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पटना हाईकोर्ट से राज्य सूचना आयोग को झटका, मुआवजा दिए जाने के ऑर्डर पर लगाई रोक, जानिए क्या है पूरा मामला

पटना में मुआवजा बढ़ाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट ने राज्य सूचना आयोग द्वारा पारित मुआवजा देने के आदेश को ही रद्द कर दिया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जब तक आवेदक की ओर से मुआवजा देने का अनुरोध नहीं किया जाता तब तक राज्य सूचना आयोग मुआवजा देने का आदेश नहीं दे सकता।

By Jagran News NetworkEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Tue, 22 Aug 2023 09:08 PM (IST)
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पटना हाईकोर्ट से राज्य सूचना आयोग को झटका, मुआवजा दिए जाने के ऑर्डर पर लगाई रोक
राज्य ब्यूरो, पटना: मुआवजा बढ़ाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट ने राज्य सूचना आयोग द्वारा पारित मुआवजा देने के आदेश को ही रद्द कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि जब तक आवेदक की ओर से मुआवजा देने का अनुरोध नहीं किया जाता तब तक राज्य सूचना आयोग मुआवजा देने का आदेश नहीं दे सकता।

न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की एकल पीठ ने जोया रहमान एवं बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से दायर दो अलग-अलग रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को यह आदेश दिया।

क्या है पूरा मामला

जानकारी के मुताबिक, याचिकाकर्ता जोया रहमान को वर्ष 2017 में इंटर परीक्षा में असफल घोषित कर दिया गया था। जोया के पिता ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से सूचना के अधिकार के तहत आंसर शीट (उत्तर पुस्तिका) की मांग की, लेकिन मांगी गई सूचना उन्हें नहीं मिली।

इसके विरुद्ध प्रथम अपील दायर की गई, फिर भी सूचना नहीं दी गई। फिर राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील दायर की गई। इसके बाद राज्य सूचना आयोग ने परीक्षा समिति को सूचना नहीं देने का दोषी करार देते हुए जोया को पांच लाख रुपये बतौर मुआवजा देने का आदेश दिया।

आदेश को HC में दी गई थी चुनौती 

परीक्षा समिति ने रिट याचिका दायर कर इस आदेश की वैधता को हाई कोर्ट में चुनौती दी। मामला तब रोचक हो गया जब याचिकाकर्ता ने मुआवजा राशि को बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने की गुहार लगाई। एकल पीठ ने दोनों मामलों को एक साथ सूचीबद्ध कर इस पर सुनवाई की।

परीक्षा समिति का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता सत्यबीर भारती ने राज्य सूचना आयोग द्वारा पारित मुआवजा देने के आदेश को गलत बताया।

अधिवक्ता सत्यबीर भारती ने कहा, "प्रार्थी ने सूचना आयोग के समक्ष मुआवजा के संबंध में कोई मांग नहीं की थी, लेकिन राज्य सूचना आयोग द्वारा स्वतः ही प्रार्थी को मुआवजा देने का आदेश दे दिया गया। तथ्यों का अवलोकन कर हाई कोर्ट ने राज्य सूचना आयोग द्वारा पारित मुआवजा देने के आदेश को निरस्त कर दिया।"

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