PM Modi Bihar Visit: बिहार विधानसभा के सौ साल के दौर में कई बड़े व ऐतिहासिक फैसले, कुछ काले अध्याय भी
PM Modi Bihar Visit प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बिहार विधानसभा के शताब्दी वर्ष समापन समारोह में शामिल होंगे। सौ साल के दौर में बिहार विधानसभा ने कई बड़े व ऐतिहासिक फैसले लिए हैं तो इसके दामन पर कुछ काले दाग भी लगे हैं। आइए डालते हैं नजर।
By Amit AlokEdited By: Updated: Tue, 12 Jul 2022 02:13 PM (IST)
पटना, आनलाइन डेस्क। PM Modi Bihar Visit: बिहार विधानसभा भवन के सौ साल पूरे हो चुके हैं। इन सौ सालों के दौरान इसने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। आजादी के पहले यहां पहली बार स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा देने में स्वदेशी चरखा की बात की गई थी। यह वही चरखा है, जो बाद में महात्मा गांधी के आंदोलन का प्रतीक बना। आजादी के पहले से आज तक के इतिहास पर नजर डालें तो यहां जमींदारी उन्मूलन व महिला सशक्तीकरण से लेकर शराबबंदी कानून तक देश को राह दिखाने वाले कई ऐतिहासिक फैसले लिए गए। हां, सौ साल के इस दौर में विधानसभा के भीतर विधायकों की पिटाई जैसा काला अध्याय भी दर्ज है। बिहार विधानसभा के शताब्दी वर्ष के समापन समारोह (Bihar Assembly centenary Celebrations) में शिरकत करने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पटना आ रहे हैं।
शताब्दी स्तंभ का आज पीएम मोदी करेंगे अनावरण बिहार विधानसभा के शताब्दी समारोह का आरंभ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने 21 अक्टूबर 2021 को किया था। राष्ट्रपति ने उस दिन विधानसभा परिसर में शताब्दी स्तंभ का शिलान्यास किया था। बिहार के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक यि शताब्दी स्तंभ बनकर तैयार है। आज इसका अनावरण करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पटना आ रहे हैं। वे आज विधानसभा शताब्दी वर्ष समारोह का समापन भी करेंगे।
मिलवुड ने इतालवी रेनेसां शैली में किया निर्माण सबसे पहले जानिए, विधानसभा भवन के निर्माण का इतिहास। गवर्नमेंट आफ इंडिया एक्ट 1919 के तहत अंग्रेजों से 2020 में बिहार एवं उड़ीसा को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया। लार्ड सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा बिहार में पहले राज्यपाल बनाए गए। अब अलग राज्य बना तो अलग परिषद सचिवालय की जरूरत महसूस हुई और 1920 में ही भवन का निर्माण किया गया। आर्किटेक्ट एएम मिलवुड ने इसे इतालवी रेनेसां शैली में बनवाया। अंग्रेजों ने इसका निर्माण जरूर कराया, लेकिन इसका आयताकार सभा कक्ष रोमन एम्फीथियेटर की तर्ज पर अर्द्ध गोलाकार है।
1935 में विधानसभा व विधान परिषद का बंटवारा गवर्नमेंट आफ इंडिया एक्ट 1935 के तहत बिहार विधानमंडल को दो भागों (विधानसभा और विधान परिषद) में बांटा गया। तब परिषद वाले भाग में विधानसभा चलने लगी और विधान परिषद के लिए अलग से एक छोटे व नए भवन का निर्माण किया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने विधानसभा भवन का विस्तार कर एक नया सेंट्रल हाल बनवाया, जिसमें अब विधानमंडल के संयुक्त अधिवेशन की बैठकों के आयोजन किए जाते हैं।
भवन में तीन हाल व 12 कमरे, कुल 243 विधायक बिहार विधानसभा परिसर में तीन हाल और बीच में 12 कमरे हैं। सबसे बड़े कक्ष में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बैठते हैं। विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) का कक्ष पहली मंजिल पर है। विधानसभा के सभाकक्ष में आजादी के बाद 1952 की पहली विधानसभा में 331 सदस्य बैठते थे, जो कालक्रम में घटकर अब 243 रह गए हैं।
