सुनिए जी! बिहार के इस बड़े अस्पताल से दवा नहीं, दर्द लेकर लौट रहे लोग; पीड़ित ने कहा- मर जाएंगे पर अब वहां नहीं जाएंगे
Patna PMCH बिहार के राजधानी स्थित पीएमसीएच से लोग डर रहे हैं। यहां सुरक्षाकर्मी लोगों को पीट-पीटकर लहूलुहान करने के बाद पुलिस को सौंप देते हैं। चोट खाए रामईश्वर ने अपनी आपबीती सुनाई है। कहा कि मर जाएंगे पर अब वहां नहीं जाएंगे। जानकारी के अनुसार ऐसी घटनाएं पहले भी होती रही हैं। गार्ड की लाठियां जैसे यहां आने वालों को विवश लाचार समझ कर बरस पड़ती हों।
पवन कुमार मिश्र, पटना। इलाज बिना मर जाएंगे, पर अब कभी पीएमसीएच नहीं जाएंगे। चोट खाए रामईश्वर कुमार उर्फ मुन्ना अस्पताल का नाम सुनते ही सहम जाते हैं। उन्हें पड़ी मार ने जैसे मन में भय उत्पन्न कर दिया हो।
राजधानी स्थित जिस पीएमसीएच में पूरे राज्य ही नहीं, पड़ोसी राज्य से भी बड़ी आशा लेकर रोगी इलाज के लिए आते हों, वहां सहयोग के बदले मिलती हैं लाठियां।
मालसलामी के करीब 40 वर्षीय रामईश्वर को रविवार की सुबह पीएमसीएच के निजी सुरक्षाकर्मियों ने लाठियों से पीट-पीटकर लहूलुहान करने के बाद पुलिस को सौंप दिया था। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि यहां रोगी या उनके स्वजन-परिजन के साथ इस तरह का दुर्व्यवहार किया गया हो।
घटनाएं पहले भी होती रही हैं। गार्ड की लाठियां जैसे यहां आने वालों को विवश, लाचार समझ बरस पड़ती हों। अस्पताल में आने वालों से किस तरह व्यवहार करना है, इसका कोई प्रशिक्षण नहीं। न ही इस पर कोई कार्रवाई की जा रही है।
ऐसी ही घटना एम्स, पटना में भी हुई थी। हालांकि, वहां के गार्डों को अब अस्पताल के वातावरण अनुरूप प्रशिक्षण देने की बात कही गई है। पीएमसीएच में प्रत्येक दिन सैकडृों रोगी आते हैं, उनके परिवार आदि के सदस्य भी साथ होते हैं। उन्हीं में रामईश्वर भी एक थे।
रामईश्वर ने सुनाई आपबीती
रामईश्वर ने बताया कि उनकी पत्नी न्यूरो सर्जरी में भर्ती हैं। दवा और फल लेकर जा रहे थे। कार्ड भूल गए थे, इतनी गलती थी। गार्ड से केवल यही कहा कि ऊपर ही छूट गया है, चाहें तो साथ चलकर देख लें। इतनी सी बात पर गाली दे दी, इसका विरोध करना भारी पड़ गया।
बिना किसी गलती के पीटने के बाद टीओपी में पुलिस के पास पहुंचा दिया गया। दो घंटे तक हाथ में हथकड़ी लगी रही। मीडिया के पहुंचने पर खोला गया। उनकी पत्नी तक न दवा पहुंच सकी, न ही फल। इलाज के लिए पंजीयन तो कराया था, पर हिम्मत नहीं पड़ी कि वापस जाएं।
सास व साले के भरोसे पत्नी को छोड़ आ गया हूं। उन्होंने सोमवार को गुरु गोविंद सिंह अस्पताल में एक्स-रे आदि कराया। उनकी अंगुलियों, पैर व पीठ में गहरी चोटें हैं। एक व्यक्ति अस्पताल पहुंचता है कि ठीक होकर लौटेंगे, पर यह दर्द मिल जाए तो...।
इस प्रकरण में अधीक्षक के सरकारी मोबाइल पर फोन कर मामले को जानने का प्रयास किया गया, पर वह बंद था। इधर, पीरबहोर के थानाध्यक्ष सबीह उल हक ने कहा कि अभी तक किसी पक्ष ने शिकायत नहीं की है। शिकायत होने पर जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस भी हो जाती लाचार
टीओपी में तैनात पुलिसकर्मियों ने बताया कि लोग यहां इलाज कराने आते हैं। ऐसी घटनाएं होती रहती हैं, मामले आते हैं। कई लोगों ने यह भी बताया कि गार्ड पीटने के बाद उल्टे पुलिस के पास सौंप देते हैं। प्राथमिकी भी करा देते हैं।
अब जो इलाज के लिए आया है, वह मुकदमे झेले या रोगी को देखे। कुछ पुराने सिपाहियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने पर टीओपी में बिजली व पानी की आपूर्ति भी बाधित कर दी जाती है।
आए दिन ऐसी घटनाएं
पीएमसीएच में निजी सुरक्षाकर्मियों द्वारा मरीजों से अभद्र व्यवहार व उनके स्वजन की पिटाई सामान्य घटना हो गई है। 2022 में गंगा पाथ वे से प्रतिबंधित आवागमन के बाद तो आए दिन ऐसा होता रहता है। गत वर्ष पीरबहोर थाने में ऐसे पांच मामले अंकित कराए गए थे।
वहीं एम्स, पटना में भी पिटाई की जा चुकी है। गत चार व पांच अक्टूबर के मामले में तो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए डीजीपी और मुख्य सचिव को पत्र भेजा है। बड़ा प्रश्न यह कि अस्पतालों में इलाज की जगह लोगों की पिटाई की जाए तो यह कौन सी व्यवस्था है?
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