Bihar Bhumi Survey 2024: क्या बिहार में बंद होगा जमीन सर्वे? नीतीश सरकार पर टिकी सबकी निगाहें
पटना हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने नीतीश सरकार द्वारा चलाए जा रहे भूमि सर्वेक्षण को तुरंत रोकने की मांग की है। उनका आरोप है कि सर्वेक्षण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हो रही हैं और रिश्वतखोरी बढ़ गई है। अधिवक्ताओं का कहना है कि सर्वेक्षण का काम जल्दबाजी में उठाया गया कदम है और पहले राजस्व रिकॉर्ड को दुरुस्त किया जाना चाहिए।
विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट के वरीय अधिवक्ताओं ने नीतीश सरकार द्वारा चलाए जा रहे भूमि सर्वे (Bihar Land Survey) को फौरन टालने की मांग की है। पटना हाई कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कृष्णा प्रसाद सिंह एवं बिहार स्टेट बार काउंसिल के सदस्य वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने इस बात की जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि राज्य में जिस जल्दबाजी में जमीन सर्वे का कार्य किया जा रहा है, वह व्यावहारिक नहीं है। गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए वरीय अधिवक्ताओं ने कहा कि भूमि सर्वे की प्रक्रिया में कथित रूप से कर्मचारियों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां की जा रही है।
'जमीन सर्वे से बढ़ी रिश्वतखोरी'
अधिवक्ताओं ने दावा किया कि इस प्रक्रिया में रिश्वतखोरी भी बढ़ गई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भूमि सर्वे का काम जल्दबाजी में उठाया गया कदम है। सरकार को चाहिए कि संबंधित कर्मचारियों के जरिए पहले राजस्व रिकॉर्ड, जैसे खतियान, वंशावली व राजस्व रसीद आदि को दुरुस्त करे।'आपराधिक मामलों का अंबार लग जाएगा'
उन्होंने कहा कि यदि सर्वे का कार्य तत्काल प्रभाव से नहीं टाला गया तो जिस तरह से राज्य सरकार के कर्मियों की मिलीभगत से सर्वे के काम में गड़बड़ियां की जा रही है, आने वाले समय में अदालतों के समक्ष सिविल और आपराधिक मामलों का अंबार लग जाएगा। लोग बेवजह मुकदमेबाजी में फसेंगे। बहुत से लोग राज्य के बाहर रहते हैं, जिनकी अनुपस्थिति में उनके पट्टीदार नाजायज तरीके से जमीन में हेराफेरी करवा सकते हैं।
उन्होंने सर्वे के कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि पहले राजस्व कागजातों से जुड़ी बुनियादी कार्यों का निपटारा कर लिया जाना चाहिए, तब ही प्रचार प्रसार करने के बाद जमीन सर्वे का काम राज्य में करवाना चाहिए।
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