विधानसभा के कई फैसलों ने दिखाई देश को राहबिहार विधानसभा ने अपने ऐतिहासिक फैसलों से समय-समय पर पूरे देश को राह दिखाई है। यहां जमींदारी प्रथा के उन्मूलन (Abolition of Zamindari) का बड़ा फैसला लिया गया। महिलाओं को समानता का हक दिलाने का कानून बना। आजादी के तुरंत बाद 1947 में ही पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने भूमिहीन गरीबों के लिए ‘बिहार राज्य वास भूमि अधिनियम’ पारित करा पूरे देश के सामने मिसाल रखी थी। आगे 1950 में देश में पहली बार जमींदारी उन्मूलन का कानून बिहार में ही पारित हुआ था। यही कानून केंद्र सरकार द्वारा आगे पारित चकबंदी कानून की प्रेरणा बना, जिसमें जमीन रखने की अधिकतम सीमा तय की गई। हालांकि, इन कानूनों के बावजूद भूमिहीन लोग अभी भी क्यों हैं, यह भी बड़ा साल है।
लालू के बाद राबड़ी का मुख्यमंत्री बनना बड़ी घटनाआपातकाल (Emergency) के दौर में जयप्रकाश नारायण (Jai Prakash Narayan) की संपूर्ण क्रांति (Total Revolution) की ऊपज रहे लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad yadav) मुख्यमंत्री बने। कालक्रम में वे चारा घोटाला (Fodder Scam) में फंसकर जेल गए। लालू के चारा घोटाला में फंसकर जेल जाने के वक्त राबड़ी देवी (Rabri Devi) का मुख्यमंत्री बनना भी बिहार विधानसभा के इतिहास की बड़ी घटना थी। समय के साथ लालू-राबड़ी शासन समाप्त हुआ ताे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनी। नीतीश कुमार अभी भी मुख्यमंत्री हैं तो लालू-राबड़ी के बेटे तेजस्वी यादव एक मजबूत विपक्ष के नेता हैं।
पंचायती राज में महिला आरक्षण का अगुआ बना बिहार बिहार विधानसभा पंचायती राज में महिला आरक्षण की व्यवस्था की है। पंचायती राज में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए साल 2006 के बिहार पंचायती राज अधिनियम पारित किया गया। ऐसा कानून बनाने वाला बिहार पहला राज्य बना। बाद में इसे देश के कई अन्य राज्यों ने भी लागू किया। साल 2019 में सरकारी नौकरियों में भी महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। इन फैसलों से महिला सशक्तीकरण को बल मिला। हालांकि, महिलाओं के प्रति अपराध के आंकड़े चिंता की बात है।
बिहार ने शराबबंदी कानून से देश को दिखाई राहमहिलाओं पर घरों में भी अत्याचार होता रहा है। इसका एक बड़ा कारण शराब को माना जाता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साल 2016 के 30 मार्च को विधानसभा में शराबबंदी (Prohibition) का ऐतिहासिक कानून बनाया। वर्तमान में बिहार पूर्ण शराबबंदी वाला राज्य है। शराबबंदी कानून पूरी तरह लागू करने की परेशानियाें क बीच यह भी तथ्य है कि इससे महिलाओं की स्थिति में सुधार आया है।
जातिगत गणना की मांग के ले प्रस्ताव परित बिहार विधानसभा में 2019 के बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम व बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम पारित हुए। जल जीवन हरियाली अभियान भी इसी साल आरंभ हुआ। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव भी साल 2019 में ही पारित हुआ। साल 2019 में ही बिहार विधानसभा ने नागरिकता संशोधन कानून लागू नहीं करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया था। साल 2022 में बिहार में जातिगत गणना को लेकर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया था।
विधानसभा में हंगामे के बीच कई विधायक घायल बिहार विधानसभा के उपरोक्त ऐतिहासिक फैसलों के बीच इसके कुछ काले अध्याय भी हैं। उनकी समग्र चर्चा आज इसके उत्सव के दिन नहीं भी करें तो अभी नहीं चाहें, तब भी साल 2021 के बजट सत्र के दौरान की ताजा घटना की चर्चा जरूरी है। विधानसभा के उस बजट सत्र के दौरान जबरदस्त हंगामा बरपा था। 23 मार्च 2021 के हंगामे के दिन कई विधायक घायल हो गए थे। विधानसभा में पुलिस बुलानी पड़ी थी।
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