PM Awas Yojana केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह तथा राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी के अनुसार वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में बिहार सरकार प्रतिदिन मात्र 4108 मकान बनवा पाई। हालांकि पिछली छमाही में यह संख्या घटकर 1530 आवास प्रतिदिन रह गई। समय से लक्ष्य पूरा करने की बजाय नया लक्ष्य तय करने की मांग हो रही। पीएमएवाइ-जी एक समयबद्ध योजना है।
By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerUpdated: Mon, 21 Aug 2023 05:30 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, पटना: बिहार सरकार का कहना है कि केंद्र की अनदेखी के कारण गांव-गिराव के सभी गरीबों को पक्का आवास नहीं मिल पा रहा। दूसरी तरफ केंद्र सरकार व भाजपा के नेता बता रहे कि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (पीएमएवाइजी) लागू करने में बिहार सरकार विफल रही है। खाते में राशि पड़ी है और मकान आधे-अधूरे। यह उसकी कोताही का परिणाम है।
राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार की मानें तो वर्ष 2022-23 और 2023-24 में पीएमएवाइजी का लाभ बिहार के गरीबों को नहीं मिला। वर्ष 2018-19 में भी ऐसा ही हुआ। बिहार के 13 लाख गरीब आशियाने की आस लगाए हुए हैं।
गिरिराज ने लिखा पत्र
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने उन्हें पत्र लिखकर इसका प्रतिकार किया है।
उन्होंने लिखा है कि पीएमएवाइजी के तहत अगले वर्ष मार्च तक पूरे देश में 2.95 करोड़ मकान बनाने का लक्ष्य है। इनमें से बिहार को 37 लाख का लक्ष्य दिया गया था।
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पिछले नौ वर्ष के दौरान केंद्र ने अब तक बिहार को 31,275 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। इस मद की कोई राशि लंबित नहीं है। बिहार के नोडल खाते में अभी 3492.56 करोड़ रुपये पड़े हैं, जबकि 1,06,062 लाख मकानों का निर्माण पूरा नहीं हुआ। इनमें से 60,550 मकान तो पिछले 18 महीनों से अधूरे पड़े हैं।
सुशील कुमार मोदी का भी यही दावा
प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पूर्व उप मुख्यमंत्री व राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी भी यही दावा कर रहे।
वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह तथा राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी के अनुसार, वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में बिहार सरकार प्रतिदिन मात्र 4108 मकान बनवा पाई। हालांकि, पिछली छमाही में यह संख्या घटकर 1530 आवास प्रतिदिन रह गई।
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समय से लक्ष्य पूरा करने की बजाय नया लक्ष्य तय करने की मांग हो रही। पीएमएवाइ-जी एक समयबद्ध योजना है। इसका लक्ष्य किसी राज्य की विफलता के चलते नहीं बढ़ाया जा सकता। बिहार सरकार इस वर्ष 30 अप्रैल तक निर्धारित लक्ष्य पूरा नहीं कर पाई। इसी कारण लक्ष्य कम करना पड़ा।
राज्य सरकार की कार्य-संस्कृति अच्छी होती, तो गरीबों के लिए एक लाख 66 हजार से अधिक आवास का लक्ष्य वापस न लेना पड़ता। बिहार तो इंदिरा आवास योजना को भी लागू करने में विफल रहा। राज्य में 3,23,830 इंदिरा आवास अधूरे रह गए। इस वर्ष 30 जून तक इंदिरा आवास का निर्माण पूरा हो जाना था, जो कि नहीं हुआ।
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