Patna News: पटना के खतरनाक मौसम से रहें सावधान... बच्चों के सिर चढ़ रहा तेज बुखार; बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय
Patna News शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार कफ की समस्या इस बार जटिल साबित हो रही है। एंटीएलर्जिक दवाओं कफ सिरप नेबुलाइजेशन व एंटीबायोटिक देने पर 4-5 दिन की खांसी में 70 प्रतिशत ही आराम हो रहा है। 30 प्रतिशत कफ की समस्या ठीक होने में 15 से 25 दिन तक लग रहे हैं। छह माह से तीन वर्ष तक के बच्चों में यह समस्या ज्यादा देखी जा रही है।
जागरण संवाददाता, पटना। Patna News Today: सात दिनों में राजधानी के मौसम ने ऐसी करवट ली कि सरकारी व निजी अस्पतालों में तेज बुखार, सिरदर्द, गले में खराश-कफ, सीने में जकड़न, सांस लेने में घरघराहट या परेशानी से पीड़ित बच्चों की संख्या काफी बढ़ गई है।
कुछ बच्चों को पेट दर्द, दस्त, उल्टी-मिचली व आंखों में खुजली-लालिमा की भी समस्या हो रही है। बुखार नहीं उतरने के साथ इतना तेज होता है कि बच्चे नींद में बड़बड़ाना शुरू कर दे रहे हैं।
इससे हर दिन कई बच्चों को आधी रात के करीब अस्पतालों में भर्ती कराना पड़ रहा है। इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के शिशु रोग विशेषज्ञ डा. बिरेंद्र कुमार सिंह व सदर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के शिशु रोग विशेषज्ञ डा. कृष्णा केशव ठाकुर के अनुसार ओपीडी में आने वाले 50 प्रतिशत बच्चे इन्हीं समस्याओं से परेशान हैं।
इसका कारण बदलते मौसम में होने वाला वायरल संक्रमण प्रमुख है। हालांकि, कुछ बच्चों में बैक्टीरियल इंफेक्शन भी हो रहा है। पीएमसीएच में शिशु रोग के विभागाध्यक्ष डा. भूपेंद्र नारायण ने बताया कि ओपीडी में आने वाले 20 प्रतिशत बच्चे इन लक्षणों के साथ आ रहे हैं। वहीं शिशु इमरजेंसी में भर्ती होने बच्चों में इनका औसत 25 प्रतिशत हैं।
पांच से सात दिनों में उतर रहा बुखार
शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार, हर रोग ठीक होने के लिए अपना समय लेता है। पहले वायरल बुखार तीन से पांच दिन में ठीक हो जाता था। अब इसे ठीक होने में पांच से सात दिन लग रहे हैं। इसके अलावा पैरासिटामाल देने पर भी बुखार कम नहीं हो रहा या थोड़ी देर में दोबारा चढ़ जा रहा है।ऐसे में उन्हें पैरासिटामाल के साथ मैफिनिक एसिड या आइब्यूब्रूफेन का कांबिनेशन देना पड़ रहा है। ऐसे में कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले कुछ बच्चों के मस्तिष्क पर दुष्प्रभाव होता है और वे नींद में बड़बड़ाना शुरू कर दे रहे हैं।
मस्तिष्क को दुष्प्रभाव से बचाने के लिए तेज बुखार में माथे पर गीली पट्टी या शरीर गीले कपड़े से पोछें और बच्चे को अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन कराएं। छह माह से छह वर्ष के बच्चों का मस्तिष्क तेज बुखार से ज्यादा प्रभावित हो रहा है। कई बार रोग की अनदेखी से बच्चों को टायफाइड, निमोनिया, मस्तिष्क व रीढ़ की हड्डी तक में दुष्प्रभाव देखने को मिलता है और इंजेक्शन देना पड़ रहा है।
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