EWS को सीधी भर्ती में आरक्षण देने पर नीतीश सरकार से जवाब तलब, 4 हफ्तों में देना होगा हलफनामा
EWS को सीधी भर्ती में आरक्षण देने के मामले पर पटना हाई कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की। कोर्ट ने नीतीश सरकार और बिहार तकनीकी सेवा आयोग से जवाब तलब किया है। 4 हफ्तों के अंदर हलफनामा हाई कोर्ट में दायर करना होगा। बता दें कि संविधान के अनुच्छेद-16 (6) 16 और 16 (4 ए) के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को दस प्रतिशत आरक्षण दिया गया है।
विधि संवाददाता, पटना। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को अनारक्षित पदों से आरक्षण न देकर सीधी भर्ती में दस प्रतिशत आरक्षण देने पर पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार सहित बिहार तकनीकी सेवा आयोग से जवाब तलब किया है। हाई कोर्ट ने चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चन्द्रन एवं न्यायाधीश नानी तागिया की खंडपीठ ने अजय कुमार लाल एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया।
याचिकाकर्ता के वरीय अधिवक्ता डीके सिन्हा एवं राकेश कुमार शर्मा ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ईडब्ल्यूएस को अनारक्षित अभ्यर्थियों के लिए उपलब्ध पदों पर आरक्षण न देकर सीधी भर्ती में दस प्रतिशत आरक्षण दे रही है। उन्होंने सरकार के नियम-4 को चुनौती देते हुए सीधी भर्ती में आरक्षण देने को गलत बताया। इस नियम को निरस्त करने की मांग की।
राज्य सरकार ने कोर्ट में क्या कहा?
राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि सरकार ईडब्ल्यूएस को सीधी भर्ती में दस प्रतिशत आरक्षण दे रही है। ईडब्ल्यूएस के अभ्यर्थी जो अपनी गुणवत्ता के आधार पर चुने जाते हैं, उनकी गणना सीधी भर्ती कोटि में की जाएगी।
क्या है ईडब्ल्यूएस आरक्षण?
उल्लेखनीय है कि सरकारी रिक्तियों और शैक्षणिक संस्थानों (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए) में प्रवेश में आरक्षण अधिनियम-2019 और पदों व सेवा में रिक्तियों और शैक्षणिक संस्थानों (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए) में प्रवेश में आरक्षण की घोषणा की है।संविधान के अनुच्छेद-16 (6), 16 और 16 (4 ए) के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को दस प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। संविधान और आरक्षण कानून सभी रिक्तियों में दस प्रतिशत आरक्षण देने की बात करता है।
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