आदेश दिया कि इस मामले में हाईकोर्ट ने पिछले पारित निर्देश का अनुपालन उनके द्वारा क्यों नहीं किया गया ? 

दो हफ्ते में मामले के निष्पादन का हाईकोर्ट ने दिया था आदेश

यह मामला पटना के सुल्तानगंज थाना के संदलपुर के धनुकी मौजा की साढ़े पांच एकड़ जमीन पर राज्य परीक्षा समिति के परीक्षा हाल निर्माण का है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उक्त पूरी जमीन पर पटना सिटी के सब जज की अदालत में मुकदमा चल रहा है, जिस पर निचली अदालत से निषेध आज्ञा जारी की है। परीक्षा केंद्र का निर्माण उक्त निषेध आज्ञा के उल्लंघन कर किया जा रहा है। राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि जब राज्य सरकार पक्षकार ही नहीं है तो उसपर वह निषेध आज्ञा लागू नहीं होती है। पटना के डीएम ने पक्षकार बनने की इजाजत मांगी जिसे हाईकोर्ट ने चार जुलाई को स्वीकृति देते हुए संबंधित निचली अदालत को निर्देश दिया था कि राज्य सरकार की तरफ से पक्षकार बनाने हेतु जो आवेदन आएगा, उस पर प्रतिदिन सुनवाई करते हुए निचली अदालत उसका निष्पादन दो हफ्ते में कर देगी।

एक हफ्ते बाद होगी फिर से सुनवाई

राज्य सरकार की तरफ से हाईकोर्ट को बताया गया कि पटना सिटी के सब जज 6 के समक्ष आवेदन देने के बाद, न तो हाईकोर्ट के आदेश के तहत प्रतिदिन सुनवाई हुई, बल्कि अगली सुनवाई की तारीख चार महीने के बाद निर्धारित कर दी गई। इस मामले की सुनवाई एक सप्ताह के बाद होगी।

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